एसबीआई कैपिटल मार्केट्स के ग्रुप हेड (इक्विटी कैपिटल मार्केट) दीपक कौशिक ने कहा है कि निवेश बैंकर के लिहाज से यह उत्साहजनक वक्त है क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम, पात्र संस्थागत नियोजन और ब्लॉक डील समेत कई जोरदार गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। सुंदर सेतुरामन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि न सिर्फ बहुराष्ट्रीय बल्कि भारतीय कंपनियों में भी देश में ही सूचीबद्ध होने का रुझान है। मुख्य अंश…
सौदों के लिहाज से यह साल काफी शानदार साबित हो रहा है। साल की बाकी अवधि के लिए कैसा परिदृश्य है?
प्राथमिक बाजार ने पहली छमाही में शानदार रुझान देखा है। आईपीओ का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है और इनका औसत आकार पिछले वित्त वर्ष के 800 करोड़ रुपये से बढ़कर इस वित्त वर्ष में 1,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इससे अच्छि संभावना के संकेत मिलते हैं और साल के आखिर तक आईपीओ के औसत आकार में बढ़ोतरी हो सकती है।
यह मोटे तौर पर 4-5 साल हुई प्राइवेट मार्केट की अच्छी-खासी गतिविधियों के कारण है जिससे अब प्राइवेट इक्विटी कंपनियां बाहर निकलना चाह रही हैं। इसी के चलते आईपीओ की संख्या में इजाफा हो रहा है। हालांकि वे आईपीओ के जरिये पूरी तरह शायद बाहर नहीं निकलें, इसके बजाय वे बाकी हिस्सा भाव बढ़ने पर द्वितीयक बाजार में बेचने का विकल्प चुन रहे हैं। प्रवर्तक भी ऐसे मौके का फायदा उठा रहे हैं। सुधरे हुए मूल्यांकन के कारण आईपीओ और ब्लॉक डील की गतिविधियां बढ़ी हैं, जो अच्छे बाजार का संकेत है।
बाजार की हालिया गिरावट इस पर असर नहीं डाल पाई है?
बाजार में काफी तेजी के बाद थोड़ी गिरावट होना तय थी, लेकिन निवेशकों का मनोबल आशावादी बना हुआ है जो गिरावट को हल्के झटके के तौर पर देखते हैं। स्मॉलकैप सेगमेंट में कुछ अतिरिक्त मूल्यांकन को छोड़ दें तो बाजार में कीमतें सही हैं। आईपीओ का परिदृश्य पिछले साल के मुकाबले बदला है। देसी संस्थान अब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के मुकाबले मूल्यांकन को आगे ले जाने में ज्यादा अहम भूमिका निभा रहे हैं।
एफपीआई अभी भी बड़े आकार वाले इश्यू पर असर डालते हैं, वहीं देसी संस्थान ज्यादा विवेकी हो गए हैं और सख्त सौदेबाजी कर रहे हैं। निवेश का फैसला पिछले प्रदर्शन को देखता है, लेकिन मूल्यांकन भविष्य की संभावना और आगे के आय अनुमान पर आधारित होता है। आगे की आय के आधार पर आईपीओ की कीमतें उचित हैं।
हाल के आईपीओ को मजबूत अभिदान और सूचीबद्धता के दिन के प्रदर्शन की क्या वजह है?
यह कीमत की चाहत और संस्थागत मांग दोनों के कारण हैं। निवेशक तभी खरीदते हैं जब उन्हें किसी इश्यू में वैल्यू दिखती है। संस्थागत निवेशक अक्सर बड़ा आवंटन चाहते हैं लेकिन आवंटन की बाध्यताएं उनकी भागीदारी को सीमित करती हैं। मोटे तौर पर सूचीबद्धता के दिन खुदरा निवेशक बेचते हैं लेकिन संस्थान खरीदते हैं। अगर संस्थानों को लगेगा कि इश्यू की कीमत ज्यादा है तो वे उसमें भाग नहीं लेंगे। वे खासी बढ़त की संभावना देखते हैं जिससे सूचीबद्धता के बाद वे खरीद करते हैं। इसके अतिरिक्त, एसआईपी में रिकॉर्ड निवेश और नए खुले डीमैट खाते बाजार में मजबूत नकदी का संकेत देते हैं, जो इस रुझान को और सहारा दे रहा है।
आगे चलकर आईपीओ बाजार में किस थीम का वर्चस्व हो सकता है?
वित्तीय सेवा क्षेत्र अपनी वर्तमान पूंजी की जरूरतों के चलते लगातार आकर्षित करता है। नई पीढ़ी की कंपनियों (खास तौर से जो वृद्धि के दौर में हैं) को निवेशकों का समर्थन हासिल करने के लिए लाभ की स्पष्ट राह बतानी चाहिए। हाल में सूचीबद्ध हुए स्टार्टअप और नई पीढ़ी की कंपनियां लाभ के कगार पर हैं, जो निवेशकों के लिए आकर्षक बनती हैं। बाजार का वर्चस्व अहम होता है लेकिन सूचीबद्ध शेयरों के लिए बाजार की प्रतिक्रिया और भी अहम होती है। मुझे लगता है कि नई पीढ़ी की कंपनियों में निवेश का रुझान जारी रहेगा।
ईसीएम शुल्क का पूल उत्साहजनक है। क्या निवेश बैंकर इस साल बड़े बोनस की उम्मीद कर सकते हैं?
निवेश बैंकर के लिए यह उत्साहजनक समय है। यह साल पिछले के मुकाबले बेहतर आकार ले रहा है और कुल शुल्क में खासी बढ़ोतरी हो रही है। वित्तीय प्रायोजक वाली कंपनियां बाहर निकलना चाह रही हैं, वहां हम आकर्षक शुल्क की उम्मीद कर सकते हैं, जो इसे लाभकारी मौका बनाता है।
क्या आपको ह्युंडै के बाद और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आईपीओ की उम्मीद है?
यह सिर्फ बहुराष्ट्रीय नहीं है। शुरू में विदेश में खुद को स्थापित करने वाली कंपनियां भी अपना आधार भारत ला रही हैं और विदेश में सूचीबद्धता के बजाय भारत में सूचीबद्ध होने का विकल्प चुन रही हैं। यह आकर्षक मूल्यांकन और भारतीय बाजारों के प्रति खिंचाव के चलते है जो मूल्यांकन को लेकर सहजता देता है। इसके अतिरिक्त भारत में कारोबारी सुगमता में सुधार हो रहा है और समय के साथ बाजार परिपक्व हुआ है, जिससे यह इन कंपनियों के लिए और आकर्षक गंतव्य बन गया है।