म्युचुअल फंडों (MF) ने 2022 में नवंबर तक नई फंड पेशकशों (NFO के जरिये 53,700 करोड़ रुपये जुटाए हैं, जबकि 2021 के पूरे वर्ष में यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपये था। 2021 के मुकाबले इस साल ज्यादा संख्या में योजनाएं पेश किए जाने के बावजूद यह कोष उगाही कमजोर बनी हुई है।
उद्योग के जानकारों ने इस साल कम निवेश के लिए लोकप्रिय श्रेणियों में पेशकशों के अभाव को जिम्मेदार बताया है। सामान्य तौर पर, लोकप्रिय श्रेणियों में पेश किए जाने वाले NFO ही अच्छी कमाई में सफल होते हैं। उदाहरण के लिए, 2021 में प्रमुख पांच में से तीन NFO प्रख्यात दो फंड हाउसों एसबीआई एमएफ (SBI Mutual Fund) और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ (ICICI Prudential Mutual Fund) से थे। ये तीन पेशकशें बैलेंस्ड एडवांटेज, फ्लेक्सीकैप और मल्टीकैप जैसी लोकप्रिय श्रेणियों में थीं।
इस साल, ज्यादातर पेशकशें पैसिव डेट फंड क्षेत्र से जुड़ी रही हैं, क्योंकि फंड हाउसों ने उभरती श्रेणी में मजबूत कंपनी बनने के प्रयास में टार्गेट मैच्युरिटी फंड (TMF) पेश करने पर जोर दिया है। भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि 2022 में नवंबर तक फंड हाउसों ने करीब 40 TMS पेश किए। इसके बाद सबसे ज्यादा संख्या में योजनाएं डेट श्रेणी में पेश की गईं। डेट श्रेणी में करीब 30 निर्धारित परिपक्वता योजनाओं (एफएमपी) की पेशकश की गई।
म्युचुअल फंड वितरकों का कहना है कि NFO संग्रह तब तक सुस्त बना रहेगा, जब तक इक्विटी खंड में कोई नई श्रेणी निवेशकों को आकर्षित नहीं करती है। सैपिएंट वेल्थ के संस्थापक एवं निदेशक अमित बिवालकर ने कहा, ‘प्रमुख फंड हाउसों के पास लोकप्रिय श्रेणियों में योजनाएं पहले से ही मौजूद हैं। इसलिए, वे ऐक्टिव इक्विटी में नई पेशकशें नहीं कर सकती हैं।’
उन्होंने कहा, ‘नई पेशकशें पैसिव इक्विटी सेगमेंट में संभव हैं, लेकिन शुरुआत में इन्हें बहुत ज्यादा पूंजी प्रवाह हासिल नहीं होगा।’ NFO की सफलता काफी हद तक MF वितरकों पर निर्भर करती है, लेकिन चूंकि पैसिव फंड कम कमीशन से जुड़े हुए हैं, इसलिए इन्हें वितरकों से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।
यह भी सही है कि बाजार धारणा 2021 के मुकाबले 2022 में पूरी तरह अलग है। ब्याज दरें दुनियाभर में बढ़ने से बाजार इन चिंताओं से 2022 में अस्थिर हुए कि ऊंची ब्याज दरों के साथ साथ मुद्रास्फीति का वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 2022 में अब तक, निफ्टी-50 सूचकांक 2021 के 24 प्रतिशत के मुकाबले सिर्फ 4 प्रतिशत चढ़ा है। हालांकि, एमएफ अधिकारियों और फंड हाउसों की गतिविधियों से अवगत लोगों का कहना है कि आमतौर पर किसी फंड को पेश करते वक्त बाजार धारणा पर विचार नहीं किया जाता है।
जेआरएल मनी के सह-संस्थापक एवं मुख्य निवेश रणनीतिकार विजई मंत्री ने कहा, ‘नई पेशकश की योजना बनाने के बाद म्युचुअल फंड हाउस को किसी फंड को पेश करने के लिए कम से कम तीन-चार महीने लगते हैं। इस समय में बाजार हालात बदल सकते हैं।’