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महंगाई से बढ़ेगा शेयरों में जोखिम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:13 AM IST

महंगाई में तेजी रहने की आशंका के बीच विश्लेषकों ने दुनिया भर के शेयर बाजारों पर इसके असर के बारे में आगाह किया है। जिंस, खास तौर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से यह चिंता और बढ़ गई है। कच्चा तेल इस हफ्ते 84 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया जो तीन साल में इसका उच्चतम स्तर है और एक साल पहले से इसके दाम करीब 96 फीसदी बढ़ चुके हैं। जेफरीज के इक्विटी स्ट्रैटजी के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने हाल ही में निवेशकों को लिखे नोट में कहा है, ‘इन सबका मतलब शेयरों में जोखिम का बढऩा है, विशेष तौर पर उच्च मूल्य वाले शेयरों में। मुद्रास्फीति बढऩे और फेडरल रिजर्व द्वारा नीतियों को सख्त किए जाने की चिंता में बिकवाली शुरू हो सकती है। कच्चे तेल के दाम में ऐसी ही तेजी बनी रही तो मुद्रास्फीति में जोरदार उछाल आ सकती है।’
कोविड महामारी के मद्देनजर अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए फेडरल रिजर्व सहित दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने मौद्रिक नीतियों को नरम बनाया था। इससे उभरते बाजारों के शेयरों को बहुत फायदा हुआ है। इस साल सेंसेक्स 28 फीसदी से ज्यादा और निफ्टी 31 फीसदी मजबूत हुआ है। मिड और स्मॉल कैप में भी जबरदस्त तेजी आई है। इस साल अब तक मिडकैप 50 फीसदी और स्मॉलकैप 65 फीसदी से ज्यादा चढ़ चुका है।
दूसरी ओर कच्चे तेल और कोयले तथा गैस के दाम में तेजी ने ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं को चिंतित कर दिया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है क्योंकि बिजली उत्पादन के लिए यह काफी हद तक कोयला पर निर्भर है। नोमुरा के विश्लेषकों ने भी मुद्रास्फीति को लेकर इसी तरह के विचार साझा किए हैं। नोमुरा के वैश्विक वृहद आंकड़ों के शोध प्रमुख और बाजार शोध के सह-प्रमुख रॉब सुब्बारमन ने रेबेका वांग के साथ तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘आपूर्ति पक्ष की ओर से किल्लत – सेमीकंडक्टर से लेकर ऊर्जा तक की कमी और प्रोत्साहन की नीति जारी रहने तथा अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार से बेरोजगारी दर कम होगी और वेतन से संबंधित महंगाई बढ़ सकती है, जिससे मुद्रास्फीति में इजाफा हो सकता है।’
अमेरिका में अगले पांच के लिए मुद्रास्फीति दर का अनुमान 2.36 फीसदी है, जो मई 2021 के उच्चतम स्तर 2.38 फीसदी से केवल 2 आधार अंक कम है। वुड का मानना है कि अगर यह 2.5 फीसदी से ऊपर होता है तो फेडरल रिजर्व पर इसे काबू में करने के लिए दबाव बढ़ेगा। जूलियस बेयर के कार्यकारी निदेशक मिलिंद मुच्छला के अनुसार अमेरिकी बाजार में बॉन्ड प्रतिफल बढऩे, ईंधन के दाम में तेजी और मुद्रास्फीति दबाव के बावजूद भारतीय बाजार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के विश्लेषकों के अनुसार मध्य से दीर्घावधि के लिहाज से शेयर अब भी निवेश का पसंदीदा साधन बना हुआ है क्योंकि वैश्विक स्तर पर वास्तविक ब्याज दर के अभी ऋणात्मक दायरे में ही रहने की उम्मीद है। क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट के इंडिया इक्विटी शोध प्रमुख जितेंद्र गोहिल ने परिमल कामदार के साथ अपने नोट में कहा है, ‘निकट अवधि में मुदास्फीति का दबाव बढऩे से निवेश बॉन्ड से शेयर की ओर जा सकता है।’

First Published : October 15, 2021 | 11:05 PM IST