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भारतीय शेयर बाजार कोविड मामलों में वृद्घि को सहन करने में सक्षम नहीं

Last Updated- December 12, 2022 | 5:17 AM IST

जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार इसे लेकर अभी भी ऐसे किसी मजबूत प्रमाण के अभाव में आशंकित बने हुए हैं कि दूसरी लहर चरम पर पहुंच गई है। फिर भी उन्होंने अपने रिलेटिव-रिटर्न पोर्टफोलियो में भारतीय बाजारों के लिए अपना निवेश बढ़ाया है और यह उस स्तर पर है जो पिछली तिमाही के अंत में था।
वुड का कहना है कि भारतीय इक्विटी में ओवरवेट 2 प्रतिशत अंक बढ़कर 14 प्रतिशत किया जाएगा। यह बदलाव चीन में भारांक में 0.5 प्रतिशत और मलेशिया में 1.5 प्रतिशत अंक तक की कटौती से जुड़ा होगा। उन्होंने कोविड मामलों में भारी तेजी और अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित प्रभाव के बीच अप्रैल के शुरू में भारत के लिए भारांक घटा दिया था।
निवेशकों के लिए अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट ‘ग्रीड ऐंड फियर’ में वुड ने लिखा है, ‘दीर्घावधि आधार पर, ग्रीड ऐंड फियर ने कोविड की दूसरी लहर की गंभीरता और भारतीय इक्विटी में बड़ी शुद्घ विदेशी खरीदारी को देखते हुए अल्पावधि आधार पर, इस महीने के शुरू में भारत के लिए सभी निवेश बंद कर दिया, क्योंकि निवेशकों ने चीन के लिए निवेश घटाया और भारत के लिए बढ़ाया।’ भारत के अलावा, वुड ने कोरिया के लिए भी निवेश 1 प्रतिशत अंक तक बढ़ाया है।
वुड ने लिखा है, ‘भारत और शेष दुनिया में कोविड की दूसरी लहर से पैदा हुए गंभीर हालात (खासकर भारत के लिए) बरकरार हैं। इसे लेकर चिंता बरकरार है कि क्या नए वैरिएंट बी.1.617 के लिए टीके प्रभावी हैं।’
उन्होंने उस महंगे मूल्यांकन को लेकर भी चेतावनी दी है, जिस पर भारतीय बाजार मौजूदा समय में कारोबार कर रहे हैं। उनका मानना है कि भारत में फिर से आवाजाही प्रतिबंधित होने से बैंकों के लिए परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव का जोखिम बढ़ गया है। इसके बावजूद वह दीर्घावधि नजरिये से भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर आशान्वित बने हुए हैं और किसी तरह की गिरावट को भारत के निजी क्षेत्र के बैंकों में खरीदारी अवसर के तौर पर मान रहे हैं, खासकर उनके लिए, जो मार्च 2020 के निचले स्तर से बैंकों में आई भारी तेजी का लाभ उठाने में विफल रहे।
वुड का कहना है, ‘निफ्टी सूचकांक अब 20.2 गुना की एक वर्षीय आगामी आय पर कारोबार कर रहा है, जो 16 गुना के 10 वर्षीय औसत से ऊपर है, हालांकि मध्य जनवरी के 22.3 गुना के ऊंचे स्तर से अभी नीचे है।
परिसंपत्ति गुणवत्ता की समस्या
नोमुरा के विश्लेषकों के अनुसार, जहां तक बैंकिंग सेक्टर का सवाल है तो पहली लजर में परिसंपत्ति गुणवत्ता की समस्याएं लिक्वीडिटी योजनाओं और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को वित्तीय समर्थन से जुड़ी हुई थीं। उनका मानना है कि बैंकों ने अब इस प्रभाव के समायोजन के लिए प्रावधान पर जोर दिया है।
उन्होंने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है, ‘परिसंपत्ति गुणवत्ता अब तक बेहतर रही है। प्रमुख बैंकों में परिसंंपत्ति गुणवत्ता को दूसरी लहर से होने वाले नुकसान को समायोजित करने की मजबूत क्षमता है।’

First Published - May 1, 2021 | 12:06 AM IST

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