India-listed MNC: न सिर्फ भारतीय बाजारों का अपने समकक्ष वैश्विक बाजारों के मुकाबले मूल्यांकन ज्यादा है बल्कि भारत में सूचीबद्ध बहुराष्ट्रीय निगमों (एमएनसी) की सहायक कंपनियों के शेयर भी अपनी मूल कंपनियों के मुकाबले महंगे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं। देश में सूचीबद्ध एमएनसी के अगले 12 महीने के पीई व पीबी (प्राइस टु बुक) गुणक के विश्लेषण से पता चलता है कि ज्यादातर 2.1 गुना और 6 गुना के बीच प्रीमियम पर चल रहे हैं। इसी तरह देसी बाजार में ज्यादातर मामलों में पीबी काफी ज्यादा है।
विश्लेषकों ने कहा कि यह रुझान दूसरी विदेशी कंपनियों को भारतीय बाजार में सूचीबद्ध होने के लिए उत्साहित कर सकता है। साथ ही मौजूदा कंपनियां अपनी हिस्सेदारी बेचकर धन जुटाने पर विचार कर सकती हैं ताकि बेहतर हलचल वाले बाजार की धारणा को भुनाया जा सके।
हाल में खबरें आई थीं कि दक्षिण कोरिया की वाहन दिग्गज ह्युंडै 3 अरब डॉलर के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम पर काम कर रही है, जो भारतीय बाजार के लिए अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। मंगलवार को अमेरिकी होम अप्लायंसेज निर्माता व्हर्लपूल कॉर्प ने मंगलवार को अपनी भारतीय इकाई का 24 फीसदी हिस्सा बेचकर 3,881 करोड़ रुपये जुटाए।
सोल में सूचीबद्ध ह्युंडै मोटर का बाजार पूंजीकरण 38.2 अरब डॉलर है जो अगले 12 महीने की उसकी अनुमानित आय का महज 5.2 गुना है। इस बीच विश्लेषकों ने ह्युंडै इंडिया का मूल्यांकन 22 से 28 अरब डॉलर के बीच रहने का अनुमान जताया है। देश की दूसरी सबसे बड़ी यात्री कार निर्माता वित्त वर्ष 24 में 1.1 अरब डॉलर का परिचालन लाभ दर्ज कर सकती है।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख शेषाद्रि सेन ने कहा कि ह्युंडै मोटर इंडिया का प्रस्तावित आईपीओ बाजार के लिए सकारात्मक कदम है और इससे संबंधित सभी पक्षकारों को इससे लाभ होगा। इससे निवेशकों को बाजार की दिग्गज में निवेश का मौका मिलेगा। वाहन क्षेत्र सबसे ज्यादा वृद्धि वाले उद्योगों में से एक है। ह्युंडै को भी बड़ा निवेशक आधार हासिल करने का मौका मिलेगा और वह विश्व के सबसे उम्दा शेयर बाजारों में से एक का हिस्सा बनेगी।
यह ज्यादा पारदर्शिता व डिस्क्लोजर भी सामने लाएगी, जो वाहन उद्योग के प्रोफाइल को ऊपर ले जाएगा। अन्य एमएनसी को इससे संकेत ग्रहण कर सकते हैं। सेंट्रम कैपिटल के पार्टनर (निवेश बैंकिंग) प्रांजल श्रीवास्तव ने कहा कि बेहतर मूल्यांकन और निवेशकों के बड़े आधार की उपलब्धता भारत को आकर्षक बाजार बनाती है। भारत के साथ प्रीमियम वृद्धि भी जुड़ी हुई है जो यहां सूचीबद्ध एमएनसी में दिखती भी है।
टोक्यो में सूचीबद्ध सुजूकी मोटर कॉर्प 12 महीने आगे के पीई 11 गुना पर कारोबार कर रही है वहीं मारुति सुजूकी का पीई 25 गुना है और इसका मूल्यांकन भी मूल कंपनी के मुकाबले 2 गुना है। दिलचस्प रूप से मारुति सुजूकी इंडिया का एमकैप मंगलवार के बंद भाव के आधार पर 3.6 लाख करोड़ रुपये (43.5 अरब डॉलर) है, जो सुजूकी मोटर कॉर्प के 22 अरब डॉलर के मूल्यांकन से काफी ज्यादा है। यह मानते हुए कि जापान की मूल कंपनी की हिस्सेदारी अपनी भारतीय सहायक में 58.19 फीसदी है, इसकी कीमत 25 अरब डॉलर से ज्यादा बैठती है।
इसके अलावा एफएमसीजी दिग्गज हिंदुस्तान यूनिलीवर और नेस्ले इंडिया का पीई अपनी-अपनी मूल कंपनियों के मुकाबले करीब 3 और 4 गुना है। विशेषज्ञों ने कहा कि मूल्यांकन का उच्च गुणक भारत में वृद्धि की ऊंची दर के कारण है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा कि विकसित दुनिया में आय में वृद्धि की दर एक अंक में है। इन अर्थव्यवस्थाओं में या तो मंदी है या फिर 2-3 फीसदी की मामूली वृद्धि। इन फर्मों का लाभ या राजस्व वृद्धि एक अंक में है और भारत में मुनाफे की रफ्तार 13 से 19 फीसदी या उससे भी ज्यादा है। इसलिए वृद्धि दर के अंतर को भी ध्यान में रखना चाहिए। उच्च मूल्यांकन की यही वजह है। मोटे तौर पर ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अपने देश से बाहर काफी कम बाजार हिस्सेदारी है वहीं भारत में ये वर्चस्व की स्थिति में हैं।