भारत की आईटी कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए आने वाले समय में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ताज़ा तिमाही नतीजे कमजोर रहे हैं और इस साल आईटी सेक्टर शेयर बाजार में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सेक्टर बन गया है। जानकारों का मानना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए निवेशकों को बेहतर विकल्पों की तलाश करनी चाहिए।
Nifty IT Index लगातार तीसरी तिमाही में Nifty 50 से कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। इस साल अब तक यह इंडेक्स 18.3% गिर चुका है, जो सभी प्रमुख सेक्टरों में सबसे ज्यादा है। इसी दौरान Nifty 50 इंडेक्स 4.7% चढ़ा है। इस इंडेक्स में शामिल सभी 10 कंपनियों के शेयर गिरे हैं। Oracle Financial Services का शेयर 32% टूटा है, उसके बाद TCS में 24% और HCL Technologies में 23% की गिरावट आई है।
अमेरिका में टैक्स और टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बढ़ रही है, जिससे आईटी कंपनियों का भविष्य और भी चुनौतीपूर्ण दिख रहा है। कंपनियों ने जून 2025 तिमाही के नतीजों में साफ कहा है कि ग्लोबल स्तर पर संघर्ष, सप्लाई चेन की समस्याएं और मैक्रो अनिश्चितता अब भी बनी हुई है।
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Sowilo Investment Managers के फंड मैनेजर संदीप अग्रवाल का कहना है कि कंपनियों के नतीजे अनुमान के मुताबिक रहे हैं, लेकिन कई जगह रेवेन्यू ग्रोथ निराशाजनक रही- जैसे TCS के मामले में। हालांकि Infosys ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन मुनाफे (मार्जिन्स) की बात करें तो नतीजे मिक्स हैं।
उनका मानना है कि डिमांड में कमजोरी अब एक स्ट्रक्चरल (गंभीर और लंबे समय तक रहने वाली) समस्या बन गई है, जो आने वाले समय में भी जारी रहेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि इस फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छमाही में रेवेन्यू और मुनाफे दोनों पर दबाव बना रहेगा।
उन्होंने कहा, “अभी हमें कठिन समय का सामना करना पड़ेगा। पहली छमाही ही ग्रोथ का मौका होती है, और पहली तिमाही पहले ही खराब रही है। अगर दूसरी तिमाही थोड़ी बेहतर भी रही तो भी नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी।”
JM Financial और PL Capital जैसे कई ब्रोकरेज हाउस IT सेक्टर को लेकर निगेटिव (underweight) रुख अपनाए हुए हैं। PL Capital के एनालिस्ट्स का कहना है कि ग्लोबल अनिश्चितता के कारण क्लाइंट्स नई डील्स को लेकर धीमे हैं।
Mirae Asset Sharekhan के रिसर्च हेड संजीव होता ने कहा, “आईटी अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला मेजर सेक्टर है। अभी कोई ऐसा मजबूत कारण नहीं है जिससे आईटी स्टॉक्स में तेजी आ सके। ट्रंप काल के टैरिफ का असर अब भी जारी है, और जब तक इसमें स्पष्टता नहीं आती, तब तक असर बना रहेगा।”