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Reliance से लेकर Adani Power तक, बड़ी फर्मों से निकल रहे स्वतंत्र निदेशक

Cessation of Independent Directors: हाल में करीब 130 स्वतंत्र निदेशकों ने पद छोड़े क्योंकि उनका 10 वर्ष का विस्तारित कार्यकाल पूरा हो गया

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- April 04, 2024 | 9:31 PM IST

Cessation of Independent Directors: करीब 75 कंपनियों में 130 से ज्यादा स्वतंत्र निदेशकों (आईडी) ने 10 साल की अवधि 1 अप्रैल को समाप्त होने के बाद अपने पदों से इस्तीफे दिए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज, अदाणी पावर, लार्सन ऐंड टुब्रो, एशियन पेंट्स, एवेन्यू सुपरमार्ट्स और मैरिको ऐसी कुछ प्रमुख ब्लू चिप कंपनियां हैं जिन्होंने पिछले एक सप्ताह में स्वतंत्र निदेशकों का कार्यकाल पूरा होने पर इस्तीफे की जानकारी दी है।

कंपनी अधिनियम 2013 के तहत एक स्वतंत्र निदेशक पांच-पांच साल के दो कार्यकाल तक काम कर सकता है। अपनाअधिकतम कार्यकाल पहले ही पूरा कर चुके स्वतंत्र निदेशकों के लिए अतिरिक्त 10 वर्ष का समय दिया गया था। इस अतिरिक्त 10 वर्ष की अवधि को ‘ग्रैंडफादरिंग पीरियड’ के तौर पर जाना जाता है। उद्योग के विश्लेषकों का कहना है कि कई कंपनियां स्वतंत्र निदेशकों को पहले ही शामिल कर चुकी हैं या ऐसा करने की प्रक्रिया में हैं।

प्रमुख सलाहकार फर्म इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, ‘अगर किसी कंपनी में न्यूनतम जरूरत के अनुसार स्वतंत्र निदेशक नहीं है तो उसे तीन महीने के भीतर यह पद भरना होगा और शेयरधारकों से मंजूरी लेनी होगी। बड़ी तादाद में कंपनियां अपने बोर्ड में नए स्वतंत्र निदेशकों को शामिल करेंगी। इससे नए लोग आ सकते हैं क्योंकि कई लोगों ने परीक्षा पास करने के बाद निदेशक के तौर पर पंजीकरण करा लिया है।’

जब पुराने निदेशकों को 10 साल की अतिरिक्त ग्रैंडफादरिंग अवधि मिल गई थी, तब भी भारतीय उद्योग जगत ने पुराने निदेशकों को बदलने के मामले में धीमें कदम उठाए। वित्त वर्ष 2021 के अंत में 235 कंपनियां ऐसी थीं जिनमें कम से कम एक स्वतंत्र निदेशक ऐसा था जो 10 साल से ज्यादा समय से था। वित्त वर्ष 2022 में यह संख्या घटकर 213 रह गई और वित्त वर्ष 2023 के आखिर में 198 दर्ज की गई।

ताजा आंकड़े का तुरंत पता नहीं लग सका है। मध्य मार्च के आसपास प्राइम इन्फोबेस द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे स्वतंत्र निदेशकों की संख्या 476 थी जो शीर्ष-500 एनएसई सूचीबद्ध कंपनियों में 10 साल या उससे ज्यादा समय तक सेवा दे चुके थे। प्रशासनिक मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि नए स्वतंत्र निदेशकों को शामिल करना उतना आसान काम नहीं है, जितना पहले हुआ करता था।

कैटालिस्ट एडवायजर्स के प्रबंध निदेशक केतन दलाल ने कहा, ‘व्यावसायिक परिवेश में पिछले दशक में जटिलताएं काफी बढ़ी हैं और नियमों को भी पहले के मुकाबले ज्यादा जटिल एवं सख्त बनाया जा रहा है। इस वजह से नए निदेशकों (खासकर वे जो बोर्ड में नए हैं) को उस क्षेत्र से अच्छी तरह से वाकिफ होने की जरूरत होगी जिसमें कंपनी परिचालन करती है। साथ ही उन्हें संबंधित क्षेत्र से जुड़े जोखिमों एवं नियमों को समझने की भी जरूरत होगी।’

इसके अलावा कंपनी कानून के तहत उनको स्वतंत्र निदेशक की जिम्मेदारियों के बारे में मोटी समझ होनी चाहिए। इन सब जटिलताओं के होते हुए भी नए निदेशकों को शामिल करने के कदम को कंपनी प्रशासन और व्यापक संरचना में सुधार के अवसर के रूप में देखा जाता है।

इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवायजरी सर्विसेज (आईआईएएस) ने भारतीय उद्योग जगत के बोर्ड की संरचना पर अपने एक ताजा अध्ययन में कहा था, ‘2024 एक ऐसा वर्ष है जिसमें कॉरपोरेट इंडिया के पास अपने बोर्ड ढांचे को पुनर्गठित करने का अवसर है।’

First Published : April 4, 2024 | 9:31 PM IST