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ऊंची ईंधन कीमतों से एयरलाइनों की बढ़ रही चिंता

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:47 PM IST

विश्लेषकों को आशंका है कि इंडिगो की उड़ान में विलंब की समस्या से संकेत मिलता है कि भारतीय विमानन क्षेत्र बेहद प्रतिस्पर्धी परिवेश के कगार पर बढ़ सकता है। उनका कहना है कि तीन नई कंपनियों-  एयर इंडिया ने अपने नए प्रबंधन, राकेश झुनझुनवाला की आकाश और फिर से उड़ान भरने की तैयारी कर रही जेट एयरवेज के विमानन क्षेत्र ऊंचे मार्जिन दबाव की वजह से तेजी से बढ़ रहे कर्मचारी खर्च से जूझने को तैयार है।
केआर चोकसी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स में प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी ने कहा, ‘समस्याएं इंडिगो, स्पाइसजेट और गो एयर की राह में आएंगी। बढ़ती लागत और मार्जिन दबाव से समस्या पैदा हुई है।  यह समस्या अपरिहार्य है।’
पिछले सप्ताह, एयरलाइन के कई चालक दल सदस्यों के काम पर नहीं आने की वजह से इंडिगो द्वारा परिचालित 50 प्रतिशत से ज्यादा उडानों में विलंब हुआ। रिपोर्टों से पता चलता है कि इस एयरलाइन का स्टाफ एयर इंडिया जैसी कंपनियों में नौकरी तलाशने के लिए इंटरव्यू देने चला गया था, लेकिन इस वजह से आखिरी समय में एयरलाइन का परिचालन खतरे में पड़ गया। रिपोर्टों से पता चलता है कि टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया के साथ साथ जेट एयरवेज और आकाश एयर ने व्यापक नियुक्ति अभियान चलाया है।
इन घटनाक्रम के बाद, इंडिगो का शेयर सोमवार को दिन के कारोबार में 4 प्रतिशत गिर गया। वहीं स्पाइसजेट तथा जेट एयरवेज भी कारोबार के आखिर में करीब 1.65 प्रतिशत और 1  प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए। विश्लेषकों के अनुसार, भारतीय विमानन  क्षेत्र भी आईटी क्षेत्र जैसी समस्याएं देख रहा है, जिसमें ऊंची एंट्रीशन दर ने प्रबंधन को दो अंक के वेतन भुगतान, हेल्थकेयर लाभ जैसी सुविधाएं देने के लिए बाध्य किया है।
इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, ‘टाटा की एयर इंडिया के अधिग्रहण और जेट एयरवेज तथा आकाश एयरवेज के प्रवेश से भारतीय आईटी की तरह विमानन क्षेत्र में एक नए ट्रेंड की शुरुआत देखी जा सकती है, जिसमें हम अचानक एट्रीशन दर में यानी कर्मियों द्वारा नौकरी बदलने के सिलसिले में तेजी देख सकते हैं। दुर्भाग्य की बात यह भी है कि इस तरह की स्थिति तब सामने आई है जब विमानन ईंधन (एटीएफ) की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं, जिससे साथ साथ एयरलाइनों की बैलेंस शीट पर महामारी की वजह से पहले से ही दबाव पड़ा है और रुपये में गिरावट आ रही है। एक एयरलाइन ने नकारात्मक नेटवर्थ दर्ज की है जिससे ऊंचे कर्ज स्तरों का पता चलता है। यह अच्छा संकेत नहीं है।’
चिंताओं का असर?
विश्लेषकों का मानना है कि इन सब नकारात्मक बदलावों से मार्जिन पर दबाव का पूरी तरह से असर बाजारों पर ही दिखा है, जिससे निकट भविष्य में शेयर कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है। एक स्वतंत्र विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, ‘एयरलाइनों को बढ़ते मार्जिन दबाव, किराया वृद्धि की सीमित गुंजाइश और अब सीमित प्रतिभाओं की वजह से मार्जिन पर दबाव बढ़ने का खतरा सता रहा है।’

First Published : July 5, 2022 | 12:11 AM IST