देश के कई राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव (Assembly) होने हैं। इसमें से हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में मतदान हो चुका है जबकि महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनावों की तारीख का अभी ऐलान नहीं हुआ है।
ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर (J&K) के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए कम बहुमत या यहां तक कि हार से शेयर बाजार में ज्यादा हलचल होने की संभावना नहीं है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजार (Stock Market) के पास चिंता करने के लिए बहुत बड़ी चीजें हैं, जैसे कि मिडिल ईस्ट में भू-राजनीतिक स्थिति और क्रूड ऑइल की कीमतों पर इसका प्रभाव।
साथ ही नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजे और आगामी घरेलू कॉरपोरेट नतीजे भी शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे। इसके अलावा निवेशकों की नजर अलग-अलग देशों के केंद्रीय बैंकों पर भी होगी जो ब्याज दरों को लेकर निर्णय लेंगे।
भाजपा की राज्यों में हुई हार, तो बाजार का क्या होगा जवाब ?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि सभी राज्य चुनावों – अब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र (नवंबर में चुनाव) और दिल्ली (फरवरी में चुनाव) में भाजपा की पूरी तरह से हार एक अस्थायी प्रतिक्रिया को जन्म दे सकती है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के फाउंडर और रिसर्च प्रमुख जी चोकालिंगम के अनुसार, बाजार ने लोकसभा चुनावों के नतीजों से संकेत लिया है और इस हद तक, वे पहले से ही इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि अब राज्य चुनावों में क्या हो सकता है।
उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र को छोड़कर, अन्य सभी राज्य लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में छोटे हैं। इसलिए, इन राज्यों के चुनाव परिणामों का असर बाज़ारों पर कम ही पड़ेगा। वर्तमान स्थिति को देखें तो मीडिल ईस्ट में चल रही भू-राजनीतिक तनाव के कारण क्रूड ऑइल की कीमतें कैसे व्यवहार करती हैं, इस पर डॉमेस्टिक मार्केट का अधिक ध्यान रहेगा।”
एग्जिट पोल में कांग्रेस के वापसी के संकेत
इस बीच, एग्जिट पोल में लगभग एक दशक के बाद हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की सत्ता में वापसी का अनुमान जताया गया है। हालांकि, एग्जिट पोल में जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु नतीजे देखने को मिल सकते है जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन 46 के बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंच सकता है।
स्वतंत्र बाजार एनालिस्ट अंबरीश बालिगा ने कहा, “बाजार ने राज्य चुनावों के नतीजों को काफी हद तक प्रभावित किया है। हालांकि, महाराष्ट्र प्रमुख राज्य बना हुआ है। वहां हार से नेगेटिव रिस्पांस हो सकता है। वहीं, अगले कुछ दिनों में बाजार को चिंता करने के लिए कई अन्य चीजें हैं जैसे कि पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक संकट, आरबीआई का ब्याज दरों पर फैसला और कंपनियों के नतीजे का प्रभाव। यह सब बाजार को शार्ट-से-मध्यम अवधि में अस्थिर रख सकते हैं।”
कृषि राजनीति और राज्य चुनाव
विश्लेषकों का मानना है कि राज्य चुनावों के नतीजे, विशेष रूप से हरियाणा और महाराष्ट्र में, ‘कृषि राजनीति’ के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। इन राज्यों के नतीजे तय करेंगे कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की मांगों से कैसे निपटती हैं।
नोमुरा के विश्लेषकों के अनुसार, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे कृषि प्रधान राज्यों में चुनावों के साथ, सरकार के हस्तक्षेप का उद्देश्य फूड कंज्यूमर और खाद्य उत्पादकों के हितों को संतुलित करना है। नोमुरा में भारत और एशिया पूर्व-जापान की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने ऑरोदीप नंदी के साथ सह-लेखक एक हालिया नोट में लिखा है कि “खाने-पीने की चीजों की बहुत कम कीमतें किसानों के लिए नकारात्मक हैं।”
विश्लेषकों ने कहा कि टेक्नीकल दृष्टिकोण से सेंसेक्स को 100 दिन के मूविंग एवरेज (डीएमए) पर 79,572 के स्तर के पास महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त है।