मार्च में प्रस्तावित जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के आईपीओ को लेकर पैदा हुए उत्साह के बावजूद बाजार विश्लेषकों का मानना है कि ताजा अनिश्चितताओं ने भारत समेत सभी वैश्विक वित्तीय बाजारों में भारी गिरावट को बढ़ावा
दिया है।
बड़े आकार को देखते हुए भारत को ‘सऊदी अरामको घटनाक्रम’ के तौर पर देखते हुए सरकार ने सरकार के स्वामित्व वाली इस बीमा कंपनी में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाकर 65,000 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना बनाई है। वर्ष 2019 में, सऊदी अरेबियन ऑयल कंपनी (अरामको) दुनिया का सबसे बड़ा आईपीओ लेकर आई थी, जिसमें सऊदी सरकार ने इसमें महज 1.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 25.6 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई थी।
यूबीएस में कार्यकारी निदेशक एवं भारतीय रणनीतिकार सुनील तिरुमलाई ने 20 जनवरी को तैयार की गई रिपोर्ट में कहा, ‘एलआईसी निर्गम के बड़े आकार का मतलब है कि इससे बाजार की दिलचस्पी की भी परख होगी। वर्ष 2021 में 34 अरब डॉलर (जिसमें आईपीओ का योगदान 16 अरब डॉलर का रहा) की रिकॉर्ड पूंजी उगाही दर्ज की गई थी।’
लेकिन सवाल उठता है कि अभी सही समय है? ऐतिहासिक तौर पर, पिछले 15 वर्षों में कई बड़े आकार के आईपीओ बाजार के उतार-चढ़ाव भरे दौर में आए और उनके शेयरों ने कमजोर प्रदर्शन किया है। जहां मूल्य निर्धारण/मूल्यांकन वन 97 कम्युनिकेशंस जैसे कुछ मामलों में कमजोर लग रहा है, वहीं कोल इंडिया और रिलायंस पावर वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) के दौरान बाजार में आईं। एसबीआई काड्र्स भी 16 मार्च 2020 को सूचीबद्घ हुई थी, भारत समेत कई वैश्विक वित्तीय बाजारों में कोविड संबंधित सख्ती से ठीक पहले।
जूलियस बेयर के मुख्य कार्याधिकारी आशिष गुमस्था का मानना है, ‘एलआईसी के आकार को कई महीनों की योजना और विचार-विमर्श की जरूरत होती है। हम इसलिए पूरी प्रक्रिया के लिए सिर्फ इस पर निर्भर नहीं कर सकते कि हम अस्थायी तौर पर अस्थायी तेजी के बाजार में गिरावट के मध्य में हैं। ऐसी गिरावट तेजी के बाजारों का मुख्य तौर पर हिस्सा होती हैं, और आप सफलता के लिए आईपीओ की समय-सीमा की योजना नहीं तय कर सकते।’
कुछ विश्लेषक बाजारों के लिए कई समस्याएं देख रहे हैं जिनसे उन्हें अगले कई महीने अस्थिर रहने की आशंका दिख रही है, जो एलआईसी जैसे निर्गम के लिए ज्यादा उपयुक्त परिदृश्य नहीं लग रहा है। हालांकि इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम का मानना है कि यदि निवेशक को पेश की जाने वाली कीमत आकर्षक रही तो इस निर्गम को अच्छी प्रतिक्रिया मिलने की संभावना है।
उनका कहना है कि बाजार हालात उपयुक्त नहीं हैं, लेकिन फिर भी एलआईसी निर्गम सफल साबित हो सकता है, क्योंकि इसे पॉलिसीधारकों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) से मदद मिल सकेगी। पिछले 10 साल में एलआईसी ने पीएसबी में करोड़ों रुपये का निवेश किया है। अब यह समय है कि पीएसबी से एलआईसी के इक्विटी निर्गम को मदद मिलेगी। पीएसबी भी अब कुछ हद तक बेहतर स्थिति में हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों के समेकन से उनके बैलेंस शीट आकार को भी ताकत मिली है। उनके एनपीए में कमी आई है और ऋण वृद्घि की रफ्तार तेज हुई है तथा यह महामारी के दौरान जहां करीब 5 प्रतिशत के निचले स्तर पर थीं वहीं अब बढ़कर 8 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई है।