Adani Hindenburg Case: अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) और अदाणी ग्रुप (Adani Group) के बीच में अब मार्केट रेगुलेटर भी आ गया है। हिंडनबर्ग ने कहा है कि उसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) से 27 जून को एक ‘कारण बताओ’ नोटिस मिला है जिसमें ‘भारतीय नियमों के संदिग्ध उल्लंघनों’ की बात की गई है और आरोप लगाया कि सेबी ने जनवरी 2023 की रिपोर्ट जारी होने के बाद अदाणी ग्रुप की मदद की।
हिंडनबर्ग ने मंगलवार को एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, ‘भारतीय बाजार में सोर्सेज के साथ चर्चा से हमारी समझ है कि हमारी जनवरी 2023 की रिपोर्ट प्रकाशित होने के तुरंत बाद सेबी की अदाणी को गुप्त सहायता शुरू हो गई।’
हिंडनबर्ग ने कहा, ‘हमारी रिपोर्ट के बाद, हमें बताया गया कि सेबी ने पर्दे के पीछे ब्रोकरों पर महंगी, लगातार जांच की धमकी के तहत अदाणी में शॉर्ट पोजीसंस को बंद करने के लिए दबाव डाला, प्रभावी ढंग से खरीदारी का दबाव बनाया और एक महत्वपूर्ण समय में अदाणी के शेयरों के लिए ‘फ्लोर’ स्थापित किया।’
कंपनी ने कहा कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने रेगुलेटर को आरोपों की जांच करने के लिए कहा था, इसके बाद सेबी ने ‘हमारी रिपोर्ट की कई महत्वपूर्ण जानकारियों पर सहमति जताई। बाद में, सेबी ने कहा कि वह आगे की जांच करने में असमर्थ है।’
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि पिछले महीने अदाणी समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) जुगेशिंदर सिंह ने कहा कि ग्रुप की ओर से रेगुलेटर नोटिस ‘तुच्छ’ (trivial) थे।
यह जोड़ते हुए कि गौतम अदाणी ने 2022 में दो बार Sebi की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच से मुलाकात की थी, हिंडनबर्ग ने कहा, ‘यह आत्मविश्वास शायद सेबी के साथ अदाणी के संबंधों के कारण हो सकता है।’
हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि वह एक सूचना का अधिकार (RTI) अप्लीकेशन फाइल करेगा ‘जिसमें सेबी के कर्मचारियों के नाम मांगे जाएंगे जो अदाणी और हिंडनबर्ग मामलों पर काम कर रहे थे, साथ ही सेबी और अदाणी और उसके विभिन्न प्रतिनिधियों के बीच बैठक और कॉल का विवरण भी मांगा जाएगा।’
अमेरिकी फर्म ने कहा, ‘हम सेबी की प्रतिक्रिया का इंतजार करेंगे कि क्या वह अपनी जांच पर बुनियादी पारदर्शिता प्रदान करेगा।’
46 पेज के नोटिस में, जिसे हिंडनबर्ग ने पोस्ट के साथ अटैच किया था, सेबी ने कहा कि पिछले साल जनवरी में जारी रिपोर्ट में ‘कुछ गलत बयानी/असत्य कथन’ थे जो ‘पाठकों को गुमराह करने’ के लिए थे।
हिंडनबर्ग ने कहा, ‘हमारे विचार में, सेबी ने अपनी जिम्मेदारी की उपेक्षा की है, ऐसा प्रतीत होता है कि वह धोखाधड़ी करने वाले निवेशकों की रक्षा करने के बजाय धोखाधड़ी करने वालों की रक्षा करने के लिए अधिक प्रयास कर रहा है।’ फर्म ने यह भी कहा कि अदाणी ‘थीसिस’ में उसका एक निवेशक साझेदार था।
हिंडनबर्ग ने कहा, ‘हमने उस निवेशक संबंध से अदाणी शॉर्ट्स से संबंधित लाभ के माध्यम से सकल राजस्व (gross revenue) में 4.1 मिलियन डॉलर कमाए हैं। हमने अपनी रिपोर्ट में अदाणी के अमेरिकी बॉन्ड के अपने शॉर्ट से सिर्फ 31,000 डॉलर कमाए।’
ब्लॉग पोस्ट में लिखा था, ‘कानूनी और रिसर्च खर्चों (समय, वेतन/मुआवजा, और 2 साल की वैश्विक जांच की लागत सहित) को घटाने के बाद, हम अपने अदाणी शॉर्ट पर ब्रेक ईवन से थोड़ा आगे निकल सकते हैं।’
शॉर्ट सेलर ने कहा कि उनके लिए ‘अदाणी थीसिस कभी भी फाइनेंशियली उचित नहीं थी। लेकिन, अब तक, अदाणी पर हमारा रिसर्च सबसे अधिक गर्व का काम है।’
हिंडनबर्ग ने कहा कि इस जांच के साथ, भारतीय निवेशकों को एक ‘जोरदार’ मैसेज दिया गया है। आपके पास धोखाधड़ी से कोई वास्तविक सुरक्षा नहीं है। भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस प्रभावशाली लोगों के लिए एक मिथक (myth) है।’
जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अदाणी ग्रुप पर टैक्स हेवन के अनुचित उपयोग और स्टॉक में हेरफेर के आरोपों के बाद, सेबी ने अरबपति गौतम अदाणी (Gautam Adani) द्वारा संचालित अदाणी ग्रुप की जांच की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में कहा कि अदाणी समूह को मार्केट रेगुलेटर की वर्तमान जांच से ज्यादा जांच का सामना नहीं करना पड़ेगा।