पिछले दिनों कई सरकारी बैंकों ने अपने प्राइम लेडिंग रेट (पीएलआर) में 0.5 फीसदी से एक फीसदी तक की बढ़ोतरी की।
उदाहरणस्वरुप स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने पीएलआर में एक फीसदी और जमा दरों में 0.5 से 0.75 फीसदी का इजाफा किया है।
ब्याज दरों में किए गए इस इजाफे से, जिसमें डिपॉजिट रेट में किया गया इजाफा भी शामिल है, से बैंकों के नेट इंट्रेस्ट मार्जिन को मदद मिलनी चाहिए। बैंकों को रेपो रेट में बढ़ोतरी की वजह से दरों में इजाफा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इसके अतिरिक्त केंद्रीय बैंक के कैश डिपॉजिट की हिस्सेदारी बढ़ाने का दिशा-निर्देश दिए जाने के बाद कई निजी क्षेत्र के बैंकों ने अपने लेंडिंग रेट बढ़ा दिए थे। कैश डिपॉजिट से बैंकों को कोई आय नहीं होती है। पीएलआर में की गई बढ़ोतरी से ब्यक्तिगत बारोअर्स की ओर से होने वाली मांग में कमी आ सकती है।
हालांकि कंपनियों की ओर से होने वाली मांग के बने रहने की संभावना है। यहां तक कि बैंक वित्त्तीय वर्ष 2009 में पिछले साल की अपेक्षा 20 फीसदी ज्यादा लेडिंग कर सकते हैं। वित्त्तीय वर्ष 2008 में कंपनियों के दिए जाने वाले कर्ज में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। पीएसयू बैंकों के स्टॉक की कीमतों में जनवरी से अब तक काफी करेक्सन हुआ है और उनका कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से एक फीसदी से 1.4 फीसदी के दायरे में हो रहा है।
थर्मेक्स-बढ़े ऑर्डर
पिछले महीन के दौरान 3,484 करोड़ की थर्मेक्स ने अपनी ऑर्डर बुक में 44 फीसदी का इजाफा देखा। जून 2008 तक इस पुणे की कंपनी के बैकलॉग ऑर्डर 284 करोड़ रुपए तक थे, जो अब 405 करोड़ तक पहुंच गए हैं।
कुछ बड़े सौदों के मिलने से भी कंपनी को अपनी ऑर्डर बुक को बढ़ानें में मदद मिली। इस बेहतरीन ऑर्डर फ्लो से कंपनी को वित्त्तीय वर्ष 2008 में किए गए अपने प्रदर्शन से मुक्ति मिल सकती है। वित्त्तीय वर्ष 2008 में कंपनी को ठीक-ठाक ऑर्डर नहीं मिले थे। इसी वजह से यह उस वित्त्तीय वर्ष में अंडरपरफार्मर रहा था।
जून की तिमाही में थर्मेक्स के राजस्व में 8.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 772 करोड़ पर पहुंच गया। कंपनी ने इस दौरान 56 फीसदी की सालाना बढ़त अर्जित की। कंपनी ने ज्यादा मात्रा में एयर और वॉटर सॉल्यूशन इक्विपमेंट बेचे। जून की तिमाही में कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में सालाना आधार पर 1.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 12 फीसदी के स्तर पर रहा।
थर्मेक्स के राजस्व के वित्त्तीय वर्ष 2009 में 13.14 फीसदी बढ़कर 3,960 करोड़ के करीब रहने की संभावना है। कंपनी का शुध्द लाभ भी नौ से दस फीसदी बढ़कर 320 करोड़ रहना चाहिए। मौजूदा मूल्य 502 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 19 गुना के स्तर पर हो रहा है।