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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में फिर से खरीदारी शुरू कर दी है और इस महीने कुल ₹14,610 करोड़ का शुद्ध निवेश किया। यह तीन महीने की लगातार निकासी के बाद पहला बड़ा रुख बदलाव है। इस महीने कुल ₹14,610 करोड़ का शुद्ध निवेश किया। यह तीन महीने की लगातार निकासी के बाद पहला बड़ा रुख बदलाव है। जुलाई से सितंबर तक FPIs ने क्रमशः ₹17,700 करोड़, ₹34,990 करोड़ और ₹23,885 करोड़ निकाल चुके थे। विशेषज्ञों के अनुसार, मजबूत कॉर्पोरेट कमाई, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की संभावनाओं ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के प्रिंसिपल, हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि बाजार में सुधार और कंपनियों के मजबूत कॉर्पोरेट नतीजों ने निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने यह भी बताया कि घटती महंगाई, नरम ब्याज दर की उम्मीद और घरेलू सुधार, जैसे कि GST में आसानियां, निवेशकों के लिए सहारा बनी हैं।
एंजेल वन के सीनियर फंडामेंटल एनालिस्ट, वकार जावेद खान ने कहा कि अक्टूबर में निवेश बढ़ने के पीछे Q2 FY26 के अच्छे नतीजे, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 25 बेसिस प्वाइंट की दर कटौती और अमेरिका-भारत ट्रेड डील की उम्मीदें मुख्य कारण रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता बनी रहती है और कंपनियों की कमाई में सुधार जारी रहता है, तो विदेशी निवेशक आगे भी शेयर बाजार में निवेश जारी रख सकते हैं। Geojit Investments के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट, वीके विजयकुमार ने कहा, “अभी स्पष्ट संकेत हैं कि कमाई में सुधार हो रहा है। अगर मांग मजबूत बनी रहती है, तो वैल्यूएशन सुधारेंगे और FPIs निवेश जारी रख सकते हैं।”
डेट मार्केट में अक्टूबर में FPIs ने सामान्य सीमा के तहत लगभग ₹3,507 करोड़ निवेश किया, जबकि वॉलंटरी रिटेंशन रूट के माध्यम से ₹427 करोड़ निकाले।
2025 में अब तक FPIs ने कुल मिलाकर लगभग ₹1.4 ट्रिलियन की निकासी की है।