अमेरिका में महंगाई में नरमी और तेल के दामों में स्थिरता आने के बीच विदेशी निवेशकों (FPI) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में दिसंबर महीने में अब तक करीब 10,555 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। नवंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय बाजारों में 36,200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि एक से 16 दिसंबर के बीच FPI ने 10,555 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है और इसके पीछे वजह डॉलर सूचकांक का कमजोर पड़ना और काफी हद तक सकारात्मक व्यापक आर्थिक रूझान हैं। इससे पहले, सितंबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 7,624 करोड़ रुपये और अक्टूबर में आठ करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार का मानना है कि विदेशी पूंजी का प्रवाह वैश्विक घटनाक्रमों पर निर्भर करेगा। डॉलर सूचकांक और अमेरिकी बांड का प्रतिफल अमेरिका में मुद्रास्फीति के स्तर पर निर्भर करेगा।
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि आने वाले समय में FPI से आने वाला पूंजी प्रवाह अस्थिर रह सकता है क्योंकि दुनिया भर के बाजारों में अस्थिरता बढ़ रही है। इसकी वजह यह है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए लंबे समय तक ब्याज दरों को ऊंचे स्तर पर रखने का इरादा जताया है।
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भारत को छोड़कर फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, ताइवान, थाईलैंड और इंडोनेशिया समते सभी उभरते बाजारों में दिसंबर में अब तक FPI प्रवाह नकारात्मक रहा है।