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F&O प्रस्तावों से ऑप्शन की चमक बढ़ने के आसार, छोटे निवेशकों के लिए एंट्री बैरियर होगा कठिन

ऑप्शन में सौदे 500 रुपये से कम पर हो सकते हैं। इसकी वजह से ऑप्शंस सेगमेंट की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।

Last Updated- July 31, 2024 | 10:37 PM IST
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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा डेरिवेटिव ढांचे के लिए इंडेक्स डेरिवेटिव्स अनुबंध आकार में प्रस्तावित वृद्धि से पहले से ही लोकप्रिय एवं ज्यादा जोखिम वाले ऑप्शंस सेगमेंट का आकर्षण अब और बढ़ सकता है।

नियामक ने प्रस्ताव रखा है कि डेरिवेटिव्स अनुबंध की न्यूनतम वैल्यू शुरुआत के समय 15 लाख रुपये और 20 लाख रुपये के बीच होनी चाहिए। सेबी ने परामर्श पत्र में कहा है कि 6 महीने के बाद, इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच किया जाना चाहिए। मौजूदा समय में, डेरिवेटिव अनुबंध की न्यूनतम वैल्यू करीब 5 लाख रुपये है। बड़े अनुबंध आकार का मकसद छोटे निवेशकों के लिए एंट्री बैरियर बढ़ाना यानी एक तरह से हतोत्साहित करना है।

वायदा सेगमेंट के लिए एंट्री बैरियर ऑप्शंस की तुलना में पहले ही अधिक है। ऑप्शन में सौदे 500 रुपये से कम पर हो सकते हैं। इसकी वजह से ऑप्शंस सेगमेंट की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।

मौजूदा समय में, इंडेक्स ऑप्शंस की पूरे वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) कारोबार में 29 फीसदी भागीदारी है। यह भागीदारी वित्त वर्ष 2020 के महज 5 फीसदी से काफी बढ़ गई है। इस बीच, इंडेक्स फ्यूचर्स की भागीदारी अब महज 15 फीसदी है, जो वित्त वर्ष 2020 में 29
फीसदी थी।

सेबी का प्रस्ताव सरकार द्वारा ऑप्शंस की बिक्री पर प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) 0.0625 फीसदी से बढ़ाकर 0.1 फीसदी और प्रतिभूतियों में वायदा की बिक्री पर इसे 0.0125 फीसदी से बढ़ाकर (1 अक्टूबर से लागू) 0.02 फीसदी किए जाने के एक सप्ताह बाद आया है। विश्लेषकों का कहना है कि इन बदलावों से ऑप्शंस ट्रेडिंग का आकर्षण और ज्यादा बढ़ जाएगा।

जीरोधा के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत ने एक्स पर लिखा है, ‘चाहे बजट में एसटीटी बढ़ाया गया हो या अनुबंध आकार बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया हो, मौजूदा बदलावों से वायदा कारोबारियों को ऑप्शंस की ओर बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।’

उन्होंने लिखा है, ‘जीरोधा में मैंने जो देखा है, उसके अनुसार वायदा कारोबारियों के पास ऑप्शन खरीदारों की तुलना में पैसे कमाने की अधिक संभावना है। सकल आधार पर, वायदा कारोबारी लगभग 50 फीसदी समय लाभ कमाते हैं, जबकि ऑप्शन कारोबार केवल 10 फीसदी बार ही लाभ कमाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऑप्शंस लगभग असीमित लीवरेज से जुड़ा है जबकि वायदा पर यह छह गुना (सूचकांक के लिए 15 फीसदी) तक सीमित है।’

सेबी ने ऑप्शन के संबंध में भी सख्ती बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें खरीदारों से ऑप्शन प्रीमियम के अग्रिम संग्रह शामिल है।

कैपिटल माइंड के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी दीपक शिनॉय ने कहा कि ज्यादातर लोग एक्सपायरी के दिन बड़े दांव के तौर पर कम लागत वाले विकल्पों पर ध्यान दे सकते हैं और विक्रेता केवल प्रीमियम खाने की तलाश में रहते हैं।

वित्त वर्ष 2024 में, नकद बाजार सेगमेंट ने 217 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया। प्रीमियम आधार पर कुल डेरिवेटिव खंड का कारोबार इसका 2.2 गुना 482 लाख करोड़ रुपये रहा।

First Published - July 31, 2024 | 10:36 PM IST

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