वर्ष 2008 में वित्तीय संकट और महंगाई ने भले ही लोगों की कमर तोड़ दी हो, लेकिन विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में अपने आप को पंजीकृत कराने की प्रक्रिया में कोई कमी नहीं आई है।
बीते साल करीब 376 विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सेबी के पास अपना पंजीकरण करवाया है जो एक रिकॉर्ड बढ़ोतरी है। एफआईआई पंजीकरण में आई इस तेजी का कारण सेबी द्वारा इनके पंजीकरण नियमों में वर्ष 2007 में दिए गए ढील को बताया जा रहा है।
पिछले साल इस रिकॉर्ड पंजीकरण के बाद भारत में पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़कर 1,595 तक पहुंच गई है। वर्ष 2007 में कुल 226 विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सेबी के पास अपना पंजीकरण करवाया था जबकि वर्ष 2006 में करीब 170 ने भारत में अपने कारोबार के लिए कार्यालय खोले थे।
गौरतलब है कि भारत में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने जमकर बिकवाली की है और पूरे साल उनके पोर्टफोलियो को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। लेकिन इसके बावजूद भारत में पंजीकृत एफआईआई की संख्या में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस बाबत एफआईआई के एक कंसल्टेंट ने कहा कि नए विदेशी निवेशकों में उनके नाम शुमार हैं जो पार्टिसिपेटरी नोट के जरिए भारत में निवेश करते आ रहे हैं। इसके अलावा कई ऐसे पेंशन फंड थे जिन्होंने घरेलू बाजार में पहली बार प्रवेश कि या था।
इन फंडों ने हाल में निवेश करना शुरू किया है। कंसल्टेंट ने कहा कि कुछ नए पंजीकृत विदेशी निवेशक निवेश करने के लिए कतार खड़े हैं लेकिन वे फिलहाल बाजार में कारोबारी स्थिति सुधरने का इंतजार कर रहे हैं।
जिन 376 नए एफआईआई ने भारत में प्रवेश किया है उनमें 165 अमेरिका से हैं जबकि पांच चीन के जबकि एक-एक बहरीन, ब्रुनेई, कीनिया, पोलेंड और थाईलैंड के हैं। कुछ अन्य देशों जैसे सिंगापुर, फ्रांस, ब्रिटेन आदि देशों से होनेवाले एफआईआई पंजीकरण दोगुना रहा।