भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अपना 21,000 करोड़ रुपये का आईपीओ सफल बनाने की हरसंभव कोशिश कर रही है। बीमा कंपनी को उ मीद है कि देश के बड़े कॉरपोरेट घराने और बैंक उसके आईपीओ में अपने आवेदन सौपेंगे। यह आईपीओ बुधवार को खुल रहा है।
एलआईसी कई भारतीय कंपनियों में सबसे बड़ी गैर-प्रवर्तक शेयरधारक है। दरअसल, सरकार के स्वामित्व वाली बीमा कंपनी की नि टी-50 की 47 कंपनियों में 1 प्रतिशत से ज्यादा भागीदारी है। इन 47 कंपनियों में एलआईसी की संयुक्त भागीदारी 7.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
एलआईसी के चेयरमैन एमआर कुमार ने कहा, ‘जिन कंपनियों में हमने निवेश किया है, उनमें से ज्यादातर ने अच्छा प्रदर्शन किया है। उनमें से कई अच्छा लाभांश दिया है। हमने खरीदारी और बिकवाली की रणनीति अपनाई है और बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किया है। यदि आप किसी सूचीबद्घ बैंक का जिक्र करते हैं तो उसके पास अपने ट्रेजरी सेगमेंट इक्विटी सेगमेंट होते हैं। हमारा मानना है कि उनसे मदद मिलेगी।’
कंपनियों को किसी आईपीओ के कथित गैर-संस्थागत निवेशक (एनआईआई) हिस्से में निवेश की अनुमति होती है। करीब 15 प्रतिशत शेयर एनआईआई के लिए आरक्षित होते हैं। 2 लाख रुपये से ज्यादा के आवेदन पेश करने वाले लोगों को इस श्रेणी में शामिल किया जाता है और सामान्य तौर पर उनके लिए अमीर निवेशक यानी एचएनआई कोटे के तौर पर संदर्भित किया जाता है।
पेश दस्तावेज के अनुसार एलआईसी आईपीओ के लिए करीब 2.965 करोड़ शेयर (2,814 करोड़ रुपये मूल्य के) कीमत प्राइस बैंड के ऊपरी दायरे में एनआईआई कोटा में उपलब्ध हैं।
इस आईपीओ में मदद कर रहे कंपनी और निवेश बैंकों को उ मीद है कि बैंक और कॉरपोरेट ट्रेजरी एनआईआई कोटे में मौजूद एक-तिहाई से ज्यादा शेयर खरीदेंगे। हालांकि सेकंडरी बाजार में उतार-चढ़ाव और बड़े निर्गम आकार को देखते हुए वे सभी निवेशक श्रेणियों से भागीदारी की उ मीद कर रहे हैं, नि सिर्फ किसी एक श्रेणी पर निर्भर हैं।
करीब 9,379 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर कथित पात्र संस्थागत खरीदार (क्यूआईबी) सेगमेंट के तहत उपलब्ध होंगे। इनमें से करीब 5,600 करोड़ रुपये एंकर निवेशकों को आवंटित किए जाएंगे। इस बीच, 6,565 करोड़ रुपये के शेयर रिटेल निवेशकों (2 लाख रुपये तक निवेश करने वालों के लिए), 2,100 करोड़ रुपये के शेयर पॉलिसीधारकों और अन्य 150 करोड़ रुपये के शेयर कर्मचारियों के लिए आरक्षित हैं।
कुमार ने कहा, ‘निवेशक दिलचस्पी काफी अच्छी रही है। जहां तक घरेलू निवेशकों का सवाल है, यह दिलचस्पी मजबूत है। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) इसे लेकर चिंतित हैं। लेकिन लॉन्ग-ओनली फंड अभी इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उन्हें अगले साल निकासी के हिसाब से पैसा नहीं लगाना है। इसलिए वे लंबी अवधि के लिए पैसा लगाने पर विचार कर रहे हैं।’
प्राइम डेटाबेस के अनुसार, दिसंबर तिमाही के अंत में, एलआईसी की इक्विटी भागीदारी 9.53 लाख करोड़ रुपये मूल्य के साथ 278 सूचीबद्घ कंपनियों में थी।
एलआईसी की बड़ी और विविध इक्विटी शेयरधारिता को देखते हुए कुमार कंपनी की तुलना एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) से करते हैं।
इंडसइंड का एकल मुनाफा 55 फीसदी उछला
इंडसइंड बैंक का एकल शुद्ध लाभ मार्च तिमाही में 55.5 फीसदी की उछाल के साथ 1,361.37 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 875.95 करोड़ रुपये रहा था।
मार्च तिमाही में कंपनी की ब्याज आय 5.93 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 7,859.89 करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की समान अवधि में 7,419.36 करोड़ रुपये रही थी।
बैंक का सकल एनपीए तिमाही में 2.27 फीसदी रहा, जो दिसंबर तिमाही में 2.48 फीसदी और पिछले साल की समान तिमाही में 2.67 फीसदी रहा था।
बैंक ने इस अवधि में 1,463.52 करोड़ रुपये का प्रावधान किया, जो दिसंबर तिमाही में 1,654 करोड़ रुपये और पिछले साल की समान अवधि में 1,865.69 करोड़ रुपये रहा था। बीएस