प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत में 8 लाख करोड़ रुपये मूल्य का एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) सेगमेंट कारोबार के मोर्चे पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2025 में शेयर बाजार में नियामकीय बदलावों और उतार-चढ़ाव की वजह से एक्सचेंजों पर ईटीएफ के लेनदेन में तेज इजाफा हुआ है। एनएसई की एक रिपोर्ट के अनुसार एनएसई इंडेक्स को ट्रैक करने वाले सभी ईटीएफ ने वित्त वर्ष 2025 में एक्सचेंज पर 3.8 लाख करोड़ रुपये का कारोबार दर्ज किया जो वित्त वर्ष 2024 के 1.8 लाख करोड़ रुपये के ट्रेडिंग वॉल्यूम का दोगुना से अधिक है।
ईटीएफ के कारोबार में यह जोरदार तेजी वित्त वर्ष 2025 में निवेश खातों में 43 प्रतिशत की वृद्धि और लगभग 50 नए ईटीएफ आने की वजह से दर्ज की गई। इस उछाल से निवेश खातों या फोलियो की संख्या उद्योग स्तर पर 2.7 करोड़ हो गई। मार्च 2025 के आखिर में ऐसी योजनाओं की संख्या 252 थी।
विश्लेषकों के अनुसार जहां पिछले कुछ वर्षों से ईटीएफ का विकल्प अपनाने और वॉल्यूम में तेजी से वृद्धि हो रही है, वहीं वर्ष 2022 के एक नियामकीय बदलाव ने इन योजनाओं में कारोबार को अतिरिक्त ताकत प्रदान की।.
डीएसपी फंड के पैसिव इन्वेस्टमेंट ऐंड प्रोडक्ट्स के प्रमुख अनिल घेलानी ने कहा, ‘दीर्घावधि बढ़ोतरी के कारकों के अलावा 2022 में 25 करोड़ रुपये से कम के लेनदेन के लिए एक्सचेंज माध्यम को अनिवार्य किया गया था। इस नियामकीय बदलाव ने वॉल्यूम वृद्धि में अहम योगदान दिया है।’
मिरै ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) में ईटीएफ प्रोडक्ट के प्रमुख और फंड मैनेजर सिद्धार्थ श्रीवास्तव के अनुसार वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में इक्विटी बाजार में अस्थिरता भी इसकी बढ़ोतरी में प्रमुख कारण रही। उन्होंने कहा, ‘एक प्रमुख कारण एएमसी (एएमसी) के माध्यम से डायरेक्ट लेनदेन के लिए न्यूनतम सीमा में वृद्धि करना है। इसकी वजह से संस्थागत निवेशकों ने 25 करोड़ रुपये से कम के लेनदेन के लिए एक्सचेंज का मार्ग अपनाया। दूसरा, डीमैट खातों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। पिछले छह महीनों के रुझान से स्पष्ट है कि निवेशक उन दिनों में ईटीएफ का उपयोग तेजी से करते हैं, जब बाजार में गिरावट आती है।’
विश्लेषकों का कहना है कि सोने की कीमतों में तेजी और ईटीएफ का सोने में निवेश के लिए पसंदीदा विकल्पों में से एक के रूप में उभरना भी एक कारण है जिससे ये योजनाएं निवेशकों को आकर्षित कर रही हैं।