सोमवार को बाजार में पेश हुए तीनों आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (आईपीओ) को निवेशकों ने हाथोहाथ लिया। बजाज हाउसिंग फाइनैंस के आईपीओ को दोगुने से ज्यादा आवेदन मिले और उसे अब तक 10,000 करोड़ रुपये की बोलियां मिल चुकी हैं। टोलिंस टायर्स के 230 करोड़ रुपये के आईपीओ को भी दो गुना बोलियां मिलीं जबकि ट्रैक्टरों और भारी वाहनों के लिए मूल उपकरण बनाने वाली क्रॉस के 500 करोड़ रुपये के आईपीओ को 90 फीसदी आवेदन मिले।
इस बीच, सोमवार को बंद हुए इंडस्ट्रियल पैकेजिंग प्रॉडक्ट्स कंपनी श्री तिरुपति बालाजी एग्रो ट्रेडिंग कंपनी के 170 करोड़ रुपये के आईपीओ को 124 गुना आवेदन मिले। पीएन गाडगिल ज्वैलर्स का 1,100 करोड़ रुपये का आईपीओ मंगलवार को खुलेगा। इन तीनों आईपीओ के एक साथ आने के बावजूद ज्यादातर के लिए मजबूत मांग देखने को मिली है। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि इससे बाजार से बाहर काफी नकदी होने का संकेत मिलता है।
उद्योग के प्रतिभागियों को उम्मीद है कि बजाज हाउसिंग फाइनैंस और पीएन गाडगिल ज्वैलर्स के आईपीओ को काफी ज्यादा आवेदन मिलेंगे। दोनों इश्यू को लेकर आशावाद ग्रे मार्केट प्रीमियम में दिखाई देता है। अभी बजाज समूह की कंपनी का जीएमपी 90 फीसदी है जबकि पीएन गाडगिल का जीएमपी करीब 50 फीसदी है। टोलिंस और क्रॉस का जीएमपी 20-20 फीसदी है।
इक्विरस के प्रबंध निदेशक और प्रमुख (इन्वेस्टमेंट बैंकिंग) भावेश शाह ने कहा कि ज्यादातर इश्यू अच्छी गुणवत्ता वाले कारोबारों के हैं। साथ ही संस्थागत निवेशक (मुख्य रूप से म्युचुअल फंड) कीमत को लेकर ड्यू डिलिजेंस और विचार-विमर्श करते हैं। शेयर बाजारों के सर्वोच्च स्तर पर होने के बावजूद प्राथमिक बाजार में निवेशकों ने अनुशासन दिखाया है और कारोबार को समझने और कीमत के विश्लेषण की कोशिश कर रहे हैं।
बाजार के प्रतिभागियों को उम्मीद है कि इस हफ्ते बाजार में उतरे चारों आईपीओ की बोली कुल मिलाकर 2 लाख करोड़ रुपये से तीन लाख करोड़ रुपये के बीच होगी जो कुल 8,390 करोड़ रुपये जुटाने जा रहे हैं। कुछ को द्वितीयक बाजार के प्रदर्शन पर असर की आशंका है क्योंकि ये इश्यू शेयर बाजार से काफी नकदी अपनी तरफ ले सकते हैं।
एक निवेश बैंकर ने कहा, बजाज हाउसिंग और पीएन गाडगिल जैसे इश्यू की भारी मांग के देखते हुए शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध अधिशेष नकदी पर कुछ असर पड़ सकता है। अगर वैश्विक बाजार स्थिर रहते हैं तो असर नहीं भी महसूस होगा। हालांकि अगर अमेरिकी रोजगार के निराशाजनक आंकड़ों के कारण वैश्विक जोखिम उभरता है तो हम देसी बाजारों पर भी कुछ दबाव देख सकते हैं।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा कि बड़े इश्यू में पहले भी बाजार की नकदी जाती रही है। लेकिन हर महीने बाजार में सीधे इक्विटी निवेश और म्युचुअल फंडों के जरिये मजबूत निवेश को देखते हुए अब ऐसा मामला नहीं है। इसके अतिरिक्त अस्बा की व्यवस्था ने फंड इधर-उधर करने के लिए काफी लचीलापन मुहैया करा दिया है। ऐप्लिकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट यानी अस्बा एक ऐसी व्यवस्था है जहां आईपीओ आवेदन की रकम तब तक निवेशक के खाते में रहती है जब तक कि उसे शेयर आवंटित नहीं हो जाते।