ग्रामीण मांग और जिंसों की लागत के मोर्चे पर कई तरह के अवरोध के बावजूद एफएमसीजी क्षेत्र की दिग्गज डाबर इंडिया दिसंबर 2021 में समाप्त तीसरी तिमाही में बाजार की उम्मीदों पर खरी रही। इसके अतिरिक्त विभिन्न श्रेणियों में बाजार हिस्सेदारी हासिल करने, नए सेगमेंट मसलन स्नैक्स में पोर्टफोलियो का विस्तार और वितरण में विस्तार से कंपनी को आने वाले समय में बढ़त की बेहतर दर बनाए रखने में मदद मिलने की उम्मीद है। पिछले दो कारोबारी सत्रों में डाबर का शेयर 4 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है, जो निफ्टी एफएमसीजी में शामिल शेयरों में सबसे ज्यादा बढ़त है।
सुस्त होते ग्रामीण बाजार पर ज्यादा दारोमदार के बावजूद तीसरी तिमाही में कंपनी का सुदृढ़ प्रदर्शन सकारात्मक है। ग्रामीण बाजार में अपनी समकक्ष कंपनियोंं से डाबर का प्रदर्शन उम्दा रहा और उसकी बढ़त की रफ्तार 7.5 फीसदी रही, जो शहरी क्षेत्र के मुकाबले 500 आधार अंक ज्यादा है। यह 25 फीसदी के उच्च आधार पर हुआ और इसमें तेजी ग्रामीण इलाके में वितरण में सुधार की पृषष्ठभूमि में देखने को मिली। डाबर की देसी बिक्री में ग्रामीण क्षेत्र की हिस्सेदारी 46 फीसदी है और कंपनी ने वित्त वर्ष 22 के पहले नौ महीने में अपनी उप्िथति 55,000 गांवों से बढ़ाकर 88,000 पर पहुंचा दी है।
हर श्रेणी में बाजार हिस्सेदारी में बढ़ोतरी अन्य सकारात्मक पहलू है, जिसे कंपनी के सीईओ मोहित मल्होत्रा ने नतीजे के बाद कॉन्फेंस कॉल में रेखांकित किया था। प्रबंधन के मुताबिक विभिन्न श्रेणियों में से एक का उम्दा प्रदर्शन रहा है और वह है फूड व बेवरिजेज, जहां 38 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। इसमें शामिल रियल ब्रांड ने तिमाही में बाजार हिस्सेदारी में 540 आधार अंकों की बढ़त दर्ज की, जिसकी मुख्य वजह दक्षिण व पश्चिम भारत में मॉडर्न ट्रेड आउटलेट्स में कवरेज मेंं हुआ इजाफा है।
इसी तरह कंपनी ने टूथ पेस्ट में 50 आधार अंक की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाई, शैंपू में 40 आधार अंक और होम केयर (ऑडोमास व ओडोनिल) में 40 से 50 आधार अंक। डाबर ने ई-कॉमर्स व मॉडर्न ट्रेड चैनल में भी बढ़त हासिल की है, जहां वह समकक्ष कंपनियों से पिछड़ रही थी।
बाजार हिस्सेदारी में हुई बढ़ोतरी कंपनी की बढ़त की रफ्तार को और आगे ले जाएगी। कोटक इंस्टिट््यूशनल इक्विटीज के विश्लेषक जयकुमार दोशी की अगुआई वाले विश्लेषकों ने कहा है, विभिन्न श्रेणियों (च्यवनप्राश, हनी, ब्लीच, जूस और मॉस्क्विटी रेपेलेंट क्रीम्स) में डाबर की बाजार में अग्रणी स्थिति का उसके पोर्टफोलियो में करीब 60-65 फीसदी का योगदान है, जो उसे महंगाई के माहौल में मार्जिन को संरक्षित करने व कीमत में बढ़ोतरी के लिहाज से बेहतर स्थिति में खड़ा करती है।
कंपनी ने हालांकि राजस्व में सालाना आधार पर 7.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की, जिसे कीमतों में बढ़ोतरी से सहारा मिला पर सकल मार्जिन पर दबाव रहा, जो 200 आधार अंक घटकर 48.3 फीसदी रह गया। हालांकि डाबर अपने परिचालन मार्जिन को 30 आधार अंक बढ़ाकर 21.3 फीसदी पर ले जाने में सक्षम हुई। मौजूदा तिमाही में कच्चे माल की महंगाई उच्च रहने की संभावना है, ऐसे में मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषक कृष्णन संबामूर्ति की अगुआई वाले विश्लेषकों ने कहा है, सकल मार्जिन क्रमिक आधार पर सुधरने की उम्मीद है क्योंकि दिसंबर तिमाही में हुई कीमत बढ़ोतरी के बाद एक और बार कीमत बढ़ोतरी हो सकती है। विभिन्न श्रेणियों में वर्चस्व से कंपनी कीमतों में बढ़ोतरी कर पाई और इसके परिणामस्वरूप अन्य समकक्ष कंपनियों के मुकाबले डाबर पर मार्जिन का असर कम रहा। लागत में बचत का मौजूदा कार्यक्रम और राजस्व में उच्च बढ़त आने वाले समय मेंं कंपनी के मार्जिन को सहारा दे सकते हैं।
नए उत्पादोंं के विकास को लेकर कंपनी का रुख आक्रामक रहा है। पिछली सात तिमाहियों में कंपनी ने 100 से ज्यादा पेशकश सामने रखी और यह बढ़त के रुख को स्थिर रख सकता है। कंपनी ने रियल के भीतर तीन उप-ब्रांड बनाए हैं – फ्रूट पावर (फ्रूट लिंक्ड बेवरिजेज), मिल्क पावर (वैल्यू ऐडेड डेयरी) और रियल हेल्थ (नमकीन स्नैक्स)। साथ ही कंपनी ने जूस आदि जैसे क्षेत्र में बाजार का आकार 1,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,000 करोड़ कर दिया है और जेनेरिक ड्रिंक्स कैटिगरी में उतरी है। मजबूत क्रियान्वयन को देखते हुए नई श्रेणियों में उतरने के बाद निर्मल बांग रिसर्च ने इस शेयर को अपग्रेड और जोड़ें (एक्युमुलेट) से खरीद कर दिया है।