खपत से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले कजम्पशन यानी खपत फंडों ने पिछले एक साल में 30 प्रतिशत का औसत प्रतिफल दिया है। बाजार कारोबारियों का कहना है कि थीम के तौर पर खपत में आर्थिक सुधार की स्थिति में तेजी आने की संभावना है।
वैल्यू रिसर्च के आंकड़े से पता चलता है कि कुछ कंज्यूमर थीमेटिक फंडों ने पिछले एक साल में 30-57 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। क्वांट कंजम्पशन फंड ने 57.03 प्रतिशत प्रतिफल दिया, जबकि मिरई ग्रेट कंज्यूमर फंड ने पिछले एक साल में 35.19 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। बीएसई के सेंसेक्स ने समान अवधि में 24.02 प्रतिशत का प्रतिफल दिया।
आदित्य बिड़ला सनलाइफ ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी महेश पाटिल ने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से उबर रही है, जैसा कि मजबूत वृहद आंकड़े से पता चला है। जीडीपी वृद्घि उम्मीद से बेहतर रही है, वहीं पीएमआई भी लगातार तेजी के दायरे में है और प्रमुख क्षेत्र की वृद्घि में सुधार आया है। पिछले लगातार 6 महीनों में जीएसटी संग्रह 1.3 लाख करोड़ रुपये से ऊपर बना हुआ है और बेरोजगारी दर में कमी आ रही है।
पाटिल ने कहा, ‘हमारा मानना है कि अगले तीन साल के दौरान भारत अर्थव्यवस्था में सुधार के तीनों (खपत, वित्त और निर्यात) वाहकों के साथ अपनी 6.5 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्घि दर पर वापस आ सकता है। कोविड के बाद डिस्क्रेशनरी खपत में तेजी आई और बढ़ती आय के साथ युवा आबादी को देखते हुए यह बरकरार रहने की उम्मीद है।’
असर कंजम्पशन फंड एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, और वाहन कंपनियों में निवेश करते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कुछ फंडों ने वित्तीय शेयरों में भी निवेश किया है जिससे उन्हें बेहतर प्रतिफल में मदद मिलमी है।
केनरा रोबेको म्युचुअल फंड के प्रमुख (इक्विटी) श्रीदत्त भंडवालदार का कहना है, ‘शेयरों के आवंटन और चयन से हमें मदद मिली है। गैर-वाहन डिस्क्रेशनरी और कंजयूमर ड्यूरेबल्स में निवेश के अलावा, हमने वित्त क्षेत्र में निवेश किया है, क्योंकि हमारा मानना है कि यह खपत का अभिन्न हिस्सा है।’
केनरा रोबेको कंज्यूमर ट्रेंड्स फंड ने पिछले एक साल में 31.28 प्रतिशत का प्रतिफल दिया।वैल्यू रिसर्च के आंकड़े पर नजर डालें तो पता चलता है कि सात वर्षीय अवधि के दौरान इस फंड ने 17 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। लंबी अवधि के दौरान भी, कंजम्प्शन फंडों ने अच्छा प्रतिफल दिया है। बाजार कारोबारियों का कहना है कि भारत में अनुकूल जनसांख्यिकीय के साथ बढ़ती प्रति व्यक्ति आय और सुधार के साथ थीम के तौर पर खपत का प्रतिफल मजबूत बना रहेगा।