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सेबी में बड़े बदलाव की तैयारी: हितों के टकराव और खुलासे के नियम होंगे कड़े, अधिकारियों को बतानी होगी संप​त्ति!

समिति ने कहा कि हितों के टकराव और खुलासों पर सेबी का मौजूदा ढांचा अपर्याप्त है और नियामक में पारदर्शिता तथा लोगों का विश्वास बढ़ाने के लिए इसे मजबूत करने की आवश्यकता है

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- November 12, 2025 | 10:51 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में हितों के टकराव और खुलासे से संबंधित नियमों में आमूलचूल बदलाव होने वाला है। बाजार नियामक द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति ने इस बारे में कई सिफारिशें सुझाई हैं। समिति के सुझाव आज सार्वजनिक किए गए। इसके अनुसार सेबी के निदेशक मंडल के सभी सदस्यों और अधिकारियों को अपनी सभी परिसंपत्तियों, देनदारियों, ट्रेडिंग गतिविधियों और संबंधित पक्षों के साथ संबंधों की घोषणा कई चरणों में करनी होगी। इसके तहत नियुक्ति के समय, सालाना, प्रमुख घटनाओं के दौर में और पद छोड़ने के समय इस तरह का विवरण देना होगा।

बोर्ड या वरिष्ठ पदों के आवेदकों को किसी भी वास्तविक, संभावित या अनुमानित हितों के टकराव का भी खुलासा करना होगा, जिसमें वित्तीय और गैर-वित्तीय दोनों तरह के मामले शामिल होंगे। इसके अलावा डिस्क्लोजर यानी खुलासे और हितों के टकराव के प्रबंधन के उद्देश्य से ‘परिवार’ की परिभाषा को व्यापक बनाया जाएगा। परिवार की परिभाषा में अब सेबी बोर्ड के सदस्य या कर्मचारी के पति/पत्नी, आश्रित बच्चे, कोई भी व्यक्ति जिसके लिए वे कानूनी अभिभावक के रूप में कार्य करते हैं तथा अन्य रक्त संबंधी या वैवाहिक रिश्तेदार जो आर्थिक रूप से उन पर निर्भर हैं, शामिल होंगे।

समिति की अध्यक्षता पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा ने की जबकि कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के पूर्व सचिव और आईएफसीएसए के पूर्व अध्यक्ष इंजेती श्रीनिवास इसके उपाध्यक्ष थे।

सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने मार्च 2025 में अपनी पहली बोर्ड बैठक में समिति का गठन करने की घोषणा की थी। समिति का गठन अब बंद हो चुकी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए हितों के टकराव के आरोपों के बीच हुआ था। समिति ने कहा कि हितों के टकराव और खुलासों पर सेबी का मौजूदा ढांचा अपर्याप्त है और नियामक में पारदर्शिता तथा लोगों का विश्वास बढ़ाने के लिए इसे मजबूत करने की आवश्यकता है।

सिन्हा समिति ने सेबी के चेयरपर्सन, पूर्णकालिक सदस्यों और मुख्य महाप्रबंधक स्तर तथा उससे ऊपर के कर्मचारियों की संपत्तियों और देनदारियों के सार्वजनिक रूप से खुलासे का सुझाव दिया। हालांकि अंशकालिक सदस्यों को इससे छूट दी जा सकती है क्योंकि सेबी के रोजमर्रा के नियामक कार्यों में उनकी भूमिका सीमित है।

समिति ने यह भी सिफारिश की है कि सेबी के शीर्ष अधिकारियों द्वारा किया जाने वाला कोई भी नया निवेश विनियमित, पेशेवर रूप से प्रबंधित पूल्ड योजनाओं में किया जाए और यह उनके व्यक्तिगत पोर्टफोलियो के 25 फीसदी तक सीमित हो। अंशकालिक सदस्यों को ऐसे प्रतिबंधों से छूट दी जा सकती है लेकिन उन्हें मूल्य संबंधी अप्रकाशित संवेदनशील जानकारी के आधार पर खरीद-फरोख्त करने से प्रतिबंधित किया जाएगा।

निवेश प्रतिबंध जीवनसाथी और आर्थिक रूप से आश्रित रिश्तेदारों पर भी लागू होंगे, चाहे धन का स्रोत कुछ भी हो। यह मसौदा ढांचा आने वाले शीर्ष अधिकारियों के लिए मौजूदा निवेशों के प्रबंधन के विकल्प प्रस्तुत करता है, जिसमें नकदीकरण या फ्रीजिंग से लेकर पूर्व-अनुमोदित योजना के अनुसार ट्रेडिंग तक शामिल हैं।

सेबी के चेयरपर्सन और बोर्ड के पूर्णकालिक सदस्य सेबी के भेदिया कारोबार मानदंडों के लिए ‘इनसाइडर या भेदिया’ परिभाषा के अंतर्गत आएंगे जिससे गोपनीय जानकारी के दुरुपयोग से बचने की उनकी जिम्मेदारी और पुख्ता होगी। विवाद से बचने के लिए समिति ने आधिकारिक लेनदेन से जुड़े उपहार स्वीकार करने पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।

समिति ने सेबी से यह भी आग्रह किया गया है कि वह वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पद से हटने का सालाना सारांश प्रकाशित करे, मुख्य नैतिकता एवं अनुपालन अधिकारी की अध्यक्षता में नैतिकता एवं अनुपालन कार्यालय की स्थापना करे तथा समर्पित निरीक्षण समिति का गठन करे।

First Published : November 12, 2025 | 10:47 PM IST