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भारत पर सतर्क हैं, हैरत में डाल गई फेड की ज्यादा दर कटौती: Chris Wood

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को 50 आधार अंक की अनुमान से अ​धिक दर कटौती के साथ वैश्विक वित्तीय बाजारों को चौंका दिया।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- September 19, 2024 | 9:37 PM IST

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को 50 आधार अंक की अनुमान से अ​धिक दर कटौती के साथ वैश्विक वित्तीय बाजारों को चौंका दिया। जेफरीज में इ​क्विटी रणनीति के वै​श्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने नई दिल्ली में पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में फेडरल की दर कटौती, वै​श्विक बाजारों और भारतीय बाजारों पर उसके असर के बारे में बताया। मुख्य अंश:

अमेरिकी फेड की दर कटौती पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

अमेरिकी फेड की 50 आधार अंक की दर कटौती से मैं चकित हूं। फेड की बैठक से संकेत मिला था कि कटौती 25 आधार अंक की होगी।

क्या अगली बैठकों में भी इतनी ही मात्रा में दर कटौती होगी? क्या 50 आधार अंक अब नया ‘25’ है?

नहीं, मुझे नहीं लगता कि उन्होंने अगली बैठक में 50 आधार अंक कटौती की उम्मीदें बंधाईं। मुझे लगता है कि उन्होंने साल के अंत तक 25 आधार अंक कटौती की उम्मीद जगाई है। निष्कर्ष यह कि मुझे आश्चर्य है कि उन्होंने दरों में 50 आधार अंक की कटौती की है। कुछ लोग तर्क देंगे कि इसका मतलब यह है कि अमेरिकी फेड को लगता है कि अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर है, लेकिन वास्तव में, उन्होंने ऐसा नहीं कहा है।

अब खासकर भारत समेत वै​श्विक बाजारों की चाल कैसी रहेगी?

उभरते बाजार के परिसंप​त्ति वर्गों के लिए सामान्य तौर पर फेड की दर कटौती अच्छी है। इसके अलावा, डॉलर भी कमजोर हो रहा है। यह सब भारत समेत उभरते बाजारों के लिए अच्छा संकेत है। भारतीय बाजार पहले ही सर्वा​​धिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के नजरिये से देखें तो वे बाजारों में गिरावट का इंतजार कर रहे हैं जिससे कि खरीदारी कर सकें। वहीं अन्य ईएम (उभरते बाजार), कमजोर डॉलर और दर कटौती के लिहाज से में भारत के मुकाबले ज्यादा संवेदनशील हैं।

वे कौन से बाजार होंगे?

उभरता हुआ बाजार ब्राजील होगा क्योंकि वहां ब्याज दरें बहुत ऊंची हैं और फेड की कटौती के कारण दरें घटने की बहुत अधिक संभावना है। द​क्षिणपूर्व ए​शिया भारत के मुकाबले कमजोर डॉलर के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील है। मेरा मानना है कि आरबीआई भी अब दरें घटा सकता है, लेकिन मेरी समझ कहती है कि वह बड़ी दर कटौती करने की जल्दबाजी में नहीं होगा। भारत समेत हरेक ए​शियाई अर्थव्यवस्था पहले ही ब्याज दरों में कटौती कर सकती थीं। अधिकांश ने (जिनमें आरबीआई भी शामिल है), ब्याज दरों में कटौती नहीं की है क्योंकि वे अपनी मुद्रा को कमजोर नहीं होने देना चाहते।

अब अमेरिकी फेड के दरें घटाने से हमें उम्मीद है कि उभरते बाजार विकसित बाजार के प्रतिस्प​र्धियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने लगेंगे?

हां, यदि दर कटौती को कमजोर डॉलर का साथ मिल जाए तो ईएम अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। मैं चीन को छोड़कर उभरते बाजारों की बात कर रहा हूं। चीन अपने चक्र में है और इसमें टिकाऊ इक्विटी रैली तभी होगी जब इस बात के सबूत होंगे कि वह अपस्फीति से बाहर आ रहा है। अभी तक, ऐसा कोई सबूत नहीं है।

आप अब अमेरिकी चुनाव परिणाम को कितना महत्व दे रहे हैं?

अमेरिकी चुनाव का बेहद महत्वपूर्ण पहलू यह है कि एक पक्ष के लिए स्पष्ट जीत है और इसमें कोई विवाद नहीं है। शेयर बाजार के नजरिये से डॉनल्ड ट्रंप का जीतना अच्छा होगा क्योंकि इससे बड़े पैमाने नियमन कम होंगे। हालांकि दोनों में से कोई भी उम्मीदवार अभी राजकोषीय गिरावट पर ध्यान केंद्रित नहीं कर रहा है।

क्या आप अगले एक साल में भारतीय बाजार से सुस्त रिटर्न की उम्मीद कर रहे हैं?

मैं अल्पाव​धि के नजरिये से भारतीय बाजार पर सतर्क हैं। मैं अपने दीर्घाव​धि पोर्टफोलियो में कोई बदलाव नहीं कर रहा हूं क्योंकि मैं 5-10 साल के नजरिए से भारतीय शेयर बाजार को लेकर आशावादी हूं। मेरे लिए भी भारतीय बाजार में बड़ी गिरावट का सबसे बड़ा जोखिम, अन्य सभी बाजारों की तरह भू-राजनीति है।

First Published : September 19, 2024 | 9:37 PM IST