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गारंटी योजनाओं के असली रिटर्न की गणना है महत्त्वपूर्ण!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 10:06 PM IST

शेयर बाजार की अस्थिरता के इस दौर में कुछ जीवन बीमा कंपनियों ने गारंटीड प्रतिफल वाली योजनाएं लॉन्च करनी शुरू की हैं।


भारतीय जीवन बीमा निगम की जीवन आस्था, रेलिगेयर एगॉन की लाइफगारंटीड रिटर्न योजना और आईडीबीआई फोर्टिस का बॉन्डस्योरेंश हाल ही में बाजार में उतारे गए हैं।

भारतीय जीवन बीमा निगम की जीवन की जीवन आस्था ने लोगों को सबसे अधिक आकर्षित किया क्योंकि यह 9 प्रतिशत (प्रति 1,000 रुपये पर 90 रुपये) और 10 प्रतिशत के प्रतिफल की पेशकश क्रमश: 5 और 10 वर्षों की अवधि के लिए करता है।

ऑप्टिमा इंश्योरेंस ब्रोकर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल अग्रवाल ने बताया, ‘कुछ निवेशक  इस कदर बावले हो गए कि इन योजनाओं में निवेश करने के लिए अपनी सवाधि जमाओं तक से पैसे निकाल डाले।’

भारतीय जीवन बीमा निगम के प्रबंध निदेशक डी के मेहरोत्रा के अनुसार, ‘अभी तक हम लोगों ने जीवन आस्था योजना से 2,000 करोड़ रुपये का संग्रह कर चुके हैं और हमारा लक्ष्य 25,000 करोड़ रुपये का है।’

हालांकि, प्रतिफल की गणना करते वक्त कुछ फर्क नजर आता है। एक तरफ जहां अन्य कंपनियों ने प्रतिफल की दरें चक्रवृध्दि आधार पर घोषित की हैं वहीं भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की जीवन आस्था सामान्य ब्याज की पेशकश कर रही है।

आइए देखते हैं कि जीवन आस्था योजना किस प्रकार काम करेगी। जीवन आस्था निवेशित प्रति हजार राशि पर 10 और पांच वर्षों की अवधि के लिए क्रमश: 100 और 90 रुपये की पेशकश करती है।

अगर कोई पैंतीस वर्षीय व्यक्ति 3 लाख रुपये का बीमा करवाता है तो उसे 51,930 रुपये का प्रीमियम देना होता है। इस प्रीमियम में से सर्वप्रथम प्रति हजार 10 रुपये के हिसाब से मर्त्यता शुल्क काटे जाते हैं।

इसका सीधा मतलब है कि प्रति हजार रुपये में से केवल 80 रुपये ही निवशित किए जाएंगे। इसके अलावा प्रीमियम में से 12.36 प्रतिशत का सेवा कर भी काटा जाता है। पॉलिसी लेने के पहले साल पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर परिवार के लोगों या नॉमिनी को तीन लाख रुपये मिलेंगे।

पहले साल के बाद सम एश्योर्ड (पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद मिलने वाली राशि) लगातार कम होती जाती है। गारंटीड सम एश्योर्ड पहले वर्ष के 3 लाख रुपये से घट कर दूसरे साल 1.09 लाख रुपये हो जाता है और पांचवें वर्ष में इसमें मामूली बढ़ोतरी होती है (1.22 लाख रुपये)।

पॉलिसीधारक के जीवित रहने की दशा में परिपक्वता राशि 72,500 रुपये की बनती है। यह प्रीमियम की राशि से 20,570 रुपये अधिक है। इसका साफ मतलब है कि चक्रवृध्दि दर मात्र 6.73 प्रतिशत की है।

एक साठ वर्षीय व्यक्ति के लिए प्रीमियम 57,045 रुपये का है और परिपक्वता पर उसे इतनी ही राशि मिलेगी। प्रभावी तौर पर देखें तो यह दर 4.83 प्रतिशत की बनती है।  निश्चय ही इस योजना के तहत परिपक्वता पर लोयाल्टी एडीशन (एलए) मिलता है लेकिन यह तयशुदा नहीं है।

मेहरोत्रा ने कहा, ‘एलए फंड के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।’ आइए अब इसकी तुलना बैंक की सावधि जमाओं से करते हैं। अगर आप 51,930 रुपये का निवेश 5 वर्षों के लिए बैंक में करते हैं तो 9 प्रतिशत की दर से आपको 81,037 रुपये मिलेंगे।

यह राशि जीवन आस्था की परिपक्वता राशि की तुलना में 8,537 रुपये अधिक है। और यह फर्क केवल चक्रवृध्दि की वजह से है।अब हम अपने मूलभूत सवाल पर आते हैं। बीमा योजनाएं आपको कवर प्रदान करने के लिए हैं।

जीवन आस्था के मामले में सम एश्योर्ड पहले साल के प्रीमियम का केवल छह गुना है और बाद में गारंटीड सम एश्योर्ड में कमी आती है। कवर भी पर्याप्त नहीं है। निवेश के नजरिये से देखें तो प्रतिफल भी दुखी करने वाले हैं।

6 प्रतिशत का प्रतिफल किसी भी बैंक की सावधि जमा से मिलने वाले प्रतिफल से काफी कम है। सार्वजनिक भविष्य निधि भी इससे कहीं अधिक 8 प्रतिशत के दर की पेशकश करते हैं।

वित्तीय योजनाकार कार्तिक झावेरी कहते हैं, ‘कहीं भी निवेश करने से पहले निवेशकों को गणना कर लेनी चाहिए। वैसे विज्ञापन जो 9 और 10 प्रतिशत के प्रतिफल का दावा करते हैं, गुमराह करने वाले हैं।’

First Published : January 15, 2009 | 9:11 PM IST