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Budget with BS: एलटीसीजी कर वृद्धि पर बाजार बंटा, दीर्घकालिक निवेश पर प्रभाव

Budget with BS: दिग्गजों की राय अलग-अलग, देसी और विदेशी निवेशकों के साथ समान व्यवहार की जरूरत

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सुन्दर सेतुरामन   
समी मोडक   
Last Updated- August 01, 2024 | 11:05 PM IST

Budget with BS: शेयरों पर दीर्घाव​धि पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किए जाने के फैसले पर बाजार विशेषज्ञों की राय अलग अलग है। कुछ का मानना है कि इससे शेयरों में लंबी अवधि वाला निवेश प्रभावित होगा और अन्य निवेश विकल्पों का आकर्षण बढ़ेगा। वहीं अन्य का मानना है कि भारत में दरें अभी भी कुछ वै​श्विक प्रतिस्प​र्धियों की तुलना में कम बनी हुई हैं और इससे मुख्य तौर पर ऐसे अमीर निवेशक ज्यादा प्रभावित होंगे, जो पूंजी बाजारों से ज्यादा पैसा कमाते हैं।

मोतीलाल ओसवाल फाइनैं​शियल सर्विसेज के चेयरमैन एवं सह-संस्थापक रामदेव अग्रवाल ने कहा, ‘इससे इक्विटी में दीर्घकालिक निवेश कम आकर्षक और सोने में अधिक आकर्षक हो गया है। हालांकि अल्पाव​धि पूंजीगत लाभ कर को समायोजित करना उचित है, लेकिन इक्विटी पर एलटीसीजी पहले जितना ही रखना चाहिए था, क्योंकि यह परिसंपत्ति वर्ग पूंजी बनाने में मदद करता है। आप चाहते हैं कि घरेलू बचत का उचित इस्तेमाल किया जाए। हालांकि मजबूत बाजार हालात के कारण दर बदलाव का प्रभाव तुरंत महसूस नहीं हो सकता है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसका असर देखने को मिल सकता है।’

3पी इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अ​धिकारी प्रशांत जैन इस कर वृ​द्धि का समर्थन करते हुए कहते हैं कि एलटीसीजी के संबंध में अमीरों की कर देनदारी अभी भी 20-30 लाख रुपये कमाने वाले मध्यम वर्ग के लोगों द्वारा चुकाए जाने वाले कर से कम है। उन्होंने कहा, ‘12.5 प्रतिशत एलटीसीजी उचित है और यह अन्य देशों की तुलना में कम है। यदि यह बढ़कर 15-20 प्रतिशत हो जाता तो भी मुझे आश्चर्य नहीं होता।’

हालांकि, ‘बजट 2025: कैचिंग द मार्केट पल्स’ विषय पर बिजनेस स्टैंडर्ड पैनल चर्चा के दौरान इस पर आम सहमति बनी थी कि निवेश से समझौता किए बिना राजकोषीय घाटा कम करने के लिए सरकार की सराहना की जानी चाहिए।

कोटक महिंद्रा ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध निदेशक नीलेश शाह ने कहा, ‘बजट में राजकोषीय मजबूती से जुड़ी को​शिश सराहनीय लगी। हमारा प्राथमिक घाटा 1.5 प्रतिशत तक कम हो गया है और यदि हम इस रास्ते पर चलते रहे, तो इससे अगले तीन वर्षों में केवल मामूली प्राथमिक घाटा या यहां तक कि अधिशेष की ​स्थिति आने में भी मदद मिलेगी। अच्छी बात यह है कि यह निवेश पर समझौता किए बिना हासिल किया गया है।’

एवेंडस कैपिटल प​ब्लिक मार्केट्स अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के मुख्य कार्या​धिकारी एंड्यू हॉलैंड का मानना है कि वि​भिन्न परिसंप​त्ति वर्गों के बीच कर परिदृश्य भारत की अर्थव्यवस्था 10 लाख करोड़ डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने की दिशा में महत्वपूर्ण होगा।

जैन ने कहा कि इक्विटी पर कर-बाद अनुकूल रिटर्न शेयर बाजार में अधिक निवेश को प्रोत्साहित करता है। उनका मानना है, ‘पूंजी सबसे अच्छे नए विकल्प की तलाश करती है। फिक्स्ड इनकम और इक्विटी कराधान के बीच का अंतर काफी ज्यादा है। फिक्स्ड इनकम में 7.5 प्रतिशत की कमाई की वजह से 40 प्रतिशत कर होता है।’

विश्लेषकों ने निवेशकों के वि​भिन्न वर्गों के बीच कराधान में समानता की जरूरत पर भी जोर दिया है। कुछ का मानना है कि कई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कर सं​धि समझौतों की वजह से कम या शून्य कर का लाभ उठाते हैं।

शाह का मानना है, ‘अति​थि देवो भव: पर्यटन के लिए उपयुक्त है, वित्तीय बाजारों के लिए नहीं।’ अग्रवाल का कहना है कि एफपीआई निवेश आक​​र्षित करने के लिए भारत को उभरते बाजारों के उन प्रतिस्प​र्धियों के साथ मुकाबला करना चाहिए, जहां कम कर है या बिल्कुल नहीं है और भविष्य में इस जरूरत को ध्यान में रखे जाने की जरूरत होगी। कई विशेषज्ञों ने सरकार से कर बदलावों को भविष्य में लागू करने और केवल कुछ ही मामलों में पीछे की तारीख से कराधान का उपयोग करने का आग्रह किया है।

First Published : August 1, 2024 | 11:05 PM IST