facebookmetapixel
घूमना-फिरना और बाहर खाना पसंद है? इस कार्ड पर मिलेगा 6% का कैशबैक और कोई जॉइनिंग फीस भी नहींVeg Oil Import: वनस्पति तेल आयात की सुस्त शुरुआत, पहले महीने 28 फीसदी की आई कमी₹3 लाख प्रति किलो जाएगी चांदी? तेजी के पीछे की असली वजह और जोखिम5 साल में भारत-जॉर्डन व्यापार 5 अरब डॉलर तक पहुंचाने का प्रस्ताव, PM मोदी ने दिया बड़ा संदेशभारत में भी शुरू होगा 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी वाला प्लान? सरकार ने बताई इसको लेकर पूरी योजनाअनिल अग्रवाल की वेदांता का होगा डीमर्जर: कंपनी को NCLT से मिली पांच इकाइयों में बंटवारे की मंजूरीबैंकर्स का दावा: डॉलर मुकाबले रुपये की लगातार गिरती कीमत के चलते RBI ले सकता है बड़ा फैसलाEternal के शेयर में 7 महीने की सबसे बड़ी गिरावट, निवेशकों में क्यों मची घबराहट?8th Pay Commission: रिटायर्ड कर्मचारियों को DA और दूसरे लाभ नहीं मिलेंगे? सरकार ने बताई सच्चाईहिंदी नाम वाले बिलों पर चिदंबरम क्यों भड़के? जानिए पूरा विवाद

ब्रोकरों का आपस में हो सकता है विलय

Last Updated- December 14, 2022 | 8:54 PM IST

ब्रोकरों के बीच आपसी एकीकरण रफ्तार पकडऩे वाली है क्योंकि अनुपालन की नई अनिवार्यता सामने आ गई है और चुनिंदा कंपनियां बाजार हिस्सेदारी में इजाफे पर जोर दे रही हैं। 256 ब्रोकरों के समूह में सक्रिय क्लाइंटों की कुल संख्या में 10 अग्रणी ब्रोकरों की हिस्सेदारी करीब 71 फीसदी है और यह जानकारी एनएसई के आंकड़ों से मिली। 20 अग्रणी ब्रोकरों की हिस्सेदारी 83 फीसदी है (मार्च 2020 में 75 फीसदी और मार्च 2019 में 70 फीसदी)।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज के सीईओ बी. गोपकुमार ने कहा, मार्जिन के नए नियमों के कारण छोटे ब्रोकरोंं को बाजार हिस्सेदारी हासिल करने या आगे बढऩे में मुश्किल होगी। अनुपालन लागत में इजाफे के कारण प्रवेश का अवरोध ज्यादा होगा, जो छोटे ब्रोकरों की बाढ़ को रोक देगा।
10 ब्रोकिंग कंपनियों के मार्जिन फंडिंग खाताबही से पता चलता है कि उनका मार्जिन फंडिंग मार्च 2020 में 50 फीसदी घटकर 4,600 करोड़ रुपये रह गया, जो वित्त वर्ष के दौरान 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा था। यह जानकारी इक्रा की हालिया रिपोर्ट से मिली। ब्रोकरेज उद्योग की आय वित्त वर्ष 2020 में 21,000 करोड़ रुपये रही, जो वित्त वर्ष 2019 के मुकाबले करीब 8 फीसदी ज्यादा है। मौजूदा वित्त वर्ष में उद्योग का राजस्व बढ़कर 23,000 करोड़ रुपये पर पहुंचने की उम्मीद है।
इक्रा के नोट में कहा गया है, उद्योग का परिदृश्य सतर्कता के साथ स्थिर है। बढ़त की रफ्तार बने रहने की उम्मीद है, वहीं परिचालन व फंडिंग की चुनौतियों का असर प्रदर्शन पर पड़ सकता है, खास तौर से छोटी से लेकर मध्यम आकार वाली ब्रोकरेज कंपनियों पर।
डेरिवेटिव के क्षेत्र में मार्जिन के नए नियम 1 दिसंबर से लागू होंगे। यह अग्रिम मार्जिन संग्रह के अतिरिक्त है, जो नकदी बाजार के लिए पिछले महीने लागू किया गया था।
इक्रा के नोट में कहा गया है, रकम जुटाने और ब्रोकिंग इकाइयों की तरफ से क्लाइंटों की प्रतिभूतियों के इस्तेमाल को लेकर जारी हालिया दिशानिर्देश ब्रोकरों की फंडिंग की जरूरत में इजाफा करेगा ताकि वह एक्सचेंजों में पर्याप्त मार्जिन बनाए रख सके। इसके साथ ही नकदी बाजार के मार्जिन के मानकीकरण से भुगतान की लचीली शर्तें, क्लाइंटों को क्रेडिट आदि से जुड़ी ब्रोकरों की क्षमता सीमित हो सकती है। खुद की परिसंपत्तियों और मजबूत बैलेंस शीट वाली ब्रोकिंग कंपनियां बेहतर स्थिति में होंगी।
इक्रा की उपाध्यक्ष समृद्धि चौधरी ने क हा, नए क्लाइंट में धीरे-धीरे बढ़ोतरी और नकदी कारोबार में तेजी अनुकूल प्रवृत्ति है और उद्योग की आय प्रोफाइल को सहारा देगा। लंबी अवधि में मजबूत नियामकीय ढांचा उद्योग के ढांचे को मजबूत बनाएगा और वित्तीय अनुशासन में सुधार लाएगा, जो ब्रोकिंग इकाइयों की जिम्मेदारी के लिहाज से अहम है।
नए खातों में डिस्काउंट ब्रोकरों ने खासी हिस्सेदारी पाई, जो पिछले कुछ महीनोंं में खुले और इन्हें तकनीक पर आधारित बिजनेस मॉडल से सहारा मिला। दूसरी ओर पारंपरिक ब्रोकर क्लाइंटों को जोडऩे के मामले में पिछड़ गए।

First Published - November 24, 2020 | 11:53 PM IST

संबंधित पोस्ट