आमतौर पर अगर निवेशकों को कोई कंपनी बोनस शेयर जारी करती है तो यह उनके लिए खुशी की बात होती है। पर वर्ष 2008 में सूचीबद्ध कंपनियों ने निवेशकों को जो बोनस शेयर जारी किए, उनसे उनके चेहरों पर मुस्कान नहीं आ सकी है।
असल में इस अवधि में जिन कंपनियों ने बोनस शेयर जारी किए थे, उनमें से 93 फीसदी कंपनियों के शेयरों के भाव बोनस की घोषणा से पहले के भाव की तुलना में 52 फीसदी गिरे हैं। कंपनी नए शेयरधारकों को जो शेयर जारी करती है, उसे एक्स बोनस प्राइस के हिसाब से बदला जाता है।
जब पूंजी आधार बढ़ता है तो तो प्रति शेयर आय भी घटती है और ऐसे में भरपाई के तौर पर निवेशकों को ज्यादा शेयर दिए जाते हैं। आंकड़ों को देखें तो 2008 में 60 में से केवल 4 शेयरों में एक्स बोनस प्राइस के मुकाबले कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है।
युनाइटेड फॉस्फोरस, वीर एनर्जी, ठक्कर डेवलपर्स और कनानी इंडस्ट्रीज के शेयर के भाव अपने एक्स बोनस भाव से ऊपर चढ़े हैं। बाकी 56 कंपनियों के शेयरों में 10 से 90 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
लार्सन ऐंड टुब्र्रो, बायोकॉन, सीमेंस, सेसा गोवा, एसटीसी और रोल्टा ने अपने शेयरधारकों को हर एक शेयर पर एक बोनस शेयर जारी किया था। पर इन कंपनियों के शेयरों के भाव एक्स बोनस प्राइस से 35 फीसदी से अधिक तक गिर चुके हैं।
रिलायंसपावर, गेल, जीएमडीसी एनएमडीसी और एचडीआईएल के शेयरों के भाव तो अपने एक्स बोनस प्राइस से 50 फीसदी से अधिक तक गिर चुके हैं। इस बार ऐसी कंपनियों की संख्या भी पहले से कम रहीं जिन्होंने बोनस शेयर जारी किए थे।
जहां वर्ष 2007 में 76 कंपनियों ने अपने शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी किए थे, वहीं इस बार केवल 60 कंपनियों ने ही बोनस शेयर बांटे। वर्ष 2006 और 2005 में क्रमश: 81 और 85 कंपनियों ने बोनस शेयर जारी किए थे। 1994 में तो 159 कंपनियों ने बोनस शेयर बांटे थे।
करीब 23 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने पिछले चार सालों में दो से तीन बार बोनस शेयर जारी किए हैं। गुजरात एनआरई कोक और स्वास्ति विनायका जेम्स पिछले चार सालों में तीन बार बोनस शेयर जारी कर चुकी है। एलऐंडटी, एमएम फोर्जिंग्स, सेसा गोवा और बैंक ऑफ राजस्थान इस दौरान दो-दो बार बोनस शेयर जारी कर चुकी हैं।