हाल के हफ्तों में ब्लॉक डील की गतिविधियों में खासा सुधार देखा गया है, जिसकी वजह शेयर की कीमतों में साल 2022 के निचले स्तर से हुई तेज बढ़ोतरी है। विदेशी निवेशकों की निकासी रुकने और देसी संस्थागत निवेशकों के सहारे ने निवेश बैंकरों को बड़ा ब्लॉक डील उतारने का भरोसा दिया है।
ब्लॉक डील निजी तौर पर बातचीत के आधार पर होते हैं, जिसे स्टॉक एक्सचेंजों की तरफ से मुहैया कराए गए विशेष ट्रेडिंग विंडो के जरिए अंजाम दिया जाता है। ऐसे सौदे मोटे तौर पर बाजार कीमत से छूट पर होते हैं। ब्लॉक डील से बड़े शेयरधारकों को शेयरों का बड़ा हिस्सा बड़े संस्थागत खरीदारों को बेचने में मदद मिलती है।
निवेश बैंकरों ने कहा कि बड़े ब्लॉक डील का कामयाब क्रियान्वयन स्वस्थ संकेत है और यह बड़े आरंभिक सार्वजनिक पेशकश और सूचीबद्ध कंपनियों की तरफ से अतिरिक्त रकम जुटाने के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक और निवेश बैंंकिंग प्रमुख अजय सराफ ने कहा, जोखिम उठाने की इच्छा फिर लौट रही है। मोटे तौर पर यह अच्छी सूचीबद्ध कंपनियों और फिर पात्र संस्थागत नियोजन के बाद आईपीओ के साथ शुरू होता है। कुल मिलाकर भूराजनीतिक स्थिति, तेल की कीमतें और एलआईसी का आईपीओ अहम घटनाक्रम होंगे।
हाल के हफ्तों में हुए कुछ बड़े ब्लॉक डील में कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड (सीपीपीआईबी) की तरफ से कोटक महिंद्रा बैंक की दो फीसदी हिस्सेदारी 6,800 करोड़ रुपये में बेचना, प्राइवेट इक्विटी दिग्गज केकेआर की सहायक फर्म कायक इन्वेस्टमेंट्स की तरफ से मैक्स हेल्थकेयर की 10 फीसदी हिस्सेदारी 3,297 करोड़ रुपये में और कार्लाइल समूह की तरफ से एसबीआई काड्र्स की 2.78 फीसदी हिस्सेदारी 2,229 करोड़ रुपये में बेचना शामिल है। इसके अलावा कोफोर्ज, एसबीआई लाइफ और एमटीएआर टेक जैसी कंपनियों की बड़ी शेयरधारिता का विनिवेश भी कामयाबी के साथ हुआ है।
निवेश बैंकरों ने कहा कि आगामी दिनों व हफ्तों में और सौदे हो सकते हैं। येस सिक्योरिटीज के ग्रुप प्रेजिडेंट ए कपाडिय़ा ने कहा, इनमें से कुछ ब्लॉक डील नियामकीय अनिवार्यताओं के कारण हुए होंगे। कुछ मामलों में बिक्री करने वाला पक्षकार अपनी पोजीशन की बिकवाली चाहता होगा। लेकिन अच्छी चीज यह है कि ऐसे शेयरों की मांग है और इसी वजह से ब्लॉक डील संपन्न हो जाती है।
सुस्ती के बाद अब गतिविधियां जोर पकडऩे लगी है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कदम व रूस-यूक्रेन संकट के कारण जिंसों मेंं उछाल आदि के कारण एफआईआई की तरफ से सतत बिकवाली के बीच सेंसेक्स साल 2022 के उच्चस्तर से 13 फीसदी नीचे आया है। एफपीआई ने इस साल शेयरों से 1 लाख करोड़ रुपये निकाले हैं। हालांकि तीव्र बिकवाली अब थमने लगी है और कुछ मौकों पर एफपीआई शुद्ध खरीदार भी बन गए हैं। साथ ही बाजार भी इस साल के नुकसान से उबर चुका है।
बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि ब्लॉक डील के सफल क्रियान्वयन से कुछ बड़ी कंपनियों के अपने आईपीओ उतारने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि बैंकर कुछ और स्थिरता का इंतजार कर रहे हैं।
कपाडिय़ा ने कहा, एलआईसी का आईपीओ कैसा रहता है, उससे यह तय होगा कि निकट भविष्य में प्राथमिक बाजार कितने मजबूत रहेंगे। मूल्यांकन अहम कारक है। अगर मूल्यांकन उचित है तो निवेशक प्राथमिक बाजार में भागीदारी करेंगे। दूसरा कारक बाजार की स्थिरता होगा। उतारचढ़ाव काफी ज्यादा है, ऐसे में हर कोई देखो व इंतजार करो की रणनीति अपना रहा है। लेकिन जब चीजें स्थिर होंगी तब आईपीओ बाजार गुलजार होगा, चाहे सेंसेक्स का स्तर कुछ भी हो। प्राथमिक बाजार एक बार फिर मजबूत होगा।