हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी) और एचडीएफसी बैंक के बीच विलय से प्रमुख सूचकांक निफ्टी में करीब 48,000 करोड़ रुपये की खरीद-बिक्री को बढ़ावा मिल सकता है। मौजूदा समय में वित्तीय क्षेत्र की दोनों कंपनियों का 50 शेयर वाले निफ्टी सूचकांक में मजबूत भारांक है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के रणनीतिकारों का कहना है कि सूचकांक गणना प्रणाली से संबंधित नियमों की वजह से विलय की प्रभावी तारीख पर एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक, दोनों शेयर ही निफ्टी से अलग हो सकते हैं। नियमों में कहा गया है कि विलय से जुड़ी कोई भी कंपनी सूचकांक से अलग हो जाती है।
वर्ष 2016 में, ग्रासिम को आदित्य बिड़ला नूवो (एबीएनएल) के साथ विलय से पहले निफ्टी से बाहर किया गया था। हाल में, एनएमडीसी को ‘डी-मर्जर स्कीम’ यानी विलय समाप्त किए जाने की वजह से निफ्टी सीपीएसई से हटाया गया था।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के इक्विटी रणनीतिकारों विनोद कार्की और नीरज करनानी ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘एचडीएफसी विलय से 1 प्रतिशत के संयुक्त भारांक के साथ दो नए शेयरों के आने से निफ्टी 50 भारांक 14 प्रतिशत (एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक) प्रभावित होगा। शेष 13 प्रतिशत भारांक उस समय इस सूचकांक में मौजूदा 48 शेयरों में विभाजित होगा। सूचकांक में एचडीएफसी विलय से संबंधित बदलाव जुलाई के अंत की कीमतों के आधार पर 48,000 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक के शेयरों की खरीदारी और बिक्री को बढ़ावा दे सकता है।’
कार्की ने कहा कि यदि सूचकांक एचडीएफसी के मामले में विशेष रियायत प्रदान करता है तो यह बदलाव नहीं आएगा। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो निफ्टी के अन्य शेयरों में बड़ा बदलाव दिखेगा, क्योंकि एचडीएफसी (दोनों) का भारांक इनमें विभाजित हो जाएगा।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक की एयूएम वाले इंडेक्स फंड निफ्टी-50 सूचकांक के प्रदर्शन की निगरानी करते हैं। यदि आप सेंसेक्स को ट्रैक करने वाले ईटीएफ की एयूएम को शामिल करते हैं तो यह बदलाव और ज्यादा हो सकता है। अनुमानित तौर पर 88,000 करोड़ रुपये की एयूएम के साथ ईटीएफ 30 शेयर वाले सेंसेक्स को ट्रैक करते हैं।
ऐसा कभी नहीं हुआ है कि सूचकांक से इतने ज्यादा भारांक वाले शेयर को हटाया गया हो। अन्य विश्लेषकों का कहना है कि यह गलत अनुमान है कि एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक, दोनों को सूचकांक से हटाया जाएगा। उनका कहना है कि विलय से गठित इकाई बड़े भारांक के साथ सूचकांक में बनी रहेगी।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि उन्हें विलय की वजह से शेयर के सूचकांक से बाहर निकाले जाने के नियम को लेकर एक्सचेंज से स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार है।