बाजार की मौजूदा गिरावट के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले शेयरों में बैंक शेयर शामिल है। फरवरी की शुरुआत से आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई और ऐक्सिस बैंंक जैसे बैकिंग शेयरों में 18 फीसदी तक की गिरावट आई है जबकि बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स में 8 फीसदी की नरमी दर्ज हुई है। ऐस इक्विटी के आंकड़ों स यह जानकारी मिली।
इस तरह की बड़ी गिरावट सामान्यत: प्रवेश के आकर्षक स्तर के लिए रास्ता बनाता है, लेकिन बाजार की मौजूदा गिरावट के लिए यह शायद सही नहीं होगा, ऐसा कहना है विश्लषकों का।
उनका कहना है कि यूक्रेन-रूस युद्ध, ब्रेंट क्रूड की बढ़ती कीमतें, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, आर्थिक सुधार को लेकर अनिश्चितता और जोखिम को लेकर सेंंटिमेंट निकट भविष्य में बैंक शेयरों पर दबाव बनाए रख सकता है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (खुदरा) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, यूक्रेन का युद्ध भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर जोखिम खड़ा कर रहा है। हमने पूंजीगत खर्च से भरपूर बजट देखा था, जिसने बाजार की अवधारणा में सुधार किया था, लेकिन पश्चिमी यूरोप में युद्ध और कच्चे तेल की ऊंची कीमतों ने मामला खराब कर दिया। हम नहीं जानते कि तेल की कीमतें कब तक उच्चस्तर पर रहेगी या कब रूस के खिलाफ पाबंदी हटाई जाएगी। इसे देखते हए सरकार को अपना राजकोषीय अंकगणित दोबारा देखना पड़ सकता है और वह वित्त वर्ष 22-23 के लिए पूंजीगत खर्च की योजना पर फिर से विचार करने को बाध्य हो सकती है। इन सभी चीजों का भारत की आर्थिक गतििवधियों पर असर होगा और यह बैंंक क्रेडिट की रफ्तार प्रभावित कर सकता है।
रूस-यूक्रेन विवाद का असर
हालिया रिपोर्ट में नोमूरा ने कहा है कि बैंकों का आउटलुक हालांकि सकारात्मक है लेकिन लंबे समय तक चलने वाले विवाद की स्थिति वैश्विक बढ़त की रफ्तार के लिए नकारात्मक होगी और यह देसी निवेश को सुस्त कर सकता है। यह कर्ज की रफ्तार के अनुमान के लिए भी जोखिम होगा। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों का महंगाई पर पडऩे वाला असर और उम्मीद से तेज गति से ब्याज दरों में बढ़ोतरी भी बाजार को चिंतित कर रही है। खाद्य व कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी मुख्य महंगाई में इजाफा करेगा, जो पहले ही आरबीआई की लक्षित सीमा 2-6 फीसदी के ऊपर निकल गया है। लंबे समय तक उच्च महंगाई नीतिगत दरों में बढ़ोतरी को भारत व विदेश में तेज कर सकता है, जो बॉन्ड प्रतिफल में इजाफा करेगा और कीमतें सिकोड़ देगा। इसके साथ ही रुपये में कमजोरी बैंकों की ट्रेजरी आय पर चोट पहुंचाएगा।