पैसिव फंडों ने 2022 में बाजार की कमजोरी और सुस्त डेट फंड परिदृश्य को मात दी। पैसिव फंडों की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (AUM) नवंबर तक 41 प्रतिशत तक बढ़कर 6.5 लाख करोड़ रुपये हो गईं, जबकि उद्योग की कुल AUM में आठ महीने की अवधि में महज 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
इंडेक्स फंडों द्वारा प्रबंधित पूंजी इस अवधि के दौरान करीब तीन गुना बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गई जो 2021 के अंत में 45,400 करोड़ रुपये थी। इसमें ज्यादातर वृद्धि डेट योजनाओं की मदद से दर्ज की गई, क्योंकि फंड हाउसों ने 2022 की दूसरी छमाही में टार्गेट मैच्युरिटी फंड (TMF) पेश करने पर जोर दिया। भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) के आंकड़े से पता चलता है कि TMF ने इस वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये का शुद्ध पूंजी प्रवाह दर्ज किया।
गैर-स्वर्ण एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ETF) की AUM 2022 में 31 प्रतिशत बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। एम्फी के आंकड़े से पता चलता है कि इस वित्त वर्ष, इक्विटी ईटीएफ को 35,200 करोड़ रुपये का शुद्ध पूंजी प्रवाह मिला और डेट ईटीएफ ने 16,800 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया। स्वर्ण ईटीएफ की AUM इस अवधि के दौरान 18,400 करोड़ रुपये से बढ़कर 20,830 करोड़ रुपये हो गई।
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कम लागत ढांचे और अपने बेंचमार्कों के प्रदर्शन के अनुरूप प्रतिफल देने में सक्षम होने की वजह से पैसिव योजनाओं का आकर्षण पिछले दो वर्षों में ऐसे समय में तेजी से बढ़ा है, जब ऐक्टिव फंडों की कुछ श्रेणियों के फंड प्रबंधक शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं।