म्युचुअल फंड निवेशकों को खुश होने की एक और वजह मिल गई है। पिछले छह माह में लगभग सभी आर्बिट्राज फंडों ने बेंचमार्क सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन किया है।
शेयर बाजार में लगातार भारी उतार-चढ़ाव रहने, बढ़ती ब्याज दरों से डेट फंडों की खराब होते प्रदर्शन के बावजूद आर्बिट्राज फंड सकारात्मक रिटर्न देने में कामयाब रहे हैं। पिछले छह माहों में आर्बिट्राज फंडों ने 3.03 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि इस दौरान फार्मा को छोड़कर बाकी सभी फंडों ने नेगेटिव रिटर्न दिया है।
हां, फार्मा शेयरों ने इस दौरान जरूर 6.86 फीसदी का रिटर्न दिया। प्रदर्शन पर गौर करें तो यूटीआई का स्प्रेड फंड अव्वल रहा है। इसने 4.16 फीसदी का रिटर्न दिया। एचडीएफसी आर्बिट्राज और लोटस आर्बिट्राज का नंबर इसके बाद दूसरा और तीसरा रहा। दोनों ने क्रमश: 3.10 फीसदी और 3.04 फीसदी रिटर्न दिया, जबकि क्रिसिल के लिक्विड फंड सूचकांक ने 2.26 फीसदी का रिटर्न दिया।
इसके कुछ फंडों का रिटर्न 2.50 फीसदी से अधिक रहा। आर्बिट्राज फंड ने कैश और फ्यूचर मार्केट में बने अवसरों का लाभ लिया। उसने दोनों बाजारों में व्याप्त कीमतों के अंतर का लाभ लेने के लिए कैश बाजार से खरीद करके फ्यूचर मार्केट में बिकवाली की। इस तरह की रणनीति बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव से बचने के लिए अपनाई जाती है। एसबीआई आर्बिट्राज ऑर्पच्युनिटी फंड के फंड मैनेजर अरुण अग्रवाल ने बताया कि यह ध्यान में रखते हुए कि बाजार आने वाले दिनों में भी अस्थिरता के भंवर में फंसा रहेगा, इन फंडों के प्रति नजरिया काफी सकारात्मक है।
फ्यूचर बाजार का कैश बाजार से प्रीमियम लगातार बढ़ता रहेगा। इसे देखते हुए आर्बिट्राज फंडों के लिए पोजिशन बनाने के अवसर होंगे। वैल्यू रिसर्च के मुख्य कार्यकारी अधिकारी धीरेंद्र कुमार ने बताया कि यह अपने आप में एक दिलचस्प फंड है। किसी भी कारोबारी सत्र में होने वाले उतार चढ़ाव के स्विंग के कारण बाजार में आर्बिट्राज के पर्याप्त संभावनाएं बनती हैं। हालांकि यह निवेशकों के लिए एक जटिल फंड है। वित्तीय योजनाकारों का कहना है कि आर्बिट्राज फंड अच्छा रिटर्न देने में सक्षम हैं और किसी भी फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो में इन फंडों में 25-30 फीसदी हिस्सा होना चाहिए।
जाने माने वित्तीय योजनाकार ऋषि नथानी ने कहा कि इन फंडों का ट्रांजेक्शन कैश के साथ-साथ फ्यूचर बाजार दोनों में होता है लिहाजा इसमें रिस्क कम रहता है। अगर आप एक अल्पावधि के निवेशक हैं तो कर से बचने के लिए लाभांश का विकल्प चुनें। इसमें 14.5 फीसदी का ही कर लगता है और फंड हाउस इसे काट लेता है। अन्यथा निवशक अगर सर्वोच्च आय समूह का है तो उसे 30 फीसदी कर देना पड़ सकता है।