अदाणी पोर्ट्स ऐंड एसईजेड और ऑडिट फर्म डेलॉयट के बीच टकराव ने हाल के समय में कंपनियों तथा ऑडिटरों के बीच ठंडे रिश्तों में गरमाहट ला दी है। अदाणी पोर्ट्स में ऑडिटर की जिम्मेदारी छोड़ने वाली डेलॉयट ने इससे पहले बैजूस की ऑडिटर के तौर पर इस्तीफा दिया था। बैजूस वित्त वर्ष 2022 के लिए समय पर अपने सालाना वित्तीय परिणाम पेश करने में विफल रही थी।
इस साल जून में, राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण ने कहा कि यदि अपने कार्यकाल के दौरान बाद के चरण में कोई धोखाधड़ी पाई जाती है तो ऑडिट जिम्मेदारियां छोड़ने से कोई ऑडिटर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो जाएगा।
प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम द्वारा एकत्रित आंकड़े से पता चलता है कि अदाणी पोर्ट्स से डेलॉयट ऐसे समय में बाहर निकली है जब अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले छोड़ने वाले ऑडिटरों की संख्या में कमी आई है। वर्ष 2022-23 में 38 ऑडिटरों ने कार्यकाल पूरा होने से पहले जिम्मेदारियां बीच में ही छोड़ दीं, जबकि 2021-22 में यह आंकड़ा 46 था।
हाल के वर्षों में इस संबंध में सर्वाधिक आंकड़ा 2020-21 के महामारी वाले वर्ष में दर्ज किया गया और तब ऐसे ऑडिटरों की संख्या 65 थी, जिन्होंने बीच में ही अपनी जिम्मेदारियां छोड़ दीं।
इस साल 4 मई के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद ऑडिटरों ने ज्यादा सतर्कता बरती है। ऑडिटरों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (NCLT) को अपनी जांच करने और डेलॉयट तथा बीएसआर ऐंड कं. के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दी है। ये कंपनियां दिवालिया हुई फर्म आईएलऐंडएफएस फाइनैंशियल सर्विसेज की ऑडिटर थीं। मुंबई की एक ऑडिटर ने कहा कि अब कोई जोखिम लेना नहीं चाहता है।
सरकार ने आईएलऐंडएफएस फाइनैंशियल सर्विसेज की पूर्व ऑडिटरों – डेलॉयट हैस्किंस ऐंड सेल्स और बीएसआर ऐंड कं. को अपने ऑडिट में खामियों की वजह से पांच साल तक प्रतिबंध लगाने के लिए 2019 में एनसीएलटी का दरवाजा खटखटाया था।
2020 में एक निचली अदालत के आदेश के खिलाफ सरकार द्वारा उच्च अदालत में जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आया। इसमें कहा गया कि ऑडिटरों (यदि वे इस्तीफा दे देते हैं तो) के खिलाफ कोई कार्रवाई लागू नहीं होगी। सरकार का मकसद गलती करने वाली ऑडिटर कंपनियों को किसी कंपनी में ऑडिटर के तौर पर सेवा से पांच साल तक प्रतिबंधित करना था।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि न्याय प्रणाली में ऑडिटरों की गलतियों के लिए दंड का प्रावधान होना चाहिए।