शेयर बाजार के चौकीदार बदल गए हैं। सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के नए अध्यक्ष Tuhin Kanta Pandey ने कमान संभाल ली है। इससे पहले माधबी पुरी बुच ने तीन साल तक सेबी को तेज़ और स्मार्ट बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। अब पांडे के सामने 11 बड़ी चुनौतियां हैं, जो तय करेंगी कि वे इस जिम्मेदारी को कितनी कुशलता से निभाते हैं।
1. तेज़ रफ्तार बनाए रखना
माधबी पुरी बुच ने सेबी को एक चुस्त और फुर्तीला रेगुलेटर बनाया। पांडे को इस रफ्तार को बनाए रखते हुए नए सुधार भी लाने होंगे।
2. शेयर बाजार में स्थिरता लाना
बाजार में उथल-पुथल मची हुई है। आईपीओ में ठंडापन है और छोटे निवेशकों के साथ धोखाधड़ी बढ़ रही है। पांडे को इसे काबू में लाना होगा और बाजार में फिर से जोश भरना होगा।
3. ‘हितों के टकराव’ से बचना
पिछले कार्यकाल में ‘कन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट’ (हितों का टकराव) बड़ा मुद्दा बना था। इससे बचने के लिए पांडे को अपनी सारी वित्तीय जानकारी पारदर्शी रखनी होगी, ताकि कोई उन पर सवाल न उठा सके।
4. सभी को खुश रखना
सरकार, कंपनियां, निवेशक और ब्रोकर्स—सबकी अपनी-अपनी उम्मीदें हैं। सेबी पर कभी-कभी ज़रूरत से ज्यादा सख्ती करने के आरोप लगते हैं। पांडे को बैलेंस बनाना होगा ताकि सभी हितधारकों का भरोसा बना रहे।
5. कर्मचारियों की नाराजगी दूर करनी होगी
सेबी के कई कर्मचारियों ने “खराब वर्ककल्चर” और कम वेतन की शिकायत की है। पांडे को एक बेहतर वर्क एनवायरनमेंट बनाना होगा ताकि टीम का मनोबल ऊंचा रहे।
6. फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग पर लगाम
हाल ही में सेबी ने स्टॉक मार्केट में सट्टेबाजी को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब पांडे को यह देखना होगा कि ये फैसले सही नतीजे लाएं और बाजार में हलचल बनी रहे।
7. अदाणी ग्रुप विवाद से निपटना
अदाणी ग्रुप की जांच अभी बाकी है। यह पांडे के लिए अग्निपरीक्षा होगी कि वे इसे निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से निपटाएं।
8. NSE vs BSE की जंग संभालनी होगी
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लगातार प्रतिस्पर्धा चल रही है। पांडे को देखना होगा कि यह टकराव निवेशकों के लिए नुकसानदेह न बने।
9. नए इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स को पॉपुलर बनाना
सेबी ने हाल ही में छोटे REITs, कॉरपोरेट बॉन्ड और कई नए निवेश ऑप्शंस लॉन्च किए हैं। अब पांडे को इन्हें सफल बनाना होगा ताकि निवेशकों को और मौके मिलें।
10. ‘फिनइंफ्लुएंसर्स’ और बाजार के खेलबाजों पर लगाम
सोशल मीडिया पर ‘फिनइंफ्लुएंसर्स’ बिना लाइसेंस के स्टॉक टिप्स देकर निवेशकों को गुमराह कर रहे हैं। पांडे को ऐसे लोगों पर सख्त एक्शन लेना होगा और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बाजार में धोखाधड़ी रोकनी होगी।
11. छोटे ब्रोकर्स को राहत देना
नए नियमों की वजह से कई छोटे ब्रोकर्स संकट में हैं। पांडे को यह सुनिश्चित करना होगा कि निवेशकों की सुरक्षा बनी रहे, लेकिन छोटे ब्रोकर्स भी टिके रहें।
आसान नहीं होगा सफर
तुहिन कांत पांडे के लिए यह सफर आसान नहीं होने वाला। उन्हें तेज़ फैसले लेने होंगे, बैलेंस बनाए रखना होगा और बाजार में निवेशकों का भरोसा बनाए रखना होगा। अगर वे इन चुनौतियों को सही तरीके से संभाल पाए, तो सेबी और भारतीय शेयर बाजार के लिए यह एक सुनहरा दौर हो सकता है।