स्वास्थ्य

कम लागत में हो रही है बेहतर सर्जरी, नई तकनीकों के साथ उभर रहा है भारत

Published by
सोहिनी दास
Last Updated- April 23, 2023 | 11:21 PM IST

गया की रहने वाली 86 वर्षीय सुमित्रा शर्मा गुसलखाने (washroom) में ​फिसलकर गिर गईं, जिससे उनका बायां कूल्हा टूट गया। वह स्तन कैंसर पीड़ित हैं और एंजियोप्लास्टी (angioplasty) भी कराई है जिसकी वजह से उनका मामला काफी जटिल था। दिल्ली के ओखला ​स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल (Fortis Escorts Hospital) में जब उन्हें भर्ती कराया गया था तो उन्हें सीने में दर्द महसूस हो रहा था। जांच में पुराने घाव का निशान और हृदय की गंभीर समस्या का पता चला तथा उनका दिल महज 30 फीसदी क्षमता के साथ पंप कर रहा था। इसलिए ऑर्थोपेडिक्स सर्जरी से पहले उनकी एंजियोप्लास्टी की गई। उन्हें सर्जरी की सख्त जरूरत थी।

नई दिल्ली के ओखला ​स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स में ऑथोर्पेडिक्स और ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के निदेशक डॉ कौशल कांत मिश्रा के नेतृत्व में चिकित्सों की एक टीम ने हिप-बॉल प्रत्यारोपण सर्जरी की। यह सर्जरी 15 मिनट 35 सेकंड तक चली जो इस तरह की सर्जरी में अब तक दुनिया भर में ज्ञात सबसे कम अवधि की सर्जरी थी। इससे पहले सबसे कम समय में सर्जरी का जो रिकॉर्ड था, डॉ मिश्रा की टीम ने उससे तीन मिनट कम समय में ही सर्जरी पूरी कर ली।

देश में न केवल ​जटिल सर्जरी की जा रही है ब​ल्कि यह चिकित्सा देखभाल का भी नया मानदंड तय कर रहा है। काफी संख्या में लोग उपचार के लिए भारत आ रहे हैं और कॉर्पोरेट अस्पताल तकनीकी उन्नयन पर अपनी आय का 5 से 8 फीसदी तक निवेश कर रहे हैं। 2020-21 के लिए मेडिकल टूरिज्म सूचकांक में 46 देशों की सूची में भारत अब 10वें पायदान पर है।

HCG के कार्यकारी चेयरमैन डॉ बीएस अजय कुमार ने कहा, ‘हमारे चिकित्सा दुनिया में सर्वश्रेष्ठ चिकित्सकों में से हैं और उपचार की ऐसी कोई वि​धि जो पश्चिमी देशों में उपलब्ध है, वह यहां भी उपलब्ध है।’

उन्होंने कहा कि अब उपचार के नतीजे भी बेहतर आ रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हम लोग प​श्चिमी देशों की तरह ज्यादा प्रचार नहीं करते थे। लेकिन अब इसमें तेजी आ रही है। हमारे HCG के 4,500 मरीजों के आंकड़ों का पता चलता है कि स्तन कैंसर के मामले में नतीजे तिगुने बढ़े हैं जो एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर,ह्यूस्टन, टैक्सस के बराबर या उससे बेहतर है। एमडी एंडरसन को कैंसर के उपचार के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड का माना जाता है।’

अजय कुमार ने कहा कि 2005-06 तक तकनीक हस्तांतरण की प्रक्रिया धीमी थी। लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी इ​क्विटी निवेश बढ़ने से तकनीक की पहुंच का भी विस्तार हुआ है। ज्ञान या जानकारी तो अब तत्काल इंटरनेट पर उपलब्ध हो जाता है। अजय कुमार खुद प्र​शिक्षण के लिए अमेरिका गए थे।

उन्होंने कहा कि पहले जब हम चिकित्सक को नियुक्त करते थे तो यह सामान्य सवाल होता था कि क्या उन्हें प्र​शिक्षण के लिए अमेरिका भेजा जाएगा। अब चिकित्सक ऐसा नहीं पूछते हैं, उन्हें भारत में ही उस तरह की प्र​शिक्षण मिल जाता है।

अजय कुमार ने कहा कि अब कॉरपोरेट अस्पताल नई-नई तकनीक लाने पर अपनी आय का 5 से 8 फीसदी तक खर्च कर रहे हैं।

फोर्टिस हेल्थकेयर के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्या​धिकारी (CEO) डॉ आशुतोष रघुवंशी ने भी इस पर सहमति जताई। उन्होंने कहा, ‘हम चार ऑर्थेपेडिक रोबोट खरीदे रहे हैं जबकि सात हमारे पास पहले से ही हैं। हमारे अस्पतालों में आने वाले मरीज जटिल और तृतीयक देखभाल प्रक्रिया के बारे में जानना चाहते हैं, उनमें से ज्यादातर मरीज सह-रुग्णता (high-co-morbidities) वाले होते हैं। इसलिए तकनीक पर निवेश आगे भी जारी रहेगा।’

फोर्टिस हेल्थकेश्यर में मेडिकल स्ट्रैटजी और ऑपरेशंस के ग्रुप हेड विष्णु पाणिग्रही ने कहा कि भारत तेजी से लिवर ट्रांसप्लांट के केंद्र के रूप में उभर रहा है। प​श्चिमी देशों में मृतक डोनर से ज्यादातर लिवर ट्रांसप्लांट किए जाते हैं जबकि भारत में बड़े पैमाने पर जीवित दानदाताओं से किडनी लेकर प्रत्यारोपण किया जाता है, जो कहीं ज्यादा जटिल है।

जटिल सर्जरी में बेहतर परिणाम के लिए सर्जिकल रोबोट के उपयोग की अहम भूमिका होती है। इसके जरिये सर्जरी में सटीकता आती है, रक्तस्राव कम होता है और संक्रमण की आशंका भी काफी कम होती है।

हालांकि रोबोटिक सर्जरी का खर्च पारंपरिक सर्जरी की तुलना में करीब एक लाख रुपये ज्यादा आता है। पा​णिग्रही ने कहा कि करीब 20 से 30 फीसदी मरीज रोबोटिक सर्जरी कराना पसंद करते हैं। हालांकि जटिल सर्जरी के मामले बढ़े हैं लेकिन ऐसा उपचार ज्यादातर बड़े महागनरों में ही हो रहे हैं।

मनीपाल हॉ​स्पिटल ( Manipal Hospital), गोवा में ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख सीनियर सर्जन डॉ शेखर साल्कर ने मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर में प्र​शिक्षण प्राप्त किया है लेकिन अब वे अपने गृह राज्य में वापस आ गए हैं क्योंकि म​निपाल हॉ​स्पिटल ने उन्हें अच्छा मौका दिया और वे अब अपने शहर में जटिल सर्जरी को अंजाम दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आम तौर पर सर्जन प्र​शिक्षण के लिए बड़े महानगरों का रुख करते हैं लेकिन जब बड़े कॉरपोरेट अस्पताल छोटे-मझोले शहरों में आते हैं तो वे भी इन शहरों में लौट आते हैं। सरकार को भी सुनि​श्चित करना चाहिए कि महंगी सर्जरी सभी जरूरदमंदों को उपलब्ध हो सके। साल्कर ने कहा कि गोवा में सरकार ने सभी नागरिकों का स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी है जिससे वहां कैंसर सर्जरी कराने वाले रोगियों की संख्या बढ़ी है।

अजय कुमार ने कहा कि अब डॉक्टर विदेश से भी भारत लौटने लगे हैं। इसके साथ ही अब कई तरह की जटिल सर्जरी भी देश में होने लगी है। पहले हृदय संबंधी सर्जरी ज्यादा होती थी लेकिन अब न्यूरो, ऑर्थोपेडिक और ऑन्कोलॉजी सर्जरी की मांग भी बढ़ी है।

पा​णिग्रही ने फोर्टिस (Fortis) का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले करीब 40 फीसदी सर्जरी हृदय संबंधी रोगों की होती थी जो अब घटकर 20 फीसदी रह गई है जबकि कुल सर्जरी में ऑन्कोलॉजी की हिस्सेदारी 17 से 18 फीसदी हो गई है।

यह पूछे जाने पर कि ज्यादा जटिल सर्जरी में कॉरपोरेट अस्पतालों का मार्जिन भी ज्यादा होता है? इस पर मनीपाल हॉ​स्टिल्स के प्रबंध निदेशक (MD) और सीईओ (CEO) दीलिप जोस ने कहा, ‘यह जरूरी नहीं है कि जटिल सर्जरी में दूसरी तरी की सर्जरी की तुलना में ज्यादा मार्जिन मिले। हां, इस तरह का उपचार मरीजों के लिए महंगा जरूर होता है क्योंकि इसमें प्रत्यारोपण उपकरण, दवाएं, आईसीयू आदि की ज्यादा जरूरत होने से खर्च बढ़ जाता है।’

पा​णिग्रही ने कहा कि अगर अस्पताल रोबोटिक सर्जरी में 50 फीसदी मर्जिन लेने लगें तो यह काफी महंगा हो जाएगा और ज्यादातर लोगों के लिए इस खर्च का वहन करना संभव नहीं होगा। इसलिए मार्जिन को बचाते हुए लागत को इस तरीके से कम किया जाता है जिससे मरीजों पर ज्यादा बोझ न पड़े।

एक अस्पताल के वरिष्ठ प्रशासक ने कहा कि सीनियर डॉक्टरों द्वारा ज्यादा फीस वसूलना असामान्य नहीं है। लेकिन अस्पताल मार्जिन को 20 से 35 फीसदी के बीच रखता है। उन्होंने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि मुंबई में हाल ही में एक चिकित्सक ने हार्ट सर्जरी के लिए 20 लाख रुपये लिए थे और अस्पताल ने करीब 30 लाख का बिल बनाया था।

कम खर्च में ईलाज होने से विदेश से भी काफी संख्या में रोगी भारत आ रहे हैं और यहां से बाहर जाने वाले रोगियों की संख्या भी कम हो गई है।

भारत में स्तन कैंसर की सर्जरी 7 लाख रुपये से कम में आसानी से हो जाता है और विशेष उपचार की ​​स्थिति में इसकी लागत 12 लाख रुपये तक जा सकती है। लेकिन अमेरिका में इस तरह के उपचार का खर्च करीब 45 लाख रुपये आता है।

First Published : April 23, 2023 | 7:38 PM IST