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कर मामले में वोडाफोन की जीत

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:18 AM IST

हेग की मध्यस्थता अदालत ने आयकर विभाग की 20,000 करोड़ रुपये की कर मांग के खिलाफ वोडाफोन समूह की याचिका के पक्ष में फैसला सुनाया है। यह मामला 2007 में हचिसन व्हैमपोआ के शेयर (हचिसन-एस्सार) के अधिग्रहण से जुड़ा है। देश से बाहर हुए इस सौदे को लेकर कर विभाग ने वोडाफोन समूह से 20,000 करोड़ रुपये का कर मांगा था।
मध्यस्थता समिति ने अपने आदेश में कहा कि  उच्चतम न्यायालय में कर की मांग को खारिज किए जाने के बाद भी वोडाफोन से कर की मांग करना द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते के तहत निष्पक्ष व्यवहार के खिलाफ है और यह समझौते की धारा 4 (1) का उल्लंघन है।
आदेश में आगे कहा गया कि वोडाफोन भारत में अपने मोबाइल कारोबार में किए गए निवेश के संदर्भ में द्विपक्षीय निवेश करार के अनुरूप उचित और समान व्यवहार का हकदार है। भारत द्वारा इसके अनुपालन की अवहेलना इसकी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी से जुड़ी होगी। मध्यस्थता समिति ने भारत को कहा है कि वह वोडाफोन को कानूनी खर्च के लिए करीब 4.32 लाख पौंड का भुगतान करे।
आयकर विभाग ने 2007 में पूंजीगत लाभ कर मद में 7,999 करोड़ रुपये की मांग की थी, जो 2016 में ब्याज और जुर्माना जोड़कर 22,100 करोड़ रुपये हो गया था।
वोडाफोन ने बयान में कहा, ‘निवेश संधि पंचाट ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाया है। यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया और भारत की ओर से नियुक्त मध्यस्थ श्री रोड्रिगो ओरामूनो ने भी वोडाफोन के पक्ष में निर्णय दिया पंचाट ने कहा कि भारत की ओर से कर के लिए दबाव डालना अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होगा।’
वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार फैसले के सभी पहलुओं का अध्ययन करेगी। वकीलों से परामर्श के बाद सरकार सभी विकल्पों पर विचार करेगी और उचित मंच पर कानूनी उपाय सहित अन्य कदम उठाने का निर्णय करेगी।
सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सरकार पंचाट के आदेश का अध्ययन कर रही है और जल्द ही अपने विचार साझा करेगी। विदेशी पंचाट के निर्णय का संचालन भारतीय मध्यस्थता अधिनियम के तहत होता है और सरकार इस आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं है।’
उन्होंने आगे कहा कि कर संबंधी विवाद भारत-नीदरलैंड के द्विपक्षीय निवेश संवद्र्घन करार के दायरे में नहीं आता है। और पंचाट का यह निर्णय भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत आता है। सरकार ने इसका विरोध किया था और कहा था कि इसे विदेश के न्यायिक क्षेत्र में कर संधि के तहत किया जाना चाहिए।
इस मामले में वोडाफोन कर संधि के तहत फिर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकती है। उन्होंने कहा कि वोडाफोन ने कर विभाग को कोई भुगतान नहीं किया है। ऐसे में रिफंड का सवाल ही नहीं है।

First Published : September 26, 2020 | 12:26 AM IST