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कीमतों की सुनवाई के लिए बेताब कंपनियां

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 9:20 PM IST

देश की गैस अर्थव्यवस्था के लिए 29 अप्रैल एक महत्वपूर्ण दिन होगा।


उस तारीख को मुंबई उच्च न्यायालय रिलायंस इंडस्ट्रीज लि.(आरआईएल) और रिलायंस नेचुरल रिसोर्स लि. (आरएनआरएल) में से किसी एक को कृष्णा-गोदावरी बेसिन में गैस के विशाल भंडार का अधिकार देने का निर्णय सुनाएगी।


उसी दिन न्यायालय यह भी फैसला लेगी कि क्या सरकार इस मामले में एक पक्ष बनेगी या नही।सरकार ने इस संबंध में न्यायालय में एक आवेदन देते हुए उल्लिखित किया कि कृष्णा-गोदावरी बेसिन के डी-6 ब्लॉक में आरआईएल जो गैस उत्पादन की योजना बना रही है उस हिस्से पर उनका भी अधिकार है। तेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमलोग इस वाद के निर्णय से प्रभावित होंगे क्योंकि इससे हमारा लाभ प्रभावित हो सकता है।


हमलोगों ने इसी वजह से मुंबई उच्च न्यायालय में शुक्रवार को आवेदन कर चुके हैं। तेल मंत्रालय इस मामले में स्थगन आदेश चाहती है क्योंकि मंत्रालय मानती है कि जब तक आरआईएल उपभोक्ता से आपूर्ति अनुबंध पर हस्ताक्षर नही करवा लेती है तब तक उसे इस क्षेत्र से गैस उत्पादन के अधिकार को पाने के लिए कोशिश करना व्यर्थ है।हालांकि पिछले साल न्यायालय ने आरआईएल को इस बात की मनाही की थी कि गैस की इस बिक्री में किसी तीसरी पार्टी को न शामिल किया जाए।


आरएनआरएल के एक कार्यकारी ने बताया कि वे सरकार को एक पक्ष बनाने का विरोध करती है। मुंबई उच्च न्यायालय ने अपने पहले के अपने आदेश में कहा था कि  ब्लॉक में गैस उत्पादन की जिम्मेदारी आरएनआरएल और एनटीपीसी को दी जा चुकी है और आरआईएल क ो इसके सीमित क्षेत्रों का अधिकार दिया गया था। 


आरआईएल इस ब्लॉक से आठ करोड़ घनमीटर प्रतिदिन गैस के उत्पादन की योजना बना रही है जो देश की वर्तमान गैस उपलब्धता का दुगुना है। आरआईएल ने जनवरी 2006 में इस बात पर राजी हो गई थी कि वे आरएनआरएल को प्रतिदिन 2 करोड़ 80 लाख घनमीटर गैस देगी।


इसके लिए प्रति ब्रिटिश थर्मल ईकाई के लिए 2.34 डॉलर देने की भी बात हुई थी। लेकिन इस कीमत को तेल मंत्रालय ने खारिज कर दिया था। पिछले साल सरकार ने प्रति ब्रिटिश थर्मल ईकाई के लिए 4.2 डॉलर की कीमत निर्धारित की थी। किसी भी कंपनियों के द्वारा इन कीमतों का निर्धारण तब ही मान्य होता है जब सरकार इसपर मुहर लगाती है क्योंकि इसी कीमतों में सरकार की रॉयल्टी और फायदा दोनों जुडा होता है।


आरआईएल इसी तरह के अनुबंध को लेकर 2002 में एनटीपीसी से भी जुड़ी थी। वैसे आरआईएल के सर्वेसर्वा मुकेश अंबानी ने कहा था कि इतने कम दामों पर गैस नही बेचा जा सकता है क्योंकि अनुबंध के बाद गैस की कीमतें बढ़ गई है।


दिल्ली स्थित एक विशेषज्ञ ने कहा कि इसी विवाद के कारण डी6 ब्लॉक में गैस उत्पादन का काम रोक दिया गया क्योंकि आरएनआरएल के साथ किए गए अनुबंध के मुताबिक इसे किसी तीसरी पार्टी को देना नही था।

First Published : April 13, 2008 | 11:34 PM IST