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देर आए दुरुस्त आए

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 9:03 PM IST

कंपनी विधेयक 2008 को लाने के लिए सरकार ने अपनी कमर कस ली है, तो निश्चित तौर पर यह कयास लगाया जा रहा है कि देश की कॉरपोरेट तस्वीर को बदलने के लिए कितना दबाव बनाया गया होगा।


हालांकि माजरा जो भी हो, यह विधेयक संसद के आगामी सत्र में पेश होना है। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि इसे लाने के बाद अपने आप को बधाई देने की स्थिति बन रही है। इसमें भी कोई शक नही है कि कंपनी विधेयक को इस स्थिति में आने तक जरूरत से ज्यादा वक्त लग गया। हालत अब ऐसी है कि यह विधेयक अब अक्रियाशील सा प्रतीत हो रहा है।

इस कानून को संशोधित करने के लिए कई शांतिपूर्ण कोशिश की गई, लेकिन ये संपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त किए बिना किया जा रहा था। इस दिशा में एक उल्लेखनीय कोशिश कंपनी संशोधन विधेयक 2003 में की गई थी, जो नरेश चंद्र समिति की सिफारिशों पर आधारित था।

इस संशोधन की आलोचना की गई, क्योंकि इसका प्रारूप बनाने में लापरवाही बरती गई थी और इसमें आवश्यक बोर्ड संरचनाओं से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को भी जगह मिली थी, जिसकी आवश्यकता के सवाल पर काफी विरोध किया गया था। संयोगवश यह विधेयक पारित नहीं हो पाया।

नए कंपनी विधेयक को लेकर मॉडल सैद्धांतिक दस्तावेज बनाने की दिशा में वर्तमान सरकार ऐसी पहली सरकार रही, जिसने इस दिशा में ठोस पहल किया। वैसे इससे संबद्ध कुछ दस्तावेज कंपनी मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर भी डाला गया है, जिसमें शेयरधारकों और विशेषज्ञों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि एक आम सहमति पर आधारित विधेयक की रूपरेखा तैयार की जाए।

मंत्रालय इस विधेयक के संबंध में जो परिवर्तन करना चाहता है, उसके पीछे उसका तर्क यह है कि समय के साथ इसे संगत बनाया जाए। इसमें विशिष्ट खण्डों में खास मुद्दों को जोड़ने की भी बात चल रही है ताकि इस संबंध में किसी भी परेशानी के लिए संबंधित उपबंधों का सहारा लिया जा सके। इसका परिणाम यह हुआ कि 781 उपबंधों के बजाय अब इसमें 289 उपबंध ही बचे हैं।

कई उपधाराओं को उसकी प्रकृति के हिसाब से एक साथ ही संकलित कर लिया गया है। फॉलो अप के तहत वर्ष 2005 में जे जे ईरानी की अध्यक्षता में प्रस्तावित विधेयक की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया गया । समिति ने जो सिफारिशें पेश की, उनके लिए कहा गया कि इसकी प्रकृति मिश्रित है। यह आरोप भी लगाया गया कि प्रमोटर लॉबी का इसमें पक्ष लिया गया है।

First Published : September 15, 2008 | 12:25 AM IST