जून के पहले सप्ताह से लॉकडाउन में राहत देने का केंद्र सरकार का फैसला इटली की ब्रेक विनिर्माता ब्रेम्बो के लिए आशा की किरण लेकर आया था। जून के मध्य में तमिलनाडु सरकार ने चार जिलों में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा करते हुए काम पर ही ब्रेक लगा दिया था। तकरीबन सौ कर्मचारी काम पर लौटने वाले थे। अब चुनौती यह थी कि उन्हें चेन्नई में ब्रेम्बो की इकाई तक कैसे लाया जाए। अब तक लगभग एक महीने के दौरान हीरानंदानी समूह चेन्नई से बाहर के शहरों में रहने वाले 30 श्रमिकों को कारखाने के पास लक्जरी अपार्टमेंट में ले आया है। जब से सरकार का रुख आर्थिक गतिविधियों को अनलॉक करने का हुआ है, तब से कंपनियां अपने परिचालन के सबसे महत्त्वपूर्ण हिस्से-श्रमिकों को वापस लाने पर ज्यादा जोर देने लगी हैं। केलर ग्राउंड इंजीनियरिंग इंडिया के प्रमुख (मानव संसाधन) जे सुब्रमण्यन को यह बात मानने में कोई गुरेज नहीं है कि कॉरपोरेट जगत ने वर्षों से श्रमिक वर्ग के बारे में नहीं सोचा है और कोविड के बाद की दुनिया में इसमें सुधार किया जा रहा है। विनिर्माण पर इस विश्वव्यापी महामारी के प्रभाव के संबंध में टीमलीज द्वारा हाल ही में एक समूह चर्चा के दौरान सुब्रमण्यन ने कहा था, ‘हमें प्रवासी श्रमिकों की शक्ति का एहसास हो गया है। हम जानते हैं कि वे हमारे तंत्र के लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं।’
विनिर्माण क्षेत्र श्रमिकों में विश्वास बढ़ाने के लिए कार्यक्षेत्रों को फिर से तैयार कर रहा है। उदाहरण के लिए फेस रीडर, रेटिना स्कैनर और स्वाइप कार्ड ने उपस्थिति दर्ज करने वाली बायोमेट्रिक प्रणाली का स्थान ले लिया है और कैंटीन की भीड़-भाड़ से बचने के लिए श्रमिकों को अपने कार्यस्थल पर ही भोजन करने की अनुमति प्रदान की गई है। ब्रेम्बो जैसी कंपनियां ऐसे सेंसर खरीदने की योजना बना रही हैं जो कर्मचारियों द्वारा साझा क्षेत्रों में एक मीटर के दायरे में एक-दूसरे के निकट आने पर चेतावनी का संकेत देंगे। इंजीनियरिंग कंपनी थर्मैक्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एमएस उन्नीकृष्णन ने कहा कि हमने सूक्ष्म खंड की प्रणाली अपनाने के लिए अपने कारखाने की मंजिलों का पुनर्गठन किया है। इन खंडों में काम करने के लिए कर्मचारियों को वर्गीकृत किया गया है। संगठन भी आत्मविश्वास बढ़ाने वाले उपाय कर रहे हैं। वाहनों के कलपुर्जों का विनिर्माण करने वाली कंपनी वैरोक इंजीनियरिंग हर महीने अपने कर्मचारियों को नुस्खे के साथ होम्योपैथिक दवाएं भेज रही है और अपनी शाम की चाय को उसने प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले पेय – काढ़े से तब्दील कर दिया है। वह फोन पर मानसिक स्वास्थ्य परामर्श भी दे रही है।
उन्नीकृष्णन ने कहा, ‘अगर आप कर्मचारियों के साथ स्वस्थ संबंध बनाते हैं, तो वे काम पर आने के लिए प्रेरित होंगे।’ कर्मचारियों को सुरक्षित महसूस कराने लिए कंपनियां उनके संपर्क पर निगाह रखने के लिए मोबाइल फोन ऐप पर भरोसा कर रही हैं। वैश्विक टेलीकॉम कंपनी ऑरेंज बिजनेस सर्विसेज के पास एक ऐसी मोबाइल ऐप है जिसे कर्मचारियों को डाउनलोड करना होगा और उसके द्वारा किए गए सवालों के जवाब देने होंगे। अगर कोई कर्मचारी किसी कंटेनमेंट क्षेत्र से आया है, तो यह ऐप कंपनी को सचेत कर देती है। कर्मचारियों को परिसर में प्रवेश करने से पहले ऐप पर ग्रीन सिग्नल दिखाना होगा। मारुति सुजूकी अपनी इन-हाउस मोबाइल ऐप के जरिये करीब 50,000 कर्मचारियों की रियल टाइम निगरानी कर रही है जिसमें स्वाद और गंध तथा कोविड-19 के अन्य संभावित लक्षणों से संबंधित एक टैब होता है। लेकिन कॉरपोरेट जगत की उपेक्षा का दर्द झेलने वाले गरीबों के मन में लॉकडाउन का पलायन अब भी ताजा है। अनवर (40 वर्ष) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निर्माण परियोजनाओं में काम करते हैं। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने और उनके सहयोगियों ने अपने नियोक्ता यूनाइटेड ग्रुप से बेहतर सुविधाओं की मांग करते हुए मुसीबत का संदेश भेजा था। यह संदेश वायरल हो गया। जहां वह काम करते थे, जब वहां एक विनिर्माण स्थल पर प्रबंधन में कुछ लोग कोविड-19 की जांच में पॉजिटिव पाए गए, तो अनवर घबराए नहीं। वह अस्थायी रूप से दूसरे कार्यस्थल पर स्थानांतरित हो गए। उन्होंने कहा कि कोई भी श्रमिक संक्रमित नहीं पाया गया, केवल वातानुकूलित कमरों में बैठने वाले अधिकारी ही पॉजिटिव पाए गए।