सर्दियां बताएंगी कोविड है या चला गया

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 2:11 PM IST

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि 23 सितंबर से भारत में रोज कोविड19 मामलों की संख्या 5,000 के नीचे बनी हुई है। वहीं विश्व भर में पिछले 24 घंटों में 176,357 नए कोविड-19 मामले सामने आए हैं। 
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अब तक दुनिया भर में महामारी की शुरुआत के बाद से कुल मिलाकर 61.5 करोड़ कोविड-19 मामले दर्ज किए हैं, और 6.524 करोड़ मौतें हुई हैं। कई देशों ने अनिवार्य रूप से मास्क लगाने के  नियमों में ढील देना शुरू कर दिया है और लोग अब लगभग कोरोना पूर्व की स्थिति में वापस लौट रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाली सर्दी के महीने ही यह तय करेंगे कि दुनिया भर से आधिकारिक तौर पर ‘महामारी के अंत’ की घोषणा की जाए या नहीं। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि हालांकि कोविड मामलों में गिरावट आई है, हमें यह देखने के लिए साल के अंत तक इंतजार करना चाहिए कि क्या कोई नई किस्म का वायरस अधिक प्रभावी क्षमता के साथ तो नहीं उभर रहा है।
अगर ओमीक्रोन कोरोनावायरस की अन्य किस्मों को दूर रखना जारी रखता है और केवल हल्की बीमारी का कारण बनता है, तो हम अगले साल की शुरुआत में मास्क पर समीक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उस समय तक इस बारे में अधिक डेटा इकट्ठा हो जाएंगे और यह पता करने में आसानी होगी कि क्या ओमीक्रोन अक्सर इससे संक्रमित लोगों में लंबे दिन तक चल सकेगा या नहीं। 
इटली ने पिछले हफ्ते सार्वजनिक परिवहन में मास्क लगाने के नियम को खत्म कर दिया, यूएई लगभग ढाई साल के बाद मास्क की आवश्यकता के नियम को खत्म कर रहा है।  दुनिया कोविड-19 की बुनियादी सावधानियों से भी दूर जा रही है क्योंकि यह बीमारी धीरे-धीरे फ्लू जैसी स्थिति बन जाती है।
कुछ विशेषज्ञों ने तो खुले स्थानों में अनिवार्य रूप से मास्क नहीं पहनने की वकालत की है। सितंबर के मध्य में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों में उनके सबसे आशावादी दृष्टिकोण में दुनिया कभी भी कोरोना महामारी को समाप्त करने के लिए बेहतर स्थिति में नहीं रही है। गेब्रेयसस ने संवाददाताओं से कहा, हम अभी ऐसी स्थिति में नहीं हैं, लेकिन अंत नजर आ रहा है।
लेकिन, विशेषज्ञ इसे ‘अंत’ कहने को लेकर सतर्क हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा पिछले महीने एक टेलीविजन साक्षात्कार में ‘महामारी खत्म’ घोषित किए जाने के बाद, उन्हें अपने ही देश के विशेषज्ञों की आलोचना झेलनी पड़ी। विशेषज्ञों ने इसे ‘समय से पहले और देश के लिए हानिकारक’ बताया। भारत के विशेषज्ञ भी इससे सहमत नजर आ रहे हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और जन स्वास्थ्य अभियान (जेएसए) के राष्ट्रीय सह-संयोजक अमूल्य निधि ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, महामारी अभी जारी है और अगर हम दुनिया भर के अनुभवों से सीखते हैं तो कई देशों का ध्यान अभी भी निवारक उपायों पर है। मास्क का उपयोग करने में कोई बुराई नहीं है और लोगों को सभी निवारक उपायों को जारी रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत में पिछले तीन महीनों में टीकाकरण अभियान भी धीमा है जो एक अच्छा संकेत नहीं है। सरकार को टीकाकरण अभियान और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क अनिवार्य करने के अपने प्रयास जारी रखने चाहिए। 
विशेषज्ञों ने चेताया है कि वायरस नए रूप में आते रहेंगे और अगले कुछ वर्षों तक इसकी नई और प्रभावी किस्में सामने आती रहेंगी।
इसका मतलब यह नहीं है कि महामारी अगले कुछ वर्षों तक जारी रहेगी। केरल के मंजेरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज में सामुदायिक चिकित्सा के असोसिएट प्रोफेसर अनीश टीएस ने कहा कि किसी भी संक्रमण में वृद्धि करने वाले प्रभावी वैरिएंट को रोकने के लिए निगरानी को मजबूत करने की आवश्यकता है। अनीश ने कहा कि उन्हें लगता है कि महामारी समाप्त हो गई है या नहीं, एक अर्थशास्त्री इसे अलग तरह से देखेगा जबकि एक चिकित्सक का एक अलग नजरिया होगा।
अगर संक्रमण बड़ी आबादी के जीवन के लिए खतरा नहीं है, तो अर्थशास्त्री कहेंगे कि केवल कुछ लोगों के जीवन को बचाने के लिए देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान न पहुंचाएं। जबकि एक चिकित्सक संक्रमण के नजरिए से इसे देखगा।
उन्होंने कहा कि कि वैक्सीन निर्माताओं का समूह भी कोविड-19 को प्रासंगिक और इसके डर को बनाए रखने की कोशिश करेगा। इसका उदाहरण राष्ट्रपति बाइडन के महामारी खत्म कहने के ठीक बाद, एक्सचेंज में मॉडर्ना, बायोनटेक, नोवावैक्स के शेयर 9 फीसदी तक गिर गए, जबकि फाइजर में 2 फीसदी की गिरावट आई।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि महामारी समाप्त हो गई है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के निदेशक और आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व प्रोफेसर दिलीप मावलंकर ने कहा कि महामारी समाप्त हो गई है। उनका मानना है कि अब यह किसी भी अन्य फ्लू जैसी बीमारी की तरह बनी रहेगी। 

First Published : October 4, 2022 | 9:51 PM IST