विश्लेषकों का अनुमान है कि भारत में 2021 की पहली तिमाही तक कोविड का टीका आएगा जिसे मंजूरी मिल चुकी होगी। दुनिया भर में कोविड के चार टीकों को कैलेंडर वर्ष 2020 या फिर 2021 के अंत तक मंजूरी मिल सकती है जिनमें ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका वायरल वेक्टर टीका, मॉडर्ना का एमआरएनए, फ ाइजर-बायोएनटेक का एमआरएनए और नोवावैक्स का प्रोटीन सब-यूनिट टीका शामिल है।
साझेदारियों के माध्यम से भारत की इनमें से दो, ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स तक पहुंच है। अब तक नोवावैक्स के टीके ने एंटीबॉडी और वायरस को बेअसर करने का सबसे बेहतर स्तर दिखाया है। दोनों टीके बेहतर प्रतिरोधक क्षमता का दावा भी करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों टीके को 21-28 दिन के अंतर पर देने की जरूरत होगी। वैश्विक टीका से इतर जायडस, भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई और जेनोवा अपने कोविड टीका पर काम कर रही है जो फि लहाल पहले और दूसरे चरण के परीक्षण चरण में हैं।
बायोलॉजिकल ई ने जॉनसन ऐंड जॉनसन (जेऐंडजे) के साथ साझेदारी की है जिसके जरिये वे जेऐंडजे के वायरल वेक्टर टीके का निर्माण करने के साथ ही उसके व्यावसायीकरण का काम शुरू कर सकते हैं। उन्होंने हाल ही में एकॉर्न के विनिर्माण संयंत्र का भी अधिग्रहण किया है ताकि उनकी विनिर्माण क्षमता 1 अरब खुराक तक बढ़ाई जा सके। जेऐंडजे ने हाल ही में अपने टीके के लिए प्री-क्लीनिकल जानवरों से जुड़ा डेटा प्रकाशित किया था। इसमें दो चीजें अलग नजर आईं कि एक ही खुराक प्रभावी लगती है और लगभग सभी जानवरों ने प्रतिरोधक क्षमता दर्शायी है। बर्नस्टीन के विश्लेषकों ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) पहला टीका लाने के लिए सबसे अच्छी स्थिति में है।
स्वदेशी टीके की तादाद चुनिंदा है, ऐसे में भारत की निर्भरता वैश्विक क्षमता से जुड़े समीकरणों पर ज्यादा है। एसआईआई, भारत बायोटेक, बायोलॉजिकल ई और कुछ छोटे खिलाडिय़ों के जरिये भारत हर साल विभिन्न टीकों की लगभग 2.3 अरब खुराक का उत्पादन करता है। एसआईआई वैश्विक स्तर पर टीके का सबसे बड़ा निर्माता है जिसकी क्षमता लगभग 1.5 अरब खुराक की है जिसे 2020 के अंत तक बढ़ाकर 1.95 अरब खुराक तक कर दिया जाएगा। विश्लेषकों का कहना है कि अपनी मौजूदा क्षमताओं के साथ एसआईआई सबसे बेहतर स्थिति में है कि वह स्वीकृति के समय, क्षमताओं और मूल्य निर्धारण के आधार पर साझेदारी वाले एक या दोनों टीके का व्यवसायीकरण कर सके।
बर्नस्टीन के विश्लेषकों ने कहा, ‘हम विनिर्माण के स्तर को बढ़ाने से जुड़ी कोई चुनौती नहीं देखते हैं। वे लगभग 1 अरब खुराक की अतिरिक्त क्षमताओं में भी निवेश कर रहे हैं और हमारा अनुमान है कि वे 2021 में लगभग 60 करोड़ खुराक और 2022 में लगभग 1 अरब खुराक की आपूर्ति करने के लिए तैयार होंगे जिनमें से 2021 में भारत के लिए 40.50 करोड़ खुराक उपलब्ध होने चाहिए जो जीएवी (ग्लोबल अलायंस फ ॉर वैक्सीन ऐंड इंम्युनाइजेशन) और निम्न और मध्यम आय (एलएमआईसी) वाले बाजारों के प्रति प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए होगा।
टीका विकास की गति को देखकर खुशी है कि यह 2021 तक तैयार हो जाएगा लेकिन इन टीकों में अब भी सामान्य टीका विकास की तुलना में कुछ क्षेत्रों में कमी रह जाएगी। कोविड-19 से पहले, बाजार में सबसे तेजी से आने वाला मंप्स टीका था जिसकी मंजूरी मिलने में चार साल लग गए थे। इसी वजह से उम्मीद की जा रही है कि नियामक प्राधिकरण ज्यादा जोखिम वाले उपसमूहों में इसके आपातकालीन इस्तेमाल के साथ शुरुआत करेगा और मार्केटिंग के बाद व्यापक निगरानी पर जोर देने के साथ-साथ मरीजों के उपसमूहों में अतिरिक्त डेटा मिलने का इंतजार करेगा ताकि लेबल का विस्तार हो। टीके की वैश्विक क्षमता का 40 फीसदी हिस्सा भारत के पास है जो अनुमानत: 5.7 अरब खुराक है। ये क्षमता स्थानीय मांग से अधिक हैं और 74 फ ीसदी उत्पादन का निर्यात जीएवी के माध्यम से एलएमआईसी की मांग को पूरा करने के लिए किया जाता है।
वित्त वर्ष 2021-22 में देश में टीके का बाजार 6 अरब डॉलर तक का हो सकता है। भारत सरकार 68 करोड़ खुराक खरीद सकती है और इसका मतलब यह होगा कि सरकार को 1.9 अरब डॉलर खर्च करना होगा। अगर सरकार ने पूरी आबादी को टीका लगाने का फैसला किया तो उसे 6 अरब डॉलर खर्च करना होगा। (60 फ ीसदी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता के लिए टीका लगाने के लिए 1.3 अरब डॉलर खर्च करना होगा और प्रति व्यक्ति 2 खुराक के लिहाज से यह कीमत 3 डॉलर प्रति खुराक होगी)
बर्नस्टीन के विश्लेषकों का अनुमान है कि टीके की मात्रा सरकारी माध्यमों और निजी बाजार के बीच 55:45 के अनुपात में विभाजित की जाएगी। एसआईआई ने घोषणा की है कि जीएवीआई 3 डॉलर प्रति खुराक की कीमत पर टीके की खरीद करेगा। इस कीमत को एक मानक के रूप में देखते हुए विश्लेषकों का अनुमान है कि सरकार के लिए खरीद की कीमतें 3 डॉलर प्रति खुराक और निजी बाजार में यह 6 डॉलर प्रति खुराक होगा। न्यूनतम 60 प्रतिशत आबादी को सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता के लिए टीका लगाया जाएगा। सरकार 50 फ ीसदी आबादी की प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए इसे लेगी और बाकी निजी बाजार के टीके का इस्तेमाल किया जाएगा।
बर्नस्टीन के विश्लेषकों ने कहा, ‘हम मानते हैं कि ये कीमतें वित्त वर्ष 2023 तक स्थिर रहेंगी। बाजार में ज्यादा टीके के आने से यह संभव है कि कीमतों में कमी आएगी।’ हालांकि ऐसी उम्मीद है कि निजी बाजार फं डिंग, मानव संसाधन और वितरण के बुनियादी ढांचे में मददगार हो सकता है। प्रशिक्षित लोगों को जोडऩा सबसे बड़ी चुनौती होगी। मौजूदा समय में बर्नस्टीन का अनुमान है कि सरकारी कार्यक्रम के क्रियान्वयन में 18-20 महीने लग सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उद्योग के विशेषज्ञों के साथ हाल ही में बातचीत के आधार पर हमारा मानना है कि सरकारी चैनलों के माध्यम से टीके का पहला सेट सबसे कमजोर आबादी के लिए आवंटित किया जाएगा जिनमें स्वास्थ्यकर्मी, 65 साल से अधिक उम्र वाले लोग, आवश्यक क्षेत्र के कार्यकर्ता (रक्षा, रेल, सड़क, हवाई, परिवहन क्षेत्र में काम करने वाले लोग) और फि र आर्थिक रूप से कमजोर आबादी को (संभवत: आयुष्मान भारत में नामांकित लोगों) टीका दिया जाएगा।’ निजी क्षेत्र में टीका का इस्तेमाल सामथ्र्य पर निर्भर करेगा और इसीलिए इसकी शुरुआत समृद्ध आबादी के साथ शुरू होगी और फि र आमदनी के विभिन्न श्रेणियों वाले लोगों को टीका मुहैया कराया जाएगा।
कोरोना : घटनाक्रम
भारत में एक दिन में कोविड-19 के सर्वाधिक 77,266 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 33,87,500 हो गए। वहीं शुक्रवार तक 25,83,948 लोग ठीक हो चुके हैं
संक्रमण जांच के लिए देश में अब तक कुल 3,94,77,848 परीक्षण किए जा चुके हैं और पिछले दो हफ्तों में ही एक करोड़ से अधिक नमूनों की जांच की गई है
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि देशों को संक्रमण का पता लगाने के लिए उन लोगों की भी जांच की जानी चाहिए जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं हैं
भारत के शीर्ष चिकित्सा शिक्षा नियामक ने कोविड-19 जैसी महामारियों से उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर डॉक्टरों को बेहतर तरीके से तैयार करने के लिए पाठ्यक्रम में एक नया हिस्सा जोड़ा है
जांच में भारत अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा देश : ट्रंप
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका ने किसी भी अन्य देश के मुकाबले सबसे ज्यादा कोविड-19 जांचें की हैं और भारत उसके बाद दूसरे नंबर पर है। रिपब्लिकन पार्टी से फिर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के लिए ‘रिपब्लिकन नैशनल कन्वेंशन’ में अपने स्वीकृति भाषण में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने कोविड-19 की जांच करने के लिहाज से दूसरे नंबर पर मौजूद भारत से चार करोड़ ज्यादा जांच की है। उन्होंने कहा, ‘हमने कॉन्वलेसेंट प्लाज्मा के तौर पर जानी जाने वाली शक्तिशाली एंटीबॉडी उपचार समेत कई प्रकार के प्रभावी उपचारों को विकसित किया है।’ ट्रंप ने कहा, ‘आपने यह देखा होगा जब रविवार रात हमने घोषणा की थी कि हम हजारों-हजार जीवन को बचाएंगे। चिकित्सीय प्रगति की बदौलत हमने मृत्यु दर को कम कर लिया है और अगर आप संख्याओं को देखेंगे तो पाएंगे कि अप्रैल के बाद से यह 80 प्रतिशत तक घट गई है।’ भाषा