एनयूई के लाइसेंस के लिए प्रतिस्पर्धा में दो और कंसोर्टियम शामिल

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 7:27 AM IST

डिजिटल भुगतान के लिए न्यू अंब्रैला इंटिटी (एनयूई) का लाइसेंस हासिल करने की दौर में भीड़ बढ़ सकती है। बताया जा रहा है कि एनयूई के लाइसेंस के लिए 6 कंसोर्टियम प्रतिस्पर्धा में हैं, जो खुदरा भुगतान के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) जैसा कोई लाभकारी निकाय बनाऐंगे।

एक कंसोर्टियम की अगुआई फाइनैंसियल सॉफ्टवेयर ऐंड सिस्टम्स (एफएसएस) के हाथों में है जो भुगतान उत्पादों और भुगतान प्रोसेसर का अग्रणी प्रदाता है। इसके साझेदार इंडियन बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, भारतीय डाक भुगतान बैंक, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण बैंक (नाबार्ड) हैं। इनके साथ ही कुछ लघु वित्त बैंक हैं जो एनयूई लाइसेंस हासिल करने के लिए रिजर्व बैंक को आवेदन देंगे। इस मामले से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

इसी तरह से दूसरे कंसोर्टियम की कमान एफआईएस के हाथ में जिसके साथ पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया हैं। एफआईएस व्यापारियों, बैंकों और वैश्विक स्तर पर पूंजीगत बाजार कंपनियों के लिए तकनीकी समाधानों का अग्रणी प्रदाता है। सूत्रों ने बताया कि कुछ अन्य फिनेटक कंपनियां भी इस चर्चा में शामिल हैं।

इस मामले के जानकार एक सूत्र ने कहा, ‘चर्चा शुरुआती चरणों में है लेकिन इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है क्योंकि रिजर्व बैंक ने समय सीमा को आगे बढ़ा दिया है।’

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने खुदरा भुगतानों के लिए एक छत्र निकाय की स्थापना की समय सीमा को बढ़ाकर 31 मार्च, 2021 कर दिया। इससे पहले रिजर्व बैंक ने इसके लिए 26 फरवरी, 2021 तक का समय दिया था। रिजर्व बैंक ने एक वक्तव्य में कहा कि कोविड-19 संबंधी बाधाओं और असुविधाओं को देखते हुए समय सीमा में विस्तार करने के लिए उसे भारतीय बैंकों के संघ (आईबीए) सहित विभिन्न साझेदारों से अनुरोध प्राप्त हुआ था।

रिजर्व बैंक ने नए एनयूई की स्थापना के लिए अगस्त में दिशानिर्देश जारी किये थे। एनयूई को खुदरा क्षेत्र में नए भुगतान प्रणालियों की स्थापना, प्रबंधन और परिचालन का कार्य सौंपा जाएगा। यह कदम व्यवस्था में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के दबदबे में कमी लाने के लिए उठाया गया था। एनपीसीआई फिलहाल यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई), भारत बिल पेमेंट सिस्टम्स (बीबीपीएस), आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम्स (एईपीएस) और अन्य जैसे कई भुगतान प्लेटफॉर्मों की पेशकश और प्रबंधन करता है। रिजर्व बैंक ने 2008 में इसकी स्थापना की थी। एनपीसीआई के अस्तित्व में आने से पहले रिजर्व बैंक ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा की भी स्थापना की थी।

पहले आई एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि सरकार एनपीसीआई से प्रतिस्पर्धा के लिए सरकारी बैंकों द्वारा एनयूई की स्थापना को लेकर उत्सुक नहीं है। एक बैंककर्मी ने कहा, ‘यहां हित के टकराव का मामला है। अत: हम इस मुद्दे पर और अधिक स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहे हैं।’

एक अन्य बैंकर ने कहा, ‘हालांकि दिलचस्पी है, लेकिन सिर पर अनिश्चितता की तलवार लटकी हुई है क्योंकि सरकार ने संकेत दिए हैं कि एनपीसीआई में हिस्सेदार बैंक इसके प्रमुख सहयोगी होंगे। यह अभी शुरुआती चरण है।’

विशेषज्ञों ने कहा है कि प्रस्तावित निकाय के लिए योजना और ढांचा जबरदस्त होना चाहिए जो एनपीसीआई का मुकाबला करने में सक्षम हो। प्रतिस्र्धा से भी अहम बात यह देखना है कि किस प्रकार से प्रणाली को बड़े कारोबारी अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनया जा सकता है। आईटी कंपनियों के साथ साझेदारी करने वालों को इस क्षेत्र में अधिक लाभ मिल सकता है।

जर्व बैंक एक कंसोर्टियम को लाइसेंस देगा, जो देश में भुगतान के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना करेगा, जैसा कि एनपीसीआई ने किया है। इस बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल उत्पादों को विकसित करने और उसे ग्राहकों के समक्ष पेश करने के लिए भुगतान कंपनियों, बैंकों और भुगतान परिचालकों द्वारा किया जाएगा। इस बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए कई प्रतिस्पर्धी मैदान में हैं। फिलहाल, वे एनपीसीआई के माध्यम से भुगतान लेनदेन को पूरा कर रहे हैं।’

चार और कंसोर्टियम प्रतिस्पर्धा में हैं जिनमें से एक की अगुआई ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी एमेजॉन कर रही है जिसके साझेदार एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, वीजा और कुछ अन्य हैं।

रिलायंस जियो, गूगल, फेसबुक ने इन्फीबीम के साथ मिलकर इस लाइसेंस के लिए साझेदारी की है। इनके अलावा, टाटा संस ने भी इसके लिए फर्बीन प्राइवेट लिमिटेड को आगे किया है जिसमें एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक जैसे निजी बैंक साझेदार हैं। स्टार्टअप क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ओला और पेटीएम भी इंडसइंड बैंक के साथ मिलकर एनयूई लाइसेंस को हासिल करने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं।

अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कितने लाइसेंस जारी किए जाएंगे। लेकिन यदि रिपोर्टों की मानें तो रिजर्व बैंक कम से कम दो लाइसेंस जारी करेगा।  (साथ में अभिजित लेले)

First Published : March 4, 2021 | 11:33 PM IST