OpenAI CEO Sam Altman
भारतीय स्टार्टअप्स के शीर्ष फाउंडर्स ने बुधवार को OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन से मुलाकात कर OpenAI के मॉडल्स को डेवलपर्स के लिए किफायती बनाने और भारत-केंद्रित मूल्य निर्धारण लागू करने की मांग की।
ऑल्टमैन ने भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के तेजी से बढ़ते प्रभाव की सराहना करते हुए इसे नई तकनीकी इनोवेशन के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बताया।
ऑल्टमैन के साथ OpenAI के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर केविन वील और वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग श्रीनिवास नारायणन भी मौजूद थे। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े चुनिंदा स्टार्टअप फाउंडर्स, वेंचर कैपिटलिस्ट्स, डेवलपर्स और छात्रों के साथ बैठकें कीं।
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इन बैठकों में शामिल प्रमुख भारतीय स्टार्टअप लीडर्स में इक्सिगो (Ixigo) के ग्रुप सीईओ आलोक बाजपेई, पेटीएम (Paytm) के सीईओ विजय शेखर शर्मा, स्नैपडील (Snapdeal) के को-फाउंडर कुनाल बहल, चायोस (Chaayos) के को-फाउंडर राघव वर्मा, अनअकैडमी (Unacademy) के सीईओ गौरव मुंजाल और हैप्टिक (Haptik) के सीईओ आकृत वैष शामिल थे।
इसके अलावा पीक XV के मैनेजिंग डायरेक्टर रंजन आनंदन और फिल्म निर्माता शेखर कपूर भी इन बैठकों में उपस्थित रहे।
एक स्टार्टअप फाउंडर ने कहा, “Google और Microsoft जैसी बड़ी कंपनियां भारत के लिए अलग-अलग कीमतें तय करती हैं। OpenAI को भी इसी दिशा में सोचना चाहिए क्योंकि उनकी ग्लोबल प्राइसिंग भारत के हिसाब से सही नहीं बैठती।”
यह मीटिंग्स खासतौर पर भारतीय यूजर्स की जरूरतों, OpenAI की APIs इस्तेमाल करने में आने वाली समस्याओं और उनकी कीमतों पर चर्चा करने के लिए रखी गई थीं।
Snapdeal के को-फाउंडर कुणाल बहल ने X (पहले ट्विटर) पर लिखा, “OpenAI ने माना कि उनकी प्राइसिंग अभी ज्यादा है और बड़े पैमाने पर इसे अपनाने के लिए कीमतें काफी घटानी होंगी। इस पर आगे अपडेट आने की उम्मीद है।”
OpenAI ने माना कि भारत उनका दूसरा सबसे बड़ा बाजार है और भारतीय भाषाओं में सपोर्ट को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने दिखाया कि हर नए मॉडल में सुधार हुआ है और हिंदी, मराठी, बंगाली, कन्नड़, तेलुगु, पंजाबी और मलयालम जैसी भाषाओं में भी बेहतर नतीजे मिले हैं।
OpenAI की लीडरशिप टीम ने बुधवार को भारतीय स्टार्टअप फाउंडर्स और डेवलपर्स से मीटिंग की, जहां OpenAI की टेक्नोलॉजी का उपयोग और इससे जुड़ी चुनौतियों पर खुलकर बातचीत हुई। ixigo के ग्रुप CEO आलोक बाजपेई ने Business Standard को बताया, “यह एक एंगेजिंग मीटिंग थी, जहां हमने OpenAI टेक्नोलॉजी का भारत में कैसे इस्तेमाल हो रहा है और हमें किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इस पर डिस्कशन किया। टीम ने हमारी एक्सपेक्टेशन्स को समझने में गहरी दिलचस्पी दिखाई और अपने शॉर्ट-टर्म प्लान्स भी शेयर किए।”
एक अन्य स्टार्टअप फाउंडर, जो मीटिंग में शामिल थे, ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि OpenAI की टीम API प्राइसिंग को भारत के लिए ज्यादा एक्सेसिबल बनाने पर चर्चा करने के लिए भी ओपन थी।
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मीटिंग में मौजूद एक तीसरे व्यक्ति ने कहा, “हमने उन यूजर्स और एप्लिकेशंस पर बात की, जो OpenAI के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये एक बहुत ही एंगेजिंग डिस्कशन रहा।”
OpenAI की टीम ने डेवलपर्स और स्टार्टअप्स को यह भी जानकारी दी कि उनकी मॉडल्स की सटीकता (accuracy) भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, मराठी, बंगाली, कन्नड़, तेलुगु, पंजाबी और मलयालम में काफी इंप्रूव हुई है।
एक स्टार्टअप फाउंडर के मुताबिक, बातचीत के दौरान OpenAI मॉडल्स को भविष्य में कभी ओपन-सोर्स करने की भी चर्चा हुई, हालांकि इस पर ज्यादा जानकारी नहीं दी गई।
PayTM के विजय शेखर शर्मा ने कहा, “सिर्फ ओपन-सोर्स बनाने से ज्यादा जरूरी है कि मॉडल का USP (यूनिक सेलिंग पॉइंट), प्राइस पॉइंट और उसकी कंप्यूट कैपेसिटी क्या है। भारत में अब सवाल ये नहीं है कि आप मॉडल बना सकते हैं या नहीं, बल्कि ये है कि क्या आप ऐसा मॉडल एक अरब लोगों के लिए बना सकते हैं।”