जब कोविड-19 जैसे दौर में कोई आपदा आती है तो आपदा प्रबंधन की चुनौतियां कई गुना बढ़ जाती हैं। पिछले एक साल के दौरान भारत में तटीय इलाकों में 3 चक्रवात आए हैं और हाल ही में फरवरी में उत्तराखंड में आपदा का सामना करना पड़ा। अनुभवों से सीखने के बाद भारत 17 से 19 मार्च के बीच इंटरनैशनल कोलीसन आफ डिजास्टर रिसिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सालाना सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है।
इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे, जिसमें ब्रिटेन, फिजी और इटली के प्रधानमंत्री भी डिजिटल तरीके से शामिल होंगे।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कमल किशोर ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि इसमें 900 हिस्सेदार शामिल होंगे, जिसमें आपदा को झेल पाने वाले बुनियादी ढांचे से जुड़े तमाम मसलों पर चर्चा होगी।’
सीडीआरआई में 22 सदस्य देश और 6 अंतरराष्ट्रीय संगठन शामिल हैं, जिनमें 4 बहुपक्षीय एजेंसियां और 2 निजी क्षेत्र के नेचवर्क शामिल हैं। सीडीआरआई की भारतीय शाखा ने 2019 में ओडिशा में आए फणी चक्रवात के परिणामों पर चर्चा करने की योजना बनाई है, जिसमेंं करीब 1.4 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था, जिनमें से 40 प्रतिशत नुकसान बिजली क्षेत्र का था।
किशोर ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि भविष्य में बिजली क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है। हम अन्य देशों के परिणामों पर भी विचार करने जा रहे हैं, जिससे जिंदगी और बुनियादी ढांचे को बचाने की बेहतर तैयारी हो सके।’
इसका ध्यान बिजली और दूरसंचार बुनियादी ढांचे रपर है, वहीं सीडीआरआई अपनी जानकारी के आधार पर एयरपोर्ट रिस्क इंडेक्स भी बना रहा है। सूचकांक के आधार पर हवाईअड्डों का वर्गीकरण होगा। कॉन्फ्रेंस में नॉलेज प्रोजेक्य शुरू करने, भारतीय व अन्य सदस्य देशों के लिए फेलोशिव की शुरुआत भी होगी।
यह पूछे जाने पर कि क्या सीडीआरआई सिर्फ चक्रवात पर ही केंद्रित रही है, किशोर ने कहा कि इसका ध्यान तमाम आपदाओं पर था। उन्होंने कहा, ‘बड़ी संख्या में सीडीआरआई के सदस्य चक्रवात से प्रभावित हुए हैं। उदाहरण के लिए फिजी ने हमसे संपर्क किया। हम इस पर विचार कर रहे हैं कि खतरों के समय हम किस तरह साथ आएं और एक दूसरे से जुड़कर इसके असर को कम करें।’
जब महामारी नहीं थी तो आपदा वाले इलाके में ज्यादातर लोग चक्रवात गुजरने के बाद सुरक्षित रहते थे, लेकिन अब वे वायरस से प्रभावित हो रहे हैं। किशोर ने कहा, ‘सामान्यतया साल में 2 चक्रवात झेलते हैं, लेकिन पिछले साल महामारी के बीच 3 चक्रवात आए। इसकी वजह से समस्या और बढ़ गई और जीवन बचाने की चुनौती थी। इसके लिए आपको विशेष डिजाइन तैयार करने की जरूरत है। जब आपदा एक साथ आती है तो आपको कई चीजें एक साथ करने की जरूरत होती है।’
इस सम्मेलन मेंं स्वास्थ्य और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी एक सत्र होगा। सीडीआरआई ने आपदा जोखिम कम करने के लिए यूएन कार्यालय और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए इंटरनैशनल टेलीकम्युनिकेशन के साथ गठजोड़ किया है। उन्होंने कहा, ‘डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर ने दुनिया को पिछले एक साल में में आगे बढ़ाया है। इसका इस्तेमाल ऑफिस वर्क और टेलीमेडिसिन के लिए भी हो रहा है। मान लीजिए कि समुद्री केबल है, और उस पर असर पड़ा है तो ऐसे में हम किस तरह का बैकअप बनाकर व्यवस्था को जारी रख सकते हैं। हमें टेलीकॉम टॉवर जैसे टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है, जो तूफान से बेअसर रहे। डेटा सेंटर की जररूरत है, जो आपदा से बेअसर रहें।’