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कोरोना में लगातार तेजी का दौर दिखने के आसार

Last Updated- December 15, 2022 | 4:40 AM IST

देश के ज्यादातर राज्यों में कोरोनावायरस का प्रसार अलग रफ्तार से हो रहा है। ऐसे में महामारी एक बार के बजाय कई दफा उच्च स्तर पर पहुंचती हुई दिखेगी और विशेषज्ञों के मुताबिक देश में कोविड लंबे समय तक बना रहेगा। ज्यादातर महामारी विशेषज्ञों ने जुलाई के आखिरी सप्ताह से लेकर अगस्त तक संक्रमण का स्तर शीर्ष पर पहुंचने का अनुमान जताया है, वहीं दूसरी तरफ  कई लोगों को लगता है कि राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण के उच्च स्तर पर पहुंचने की अवधारणा अस्पष्ट है। सबसे ज्यादा मामले वाले तीन प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु में ज्यादा संक्रमण दर में कमी आ रही है लेकिन देश के पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में अब संक्रमण ज्यादा बढ़ रहा है। मिशिगन विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञान की प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी ने कहा, ‘मैं राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण के मामले शीर्ष स्तर पर पहुंचने की कोई उम्मीद नहीं देखती हूं। हालांकि अगले दो महीने में देश भर में अलग-अलग चरणों में मामलों में तेजी देखी जा सकती है। यह सब सिर्फ इस बात पर निर्भर करता है कि हम कैसे व्यवहार करते हैं और नीतियों को कैसे लागू किया जाता है।’
स्वास्थ्य मंत्रालय के मौजूदा आंकड़ों  के अनुसार कोविड-19 के 86 फीसदी मामले सिर्फ  10 राज्यों में देखे गए हैं जिससे महामारी के असमान स्तर पर प्रसार का रुझान दिखता है। इसलिए विशेषज्ञों के मुताबिक देश भर की व्यापक संख्या को देखना उतना सार्थक नहीं है क्योंकि कुछ राज्यों में ही संक्रमण के मामले में ज्यादा तेजी दिख रही है। अशोक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर (कंप्यूटेशनल बायोलॉजी और सैद्धांतिक भौतिकी) गौतम मेनन कहते हैं, ‘विभिन्न राज्यों में अलग रफ्तार से प्रगति होनी चाहिए, ऐसे में उनके लिए एक-दूसरे के साथ कदम मिला कर चलना संभव नहीं है। इसका मतलब यह है कि हमें इस महामारी की प्रगति को समझने के लिए शहरों में जिले और उप-जिले तथा शहरों में जोन के स्तर के पैमाने पर देखा जाना चाहिए।’
भारत में कोविड संक्रमण का स्तर 10 लाख के दायरे को पार कर गया है। हालांकि संक्रमित लोगों की एक बड़ी तादाद ऐसी है जिनमें महामारी के हल्के लक्षण या लक्षण ही नहीं हैं ऐसे में सीरो सर्वेक्षण के आंकड़ों के बगैर संक्रमण की तादाद का अनुमान लगाना मुश्किल ही है। इसका मतलब यह है कि अभी यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि भारत में महामारी के शीर्ष स्तर पर पहुंचने पर कितने मामले हो सकती हैं और तब तक क्या सामुदायिक स्तर पर आबादी के बड़े हिस्से में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो पाएगी। मुखर्जी ने कहा, ‘हमारे मॉडल से संकेत मिलता है कि भारत में दर्ज कराए गए मामले की तुलना में 10 गुना अधिक मामले हैं। इस लिहाज से भी हम सामुदायिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने से काफी दूर हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि इसके लिए लगभग 50-70 प्रतिशत आबादी का संक्रमित होना जरूरी है।’ महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि इस बात की ज्यादा संभावना है कि रोजाना के मामलों की तादाद जब एक बार शीर्ष स्तर पर पहुंच जाएगी तब उसके बाद इसमें धीरे-धीरे गिरावट आएगी और इस गिरावट के साथ ही कुछ बदलाव भी दिखेंगे। मेनन ने कहा, ‘इसके बाद क्या मामले में दूसरे चरण की स्पष्ट तेजी होगी या कुछ अलग-अलग तेजी देखी जाएगी, यह अभी अस्पष्ट है।’ हालांकि शीर्ष स्तर से बचना संभव नहीं है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कम करना संभव है ताकि किसी जगह पर किसी दिन मरीजों के मुकाबले ज्यादा बेड उपलब्ध हो।
मणिपाल हॉस्पिटल्स में इंटरवेशनल पल्मनलॉजी के प्रमुख और कर्नाटक के कोविड कार्यबल से जुड़े डॉक्टर सत्यनारायण मैसूर कहते हैं, ‘किसी महामारी का अलिखित नियम यह है कि एक बार शीर्ष स्तर पर पहुंचेगा और फि र संक्रमितों की तादाद में कमी आएगी। कर्नाटक सरकार ने अनुमान लगाया है कि अक्टूबर और फि र जनवरी में दूसरी बार संक्रमण के मामले शीर्ष स्तर पर पहुंच सकते हैं।’ मैसूर ने कहा कि संक्रमण की मौजूदा तादाद का प्रबंधन करना भी आसान नहीं है और समय पर मदद मिलना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, ‘संक्रमण मामलों के उच्च स्तर पर पहुंचने में अक्टूबर तक की देरी हो सकती है। जनवरी-फ रवरी में हमें दूसरा शीर्ष स्तर दिखना चाहिए और उम्मीद है कि ऐसा नहीं हो।’
कर्नाटक उन राज्यों में से एक है, जिसे वायरस के प्रसार को नियंत्रण में रखने के लिए तारीफ  मिली लेकिन इसके बाद संक्रमण के मामले बढ़ते नजर आए। 1 जुलाई को यहां 16,000 मामले थे लेकिन अब यहां 55,000 से अधिक मामले हैं। राज्य में संक्रमण के मामले  के दोगुनी होने की अवधि सबसे कम रही है और महज 9 दिनों में मामले दोगुने हो गए। इसके मुकाबले दिल्ली जहां संक्रमण के मामले में काफी तेजी देखी गई थी वहां मामले के दोगुने होने में लगने वाला समय 18 जुलाई को 45 दिन रहा। मिशिगन विश्वविद्यालय के अध्ययन समूह कोव-इंड के मुताबिक 18 जुलाई के आंकड़ों के आधार पर भारत में 8 अगस्त तक 15 से 17 लाख के बीच संक्रमण के मामले देखने को मिल सकते हैं। मुखर्जी ने कहा, ‘हमें लंबे समय तक इस संकट को झेलना पड़ सकता है और हमें सतर्क रहते हुए लंबे समय तक अपनी सुरक्षा का ख्याल रखना होगा ताकि हम महामारी के दोबारा प्रसार को रोक सकें।’

First Published - July 19, 2020 | 10:57 PM IST

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