केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज कहा कि कोविड संक्रमण के मामलों में स्थिरता आने के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं और दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब तथा मध्य प्रदेश में संक्रमण के दैनिक मामलों में गिरावट आ रही है। पिछले दो दिन में संक्रमण के 4 लाख के बजाय 3.68 लाख नए मामले ही आ रहे हैं। इस रोग से मरने वालों की संख्या भी मामूली घटी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘इन राज्यों में संक्रमण रोकने के लगातार प्रयास करने होंगे ताकि अब तक मिले फायदे बरकरार रहें।’ महाराष्ट्र के 12 जिलों में पिछले 15 दिनों से दैनिक मामलों में कमी देखी जा रही है। लेकिन बिहार, गोवा, आंध्र प्रदेश और केरल सहित 23 राज्यों में नए मामलों में तेजी बनी हुई है। अग्रवाल ने कहा, ‘सक्रिय मामलों की बढ़ती संख्या की चुनौती बनी हुई है।’ जब यह पूछा गया कि कोविड-19 की डबल म्यूटेंट किस्म ज्यादा संक्रामक है या नहीं तो उन्होंने कहा कि म्यूटेंट हो या नहीं हो, कोविड पर काबू के उपायों में ढिलाई नहीं बरती जा सकती।
इस बीच संक्रमण के बढ़ते मामलों देखकर सरकार ने एमबीबीएस के अंतिम वर्ष के छात्रों की सेवाएं लेने की घोषणा कर दी है। ये छात्र कोविड के हल्के संक्रमण वाले रोगियों की निगरानी करेंगे और उन्हें टेली परामर्श देंगे। कोविड संकट के बीच मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई बैठक के बाद इसकी घोषणा की गई। इसके साथ ही नीट-पीजी परीक्षा भी कम से कम चार महीने टालने का निर्णय किया गया है। अब यह परीक्षा 31 अगस्त से पहले नहीं होगी। सरकार ने मेडिकल प्रशिक्षुओं को उनके संकाय की निगरानी में कोविड ड्यूटी पर तैनात करने की भी अनुमति दी है। 100 दिन तक कोविड ड्यूटी पूरी करने वाले चिकित्सा कर्मियों को सरकार की नियमित भर्तियों में प्राथमिकता दी जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि चिकित्सकों, नर्सों और सहायक पेशेवरों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के रिक्त पदों को 45 दिन के भीतर अनुबंध के आधार पर भरा जाएगा।
इधर सीटी स्कैन तथा स्वास्थ्य जांच की बढ़ती आपाधापी के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रमुख रणदीप गुलेरिया ने आज कहा कि मामूली लक्षणों वाले रोगी छाती का सीटी स्कैन नहीं कराएं। उन्होंने कहा कि एक सीटी स्कैन 300 एक्स-रे के बराबर होता है और युवा इस तरह के विकिरण के संपर्क में आए तो आगे जाकर कैंसर होने का खतरा बन सकता है। उन्होंने कहा कि हल्के संक्रमण में भी फेफड़ों में कुछ धब्बे दिख सकते हैं मगर वे अपने आप ठीक हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हल्के लक्षणों के मामले में रक्त के नमूनों से बायोमार्कर्स जांच की जरूरत नहीं है और केवल मध्यम संक्रमण के मामलों में ही ऐसा करना चाहिए। गुलेरिया ने यह भी कहा कि वैज्ञानिक समुदाय में चर्चा चल रही है कि कोविड संक्रमण से उबरने वालों के लिए शायद टीके की एक खुराक ही काफी होगी। मगर मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार लोगों को दो खुराक लेनी चाहिए, चाहे संक्रमण हुआ हो या नहीं।
