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केंद्र व राज्य दोनों पर बिजली सुधार का भार

Last Updated- December 15, 2022 | 2:40 AM IST

भारत के बिजली वितरण क्षेत्र में सुधार और बिजली की आपूर्ति के लिए तेजी से बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए नई ‘सुधार से जुड़ी वितरण योजना’ में सभी मौजूदा योजनाएं शामिल होंगी और इस पर आने वाली लागत का बोझ केंद्र व राज्य दोनों मिलकर उठाएंगे। इस योजना पर कुल 3.12 लाख करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है, जिसमें से 60 प्रतिशत केंद्र से अनुदान मिलेगा, जबकि शेष बोझ राज्य सरकारों को वहन करना होगा।
वित्त मंत्रालय को भेजी गई शुरुआती प्रस्तुति में केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने 1.8 लाख करोड़ रुपये केंद्रीय अनुदान की मांग की है, जिसकी देनदारी अवधि मार्च 2022 तक होगी। एक अधिकारी ने कहा, ‘बिजली मंत्रालय ने व्यय विभाग (वित्त मंत्रालय के) से प्रस्ताव किया है कि दो साल के लिए बिजली वितरण क्षेत्र के लिए और किसी अनुदान की जरूरत नहीं है। आईपीडीएस और डीडीयूजीजेवाई की मौजूदा योजनाओं के  सभी अनुदान इस अनुदान में शामिल होंगे।’
दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) का मकसद हर ग्रामीण मकान में मीटर लगाना और गांवों में बिजली संबंधी बुनियादी ढांचा योजनाओं में सुधार करना है। इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) शहरी इलाकों में बिजली संबंधी बुनियादी ढांचा में सुधार और बिजली आपूर्ति के लिए स्मार्ट मीटर और बिजली आपूर्ति में आईटी व्यवस्था के लिए लाई गई थी। दोनों योजनाएं 2015 में शुरू की गई थीं और इनका बचा हुआ 23,000 करोड़ रुपये अनुदान नई योजना का हिस्सा होगा।
पिछले साल बिजली मंत्रालय ने 2 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत आवंटन से बिजली वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए एक योजना का प्रस्ताव किया था। इसमें 40 से 60 प्रतिशत केंद्रीय अनुदान दिए जाने की बात थी, अगर राज्य सरकारें केंद्र की ओर से सुझाए गए सुधार लागू करतीं। वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव मंजूरी नहीं दी। ज्यादातर राज्यों ने भी प्राइवेट फ्रैंचाइजी और सब्सिडी खत्म किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया था, जो इस पैकेज का हिस्सा था।
मौजूदा प्रस्ताव में बिजली मंत्रालय ने कहा है कि बुनियादी ढांचे में सुधार से होने वाली बचत का इस्तेमाल अन्य योजनाओं में किया जाएगा, ऐसे में किसी अतिरिक्त केंद्रीय अनुदान की जरूरत नहीं होगी। अधिकारियों ने कहा कि इस योजना पर अभी अंतर मंत्रालयी स्तर पर चर्चा चल रही है और जल्द ही इसे वित्त मंत्रालय की वित्त व्यय समिति (ईएफसी) के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
इस योजना में डीडीयूजीजेवाई और आईपीडीएस के तहत लंबित लक्ष्य शामिल होंगे, साथ ही बुनियादी ढांचा बेहतर बनाने, स्मार्ट मीटर और निजी फ्रैंचाइजी मॉडल के प्रस्ताव होंगे, जिससे राज्यों में बिजली की आपूर्ति में सुधार किया जा सके।
डीडीयूजीजेवाई में कुल स्वीकृत 1.03 लाख करोड़ रुपये राशि में से करीब 70,000 करोड़ रुपये पहले ही विभिन्न परियोजनाओं के लिए जारी की जा चुकी है। आईपीडीएस में कुल 20,000 करोड़ रुपये केंद्रीय अनुदान स्वीकृत किया गया था, और इसमें से कुछ परियोजनाओं के लिए 13,849 करोड़ रुपये जारी किया जा चुका है, जिनमें सिस्टम को मजबूत बनाना, आईटी सिस्टम्स, स्मार्ट मीटरिंग आदि शामिल है।

First Published - September 2, 2020 | 11:49 PM IST

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