कोविड-19 के टीके की जंग तेज

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 5:19 AM IST

कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए सार्स-सीओवी-2 (नोवल कोरोनावायरस) का टीका बनाने की होड़ तेज हो गई है। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संस्थान (सीडीसीएसओ) ने कई कंपनियों को इन संभावित टीकों के इंसानों पर परीक्षण का दूसरा चरण शुरू करने की नियामकीय मंजूरी प्रदान कर दी है।
हाल ही में भारत बायोटेक की ओर से कोविड-19 टीके की दावेदार कोवैक्सिन के इंसानी परीक्षण को मंजूरी मिली है। यह टीका भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया गया है। यह कोरोनावायरस का पहला टीका है जो देश में विकसित है और जिसका इंसानों पर परीक्षण करने की इजाजत मिली है।
कोवैक्सिन के लिए सार्स-सीओवी-2 स्ट्रेन को एनआईवी पुणे में अलग किया गया और उसे भारत बायोटेक को दिया गया जहां टीका विकसित किया गया। जानवरों पर इस टीके के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।
बाद में गुरुवार को डीसीजीआई ने जाइडस कैडिला के प्लाज्मिड डीएनए टीके जाइकोव-डी के परीक्षण को भी मंजूरी दी। इसे अहमदाबाद के वैक्सीन टेक्नॉलजी सेंटर पर में विकसित किया गया है और इसने भी प्रीक्लिनिकल परीक्षण में उचित नतीजे दिए हैं।
आईसीएमआर द्वारा 15 अगस्त तक टीका बाजार में उतारने का इरादा जताने के बाद जाइडस कैडिला भी जाइकोव-डी का उत्पादन तेज करने की कोशिश में है। इसे देश और विदेश की मांग के अनुरूप कई जगहों पर तैयार किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक इस टीके ने चूहों, गिनी पिग और खरगोशों पर किए परीक्षण में सकारात्मक नतीजे दिखाए हैं। कैडिला हेल्थकेयर ने शुक्रवार को एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा, ‘टीके ने जो एंटीबॉडी तैयार किए हैं वे वायरस को पूरी तरह निष्क्रिय करने में कामयाब रहे। यह बात इसे टीके का बेहतर संभावित दावेदार बनाती है।’
दूसरी ओर ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका कंपनी कोविड-19 टीका बनाने का प्रयास चिकित्सकीय परीक्षण के अंतिम चरण में है। यह पहला ऐसा टीका है जिसका चिकित्सकीय परीक्षण दक्षिण अफ्रीका में हो रहा है। इसके भारतीय साझेदार सीरम इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को आशा है कि साल के अंत तक टीका बाजार में आ जाएगा।
विटवाटरस्टैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दक्षिण अफ्रीका में इसके चिकित्सकीय परीक्षण शुरू किए हैं और टीम ऑक्स1कोव-19 या ऑक्सफर्ड वैक्सीन के परीक्षण के लिए तैयार है। एसआईआई के सीईओ अडर पूनावाला का कहना है कि कंपनी टीका लॉन्च करने से पहले भारत में तीसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण करेगी।
सीरम इंस्टीट्यूट ने गरीब और मध्यम आय वाले देशों में ऑक्सफर्ड टीके की आपूर्ति करने के लिए न केवल ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ समझौता किया है बल्कि वह एक बेहतर बीसीजी टीके पर भी काम कर रही है जो श्वसन तंत्र के वायरस के खिलाफ बेहतर प्रतिरोधक क्षमता देगा। इसका परीक्षण देश में कई जगह चल रहा है। इसकी पहली खेप का उत्पादन अगस्त-सितंबर में हो सकता है।
इंडियन इम्युनोलॉजिल्स लिमिटेड (आईआईएल) भी छोटे जानवरों और बंदरों आदि पर टीके की जांच की प्रक्रिया में है। हालांकि कंपनी के प्रबंध निदेशक आनंद कुमार के अनुसार यह काम दिसंबर तक हो सकता है। कंपनी एक ऐसे कमजोर वायरस पर परीक्षण कर रही है जो कोविड-19 जैसा ही है लेकिन उसकी तरह गुणित नहीं होता। बहरहाल अगर अन्य कंपनियां आईआईएल से पहले टीका बना लेती हैं तो कंपनी उनके निर्माण में सहयोग पर भी विचार करेगी। 
कुमार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यदि कोई और कंपनी हमसे पहले टीका बना लेती है तो हम विनिर्माण में नए अवसरों के लिए भी तैयार हैं। यदि कोई भी टीका बनाता है लेकिन उसके पास क्षमता कम है तो हम निर्माण में सहयोग को तैयार हैं। आबादी को देखते हुए कोई एक टीका निर्माता सबकी जरूरतें पूरी नहीं कर सकता। हम अन्य कंपनियों से बात कर रहे हैं लेकिन उनकी तकनीक हमारे विनिर्माण के अनुरूप होनी चाहिए।’

First Published : July 3, 2020 | 10:42 PM IST