72 घंटे का लक्ष्य लेकर चलें राज्य: मोदी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 3:32 AM IST

महामारी की मौजूदा स्थिति की समीक्षा के लिए देश के 10 राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अगर राज्य सरकारें 72 घंटों के भीतर कोविड 19 की जांच करने, इलाज करने और पॉजिटिव मरीजों को अलग रखने की व्यवस्था दुरुस्त कर लेती हैं तब भारत इस बीमारी को हराने और मृत्यु दर को 1 प्रतिशत से नीचे लाने में सफ ल हो सकेगा।
मंगलवार को 10 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा , ‘भारत में संक्रमण के 6 लाख मामले हैं लेकिन ठीक होने की दर में सुधार हो रहा है, मरने वालों की तादाद कम हो रही है और यहां तक कि इस बीमारी की जांच में पॉजिटिव आने वालों की दर भी कम हो रही है। देश के 10 राज्यों में है 80 फ ीसदी संक्रमण और कोरोनावायरस से होने वाली 82 फ ीसदी मौत भी इन्हीं राज्यों में हुई है। ऐसे में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है और संक्रमण की दर की जांच के लिए 72 घंटे की समय-सीमा अहम है। अगर 72 घंटे के भीतर जांच होती है और इलाज हो जाता है तब मरीज ठीक हो सकते हैं। इसके लिए जांच में तेजी लाने की जरूरत है।’ इस बैठक में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। कर्नाटक का प्रतिनिधित्व वहां के उपमुख्यमंत्री ने किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि टीम के काम से बहुत मदद मिली है और इस बीमारी के प्रबंधन में कई अनुभव मिलने से सबसे बेहतर तरीके की पहचान करने में मदद मिलेगी। उन्होंने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की मिसाल दी। उन्होंने इस बात को स्वीकारते हुए कहा, ‘एक वक्त ऐसा था जब इस क्षेत्र में संक्रमण अनियंत्रित तरीके से फैल रहा था और हम डर गए थे। लेकिन एक साझा रणनीति के कारण हम स्थिति को कुछ हद तक बदलने में कामयाब रहे हैं। अगर हम योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं तब हम स्थिति को 7 से 10 दिनों के भीतर नियंत्रित कर सकते हैं और संक्रमण के रुझान को उलट सकते हैं।’
इस प्रक्रिया के तहत संक्रमण के लिहाज से ज्यादा जोखिम वाली श्रेणियों जैसे घरेलू सहायिका, रिक्शा और ऑटोरिक्शा ड्राइवरों, कामगारों की कॉलोनी आदि में सख्ती से व्यापक पैमाने पर जांच कराना शामिल है। उन्होंने कहा कि एक बार पता चलने के बाद रोकथाम क्षेत्र और यहां तक कि सूक्ष्म नियंत्रण क्षेत्रों को चिह्नित करने की जरूरत है ताकि संक्रमितों का पता लगाना आसान हो जाए। उन्होंने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में 100 फ ीसदी जांच होनी चाहिए।
मोदी ने कहा, ‘लोग अब सामाजिक दूरी, मास्क, थूकने में सावधानी बरतने और साफ.सफ ाई की अहमियत समझ चुके हैं। हम आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से इस प्रवृत्ति को आगे बढ़ा सकते हैं जो हमें उन स्थानों का पता लगाने में मदद करता है जहां बीमारी फैल रही है। अगर हम रोकथाम वाले क्षेत्रों, संक्रमितों के संपर्क में आने वाले लोगों के बारे में पता करने के साथ ही निगरानी का पालन कर सकते हैं तो हम संक्रमण की जांच भी कर सकते हैं।’ इन प्रोत्साहित करने वाली बातों के बीच मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले 10 मुख्यमंत्रियों में सेे लगभग सभी ने इस बीमारी के प्रबंधन के लिए और पूंजी की मांग की। इन 10 राज्यों में जनसंख्या घनत्व अधिक है। इन राज्यों ने कहा कि कोविड से लडऩे के लिए राज्य आपदा राहत कोष पर 35 प्रतिशत की सीमा पर्याप्त नहीं है। ये राज्य चाहते हैं कि यह सीमा हटा ली जाए। जुलाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक आदेश पर राज्य आपदा राहत कोष पर यह सीमा लागू की गई थी। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी बाढ़ की स्थिति पर मोदी के साथ बैठक के दौरान एसडीआरएफ  की सीमा हटाने की मांग की थी।
तमिलनाडु और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने अपनी अर्थव्यवस्था की मुश्किलों का मुद्दा उठाया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलनिस्वामी ने कहा, ‘हमें राज्य को आवंटित 712.64 करोड़ रुपये में से आपात स्थिति और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी से जुड़े पैकेज के तहत दो किस्तों में केंद्र  से 512.64 करोड़ रुपये मिले। मैं यह आग्रह करता हूं कि इस पैकेज को बढ़ाकर 3,000 करोड़ रुपये तक कर दिया जाए।’ उन्होंने कहा, ‘हमने पहले ही राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ ) के पैसे पूरी तरह से खर्च कर दिए हैं और मैं एनडीआरएफ  से महामारी से लडऩे के लिए तुरंत 1,000 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान देने का भी अनुरोध करता हूं।’
तमिलनाडु ने कोविड-19 और राज्य की अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों का मुकाबला करने के लिए 9,000 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान मांगा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि अप्रैल-जून, 2020 के लिए जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) मुआवजा जल्दी जारी किया जाए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मोदी से महामारी के कारण राजस्व संग्रह के अंतर को कम करने के मकसद से राज्यों के लिए उदार वित्तीय पैकेज की मांग की और साथ ही एसडीआरएफ  में कोविड से जुड़े खर्च की शर्तों में थोड़ी ढील देने की भी मांग की। सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार कोविड-19 संबंधित खर्च के लिए राज्य आपदा राहत कोष में 35 प्रतिशत की वर्तमान सीमा मौजूदा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। पंजाब में वित्त वर्ष की पहली तिमाही के राजस्व में 50 फ ीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
पंजाब के स्वास्थ्य संकट के बारे में सिंह ने कहा कि राज्य भले ही कोविड-19 के लिए प्रत्येक 10 लाख पर 23,000 जांच करा रहा है और अगले 15 दिनों में आरटी-पीसीआर (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेज चेन रिएक्शन) जांच को 12,000 से बढ़ाकर 20,000 करने की योजना बनाई गई है लेकिन इसे आगे भी अपनी जांच क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने मोदी से अपने पहले के अनुरोध को दोहराया कि चंडीगढ़ और पंजाब में केंद्र सरकार के संस्थानों को जांच क्षमता बढ़ाने के निर्देश दिए जाएं।

First Published : August 11, 2020 | 11:15 PM IST