देसी दवा बाजार में सुधार की रफ्तार सुस्त हो रही है और फरवरी में यह घटकर 1.1 फीसदी रह गई, जो एक महीने पहले 4.5 फीसदी रही थी। वास्तव में दिसंबर में इस बाजार की रफ्तार मजबूत रही थी जब उसने 8.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की थी।
फरवरी में भारतीय दवा बाजार के मुख्य थैरेपी क्षेत्र की रफ्तार सुस्त रही। हृदय रोग से जुड़ी दवा की बढ़त की रफ्तार 7.3 फीसदी रही, जो एक महीने पहले 8.8 फीसदी रही थी, वहीं मधुमेह रोधी दवाओं में बढ़त की रफ्तार 4.3 फीसदी रही।
बाजार शोध फर्म एआईओसीडी अवैक्स के अध्यक्ष (विपणन) शीतल सांपले ने कहा, चूंकि संक्रमणरोधी व श्वसन के इलाज से जुड़ी दवाओं ने बढ़ोतरी दर्ज नहीं की, ऐसे में कुल आईपीएम की रप्तार सुस्त रही है।
उन्होंने कहा, संक्रमणरोधी दवाओं की हिस्सेदारी आईपीएम में करीब 17 फीसदी है और इसने बढ़त में 11.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। लोग घर से काम कर रहे हैं, बाहर कम निकल रहे हैं और स्वच्छता पर पूरा ध्यान दे रहे हैं, ऐसे में संक्रमणरोधी दवाओं जैसे एंटीबायोटिक्स की बिक्री में ये चीजें कम योगदान कर रही हैं।
उन्होंने कहा, अन्य अहम क्षेत्र श्वसन से जुड़ी बीमारियों के इलाज की दवाएं पहले ही जाड़े का सीजन गंवा चुकी हैं। मास्क पहनने, घर में रहने के कारण इससे जुड़ी दवाओं की बिक्री कम रही। फरवरी में इससे जुड़ी दवाओं की बिक्री की रफ्तार में 20.3 फीसदी की नरमी रही।
श्वसन के इलाज की दवाओं में अच्छी खासी हिस्सेदारी रखने वाली एक दवा फर्म के वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि उम्मीद के मुताबिक बिक्री ने जोर नहीं पकड़ा। उन्होंने कहा, हमने बफर स्टॉक तैयार किया था और जाड़े से पहले अपने चैनल नेटवर्क को दुरुस्त किया था क्योंकि इन दवाओं की मांग (खास तौर से उत्तर भारत) के लिहाज से यह पीक सीजन होता है। हमारी उम्मीद के मुताबिक मांग नहीं रही और अब हमारे चैनल में मौजूद अतिरिक्त स्टॉक के कारण इन महीनों में बढ़त की रफ्तार घटी। पिछले साल जून में लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद संक्रमणरोधी जैसी थेरेपी का संघर्ष जारी है। सहायक क्षेत्र मसलन दर्द निवारक और एनालजेसिक आदि की रफ्तार भी सुस्त रही।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल थेरेपी की रफ्तार फरवरी में 9.9 फीसदी रही जबकि जनवरी में यह 14.3 फीसदी रही थी। दर्द निवारक व एनालजेसिक की रफ्तार फहरवरी में सिर्फ 2.3 फीसदी रही, जो जनवरी की 5 फीसदी की रफ्तार के मुकाबले आधी रही।
अग्रणी कंपनियों में ज्यादातर ने एक महीने पहले के मुकाबले बढ़त की रफ्तार में गिरावट दर्ज की। पिछले कुछ महीने से कोविड-19 की दवा की बिक्री के दम पर तेज गति से आगे बढ़ रही दवा कंपनी सिप्ला ने भी फरवरी में 1.7 फीसदी की सुस्त रफ्तार दर्ज की।